आबकारी विभाग जैसा कांड पंजीयन विभाग ने कर दिया। महानिरीक्षक पंजीयक (आईजीआर) अमित तोमर के एक आदेश के चलते मप्र शासन को 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो गया। इस नुकसान के बाद प्रमुख सचिव अमित राठौर की फटकार के बाद जागे आईजीआर तोमर ने सोमवार दोपहर को इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी कर दिया लेकिन तब तक देर हो गई।
पहले यह पत्र जारी किया
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तोमर द्वारा सभी पंजीयन अधिकारियों को 29 मार्च को तीन पन्नों का एक पत्र जारी किया गया। इसमें 1 अप्रैल से संपदा वन पूरी तरह से बंद करने की बात थी। साथ ही कहा गया कि संपदा वन के दस्तावेज संपदा टू में शिफ्ट नहीं होंगे। सर्विस प्रोवाइडर की नई क्रेडिट लिमिट लेने की सुविधा 30 मार्च को बंद कर दी जाएगी। साथ ही संपदा वन में ली गई क्रेडिट लिमिट संपदा टू में शिफ्ट नहीं होगी। इसलिए वह क्रेडिट लिमिट 31 मार्च तक ही उपयोग कर लें।
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इस पत्र से यह हुआ
क्रेडिट लिमिट लैप्स होने का खतरा देखते हुए सर्विस प्रोवाइडरों ने अतिरिक्त लिमिट बुक नहीं कराई, जो वे अंतिम दिनों में कर लेते हैं। यह पत्र 29 मार्च को ऐनवक्त पर जारी हुआ, जब आखिरी तीन दिन के लिए सबसे ज्यादा क्रेडिट लिमिट ली जानी थी, लेकिन 30 मार्च के बाद क्रेडिट लिमिट सीमित हो गई। यानी शासन को सर्विस प्रोवाइडरों ने स्टाम्प खरीदी व शुल्क भरना कम कर दिया। इससे इंदौर अकेले में ही करीब 25-30 करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं प्रदेश स्तर पर यह 150-200 करोड़ का नुकसान हुआ।
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अब आईजीआर ने यह जारी की सफाई
अब महानिरीक्षक पंजीयन अमित तोमर ने सफाई जारी करते हुए यह सूचना जनसंपर्क से जारी कराई कि संपदा 1.0 में ई-पंजीयन सेवा प्रदाताओं के खाते में दिनांक 31 मार्च 2025 को शेष बची हुई क्रेडिट लिमिट के उपयोग की बाद में व्यवस्था रहेगी। शेष बची हुई क्रेडिट लिमिट दिनांक 31 मार्च 2025 के बाद लैप्स नहीं होगी। क्रेडिट लिमिट के लैप्स होने की कोई रिस्क नहीं है। सभी सेवा प्रदाता एवं स्टाम्प वेंडर से आग्रह किया गया है कि आवश्यकतानुसार क्रेडिट लिमिट बनवाएं।
इसके पहले आबकारी ने यह कांड किया था
इसके पहले आबकारी विभाग ने इसी तरह का कांड किया था। विभाग द्वारा पत्र जारी हुआ था कि जिन्होंने ठेके रिन्यू नहीं कराए उन्हें माल सप्लाई नहीं होगा। इसके चलते अंतिम दिनों में माल उठा नहीं और शासन को एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो गया।
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