रूसा से मिले 20 करोड़ खर्च, लेकिन आरजीपीवी में न निर्माण पूरे हुए न संसाधन बढ़े

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को रूसा से 20 करोड़ रुपए मिले थे। अनुदान खर्च होने के बावजूद कोई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य या संसाधन नहीं बढ़ाए गए। विश्वविद्यालय प्रबंधन खर्च की गई राशि का हिसाब देने में आनाकानी कर रहा है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों गड़बड़झालों के दायरे से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। साल भर पहले करोड़ों रुपए की एफडी के फर्जीवाड़े में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय चर्चा में था।

इसी RGPV में अब निर्माण कार्य एवं संसाधनों के उन्नयन के नाम पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय को यह राशि रूसा यानी राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत मिली थी। इस राशि से जो काम कराए जाने थे उनके उपयोगिता प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा विभाग को अब तक उपलब्ध नहीं करा पाया है। 

13 विभागों के पास थी जिम्मेदारी 

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को साल 2020 में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत 20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ था। इस राशि से विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए अध्ययन संबंधी सुविधाएं विकसित की जानी थी।

यानी विश्वविद्यालय में अनुदान राशि के आधे हिस्से यानी 10 करोड़ से नए संसाधन, उपकरण और निर्माण कार्य कराए जाने थे। इन कामों की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के 13 विभागों के पास थी। अनुदान राशि मिलने के बाद से अब तक विश्वविद्यालय 12 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च कर चुका है। 

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खर्च का हिसाब देने में आनाकानी

नए निर्माण और संसाधनों के उन्नयन के नाम पर पांच साल में तकनीकी विश्वविद्यालय में 12 करोड़ रुपए खर्च तो किए, लेकिन इसका हिसाब नहीं दिया गया।

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान और उच्च शिक्षा विभाग इन कामों की स्थिति और खर्च राशि की जानकारी के लिए कई पत्र आरजीपीवी प्रबंधन को लिख चुका है। इसके बावजूद किसी भी विभाग ने संसाधनों के उन्नयन और निर्माण कार्यों के संबंध में उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है। इस वजह से इन कामों को लेकर विभागों की कार्यशैली संदेह के दायरे में आ गई है।

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जितनी राशि खर्च उतना काम नहीं

रूसा और उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भेजे जा रहे पत्रों को देखते हुए अब विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी ने विभागों को सौंपे गए कामों की जांच भी शुरू कर दी है।

विभाग द्वारा जितनी राशि खर्च की है मौके पर उतना काम ही नहीं पाया गया है। इसको देखते हुए करोड़ों रुपए की अनियमितता की आशंका और भी बढ़ गई। प्रबंधन ने जांच टीम से विभागों द्वारा कराए गए काम और खर्च की गई राशि का भौतिक सत्यापन कर जल्द रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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भौतिक सत्यापन से मची खलबली

विश्वविद्यालय प्रबंधन की जांच में पांच साल पहले मिली अनुदान राशि में हेराफेरी उजागर होने की आशंका से विभागों में खलबली मच गई है। वहीं प्रबंधन द्वारा गठित समिति ने भी निर्माण कार्यों के भौतिक सत्यापन का काम तेज कर दिया है।

आरजीपीवी रजिस्ट्रार डॉ. मोहन सेन के अनुसार रूसा संचालनालय से उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगे गए हैं। जो अनुदान प्राप्त हुई थी उससे विभागों ने क्या काम कराए और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है इसका सत्यापन कराया जा रहा है। जांच में अनियमितता की स्थिति के आधार पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय की जाएगी।

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