धर्मस्थलों के पास नदियों का पानी प्रदूषित: आचमन के लायक भी नहीं
मध्य प्रदेश की नदियों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। धार्मिक स्थलों के पास 60 से अधिक स्थानों पर पानी आचमन के लायक भी नहीं है। एमपीपीसीबी की रिपोर्ट में कान्ह, क्षिप्रा, और बेतवा नदियों की स्थिति चिंताजनक पाई गई है।
मध्य प्रदेश की नदियां, जिनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, अब प्रदूषण के गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा 293 स्थानों पर किए गए जल परीक्षण में पाया गया कि 60 से अधिक स्थानों पर, जो प्रमुख धार्मिक स्थलों के पास हैं, पानी आचमन या स्नान के योग्य भी नहीं है।
नदियों की स्थिति
कान्ह (खान) नदी: इंदौर की यह नदी सबसे प्रदूषित पाई गई। लीम्बोडी शिवधाम में इसका पानी डी-कैटेगरी का है, जबकि अन्य स्थानों पर यह ई-कैटेगरी में आता है।
क्षिप्रा नदी: उज्जैन में धार्मिक स्थलों के पास पानी डी-कैटेगरी का है। रामघाट और सिद्धवटघाट जैसे स्थानों पर पानी पूरी तरह से काला हो चुका है।
बेतवा नदी: मंडीदीप और विदिशा के चरणतीर्थ घाट पर पानी बी और सी-कैटेगरी का है।
नर्मदा नदी: अमरकंटक के पास पानी बी-कैटेगरी का है, जबकि अन्य स्थानों पर यह बेहतर गुणवत्ता का पाया गया।