27 फीसदी OBC आरक्षण केस में सुनवाई एक दिन आगे बढ़वाई, 13 नवंबर के लिए लिस्ट

मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण केस की सुनवाई 12 नवंबर को तय थी। ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने इसे अगले दिन के लिए लिस्ट करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 13 नवंबर के लिए लिस्ट कर दिया।

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Sanjay Gupta
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Indore.मध्यप्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण केस के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को केस लिस्ट था। लेकिन इस बार ओबीसी वेलफेयर कमेटी की ओर से अधिवक्ता वरूण ठाकुर पेश हुए। उन्होंने कहा कि इसे कल के लिए टॉप पर लिस्ट कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखते हैं। इसके बाद यह शाम को जारी हुई केस लिस्ट में 13 नवंबर के लिए लिस्टेड दिखाई दे रहा है।

अभी तक शासन पक्ष मांग रहा था समय

इसके पहले लगातार शासन पक्ष ही समय मांग कर केस को आगे बढ़ा रहा था। इस बार ओबीसी वर्ग की ओर से इसे एक दिन आगे लिस्ट करने की मांग की गई। यह केस यदि लिस्ट होता तो काफी देरी से नंबर आता क्योंकि यह 119वें नंबर पर था। संभवतः इसी को देखते हुए इसे अगले दिन लिस्ट में टॉप पर रखने के लिए कहा गया।  

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4 पॉइंट्स में पूरी स्टोरी 

👉मध्यप्रदेश में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को लिस्ट की गई थी। ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने इसे 13 नवंबर के लिए टॉप पर लिस्ट करने की मांग की।

👉सरकार ने इस केस में 15 हजार पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। हालांकि, कोर्ट ने सरकार के बार-बार समय मांगने पर नाराजगी जताई और कहा कि सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार है, लेकिन शासन पक्ष नहीं।

👉सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सरकारी रवैये को लेकर तीखी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि छह साल तक कोई कार्यवाही नहीं की गई और यह सब सरकार की वजह से हुआ है। 

👉इस केस को लेकर अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, क्योंकि यह मामला कई बार लंबित और विलंबित हो चुका है। इस मामले का अंतिम फैसला सभी के लिए महत्वपूर्ण है।

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15 हजार पन्नों की रिपोर्ट पेश कर चुका सरकार

सरकार इसमें 15 हजार पन्नों की रिपोर्ट पेश कर चुका है। इसमें बहस के लिए लगातार समय मांगा जा रहा है। बीती सुनवाई में भी इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ था। कोर्ट ने कहा था कि हम सुनवाई के लिए तैयार है, लेकिन आप नहीं।

 इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट सरकारी रवैए को लेकर काफी तीखी टिप्पणी कर चुका है और कह चुका है कि 6 साल से सोए हुए थे। यह सब कुछ आपके द्वारा फैलाया हुआ है। अब बहुत हो चुका अब अंतरिम राहत नहीं देंगे और अंतिम फैसला करेंगे। बीच में इस केस को फिर से हाईकोर्ट में भी भेजने की बात उठी थी। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है।

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