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आलोक मेहता
श्री कृष्ण के शिक्षा स्थल उज्जयिनी में आज भी संदीपनी आश्रम श्रद्धा और प्रेरणा का केंद्र है। लेकिन शायद श्रीकृष्ण के द्वापर युग से प्रकाश चंद्र सेठी के सत्ता काल में रही अपेक्षाओं आशाओं को पूरा करने का समय और नेता पहली बार विशाल मध्य प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर बैठा है। मुख्यमंत्री के रुप में मोहन यादव के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। इस कम अवधि में जिस तेजी से उज्जैन ही नहीं इंदौर के अलावा सुदूर रीवां, जबलपुर, ग्वालियर इलाकों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, परिवहन, पानी, बिजली और मकान की सुविधाओं विकास और कल्याण के कार्यक्रमों की पहल सचमुच एक नया अध्याय है।
'तेज गति से विकास योजनाओं को आगे बढ़ा रहे'
अब इसे अपने गृह नगर के प्रति या पूर्वाग्रह मत समझिए , क्योंकि उसी संदीपनी के शिक्षा केंद्र से निकल दिल्ली महानगर आए लगभग 53 वर्ष हो गए हैं और उज्जैन इंदौर के अलावा मध्य प्रदेश के नेताओं मुख्यमंत्रियों से संपर्क और पत्रकारीय सम्बन्ध रहे हैं। प्रदेश के ही नहीं राष्ट्र के शीर्ष नेता रहे डॉक्टर, डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा से वर्षों तक मिलने और बातचीत का सौभाग्य रहा है | हां , स्वयं मोहन यादव जी से न अधिक मुलाकातें हुई और न ही नजदीकी सम्बन्ध रहे। इसलिए तटस्थ भाव से कह सकता हूं कि मध्य प्रदेश के लिए मोहन यादव प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के पूर्ण विश्वास और प्रदेश में सरकार के भारी बहुमत और पार्टी का सम्पूर्ण समर्थन होने के कारण बहुत तेज गति से विकास योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं |
'चुनौतियों के साथ काम में अग्रसर मोहन'
राजनीति से हटकर सफलता का एक बड़ा कारण यह भी लगता है कि सामान्य परिवार, सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, शिक्षा में विज्ञान , कानून , प्रबंधन की डिग्रियों के साथ दर्शन शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि की योग्यता से मोहन यादव तात्कालिक चुनौतियों और कार्यों के साथ विकसित भारत में अपनी महाकाल नगरी और प्रदेश के दूरगामी विकास के लिए योजनाओं का शंखनाद कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विद्यार्थी परिषद और फिर भाजपा में शिवराज सिंह और कैलाश विजयवर्गीय के साथ नरेंद्र मोदी, अमित शाह के साथ संबंधों के संस्कार मोहन यादव की राजनीतिक सामाजिक प्रशासकीय जमीन अधिक मजबूत बना रहे हैं। एक कारण यह भी है कि मोहनजी को भाजपा के लम्बे शासन काल के दौरान जनता को दिए गए लाभ और उनकी कठिनाइयों चुनौतियों का अनुभव था।
नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति को बढ़ाया आगे
शिवराज सिंह के साथ शिक्षा मंत्री रहते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति को जितनी तेजी से उन्होंने क्रियान्वयन शुरु किया , मेरी अपनी जानकारी के अनुसार किसी अन्य राज्य सरकार ने नहीं किया। हां , शिक्षा राज्य का विषय है और यदि मोदी जी मध्य प्रदेश को शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में विस्तार के लिए विशेष सहायता दें , तो मोहन यादव आने वाले दशकों में देश का ही नहीं विश्व का एक महत्वपूर्ण श्रेष्ठ शैक्षणिक प्रदेश और स्वास्थ्य रक्षा कॉरिडोर बना सकते हैं। आखिर यह इलाका संदीपनी, कालिदास, विक्रमादित्य, राजा भोज, महारानी अहिल्याबाई होल्कर, बालकृष्ण शर्मा नवीन, माखनलाल चतुर्वेदी, द्वारका प्रसाद मिश्र, शंकर दयाल शर्मा, सेठ गोविन्द दास, डॉक्टर शिवमंगल सिंह सुमन, श्रीकृष्ण सरल जैसी शिक्षा संस्कृति की विभूतियों का है।
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पर्यटन में आगे बढ़ रहा एमपी
इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, ग्वालियर रीवां आदि मेडिकल कॉलेजों से निकले डॉक्टर प्रदेश से अधिक देश विदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए प्राकृतिक अनुकूल इलाका है। पर्यटन में धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी उज्जैन , ओंकारेश्वर से लेकर नर्मदा चम्बल के सुन्दर किनारों जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, कान्हा अभ्यारण्य और भेड़ाघाट, पचमढ़ी दुनिया के आकर्षण केंद्र बन रहे हैं |
'भ्रष्टाचार के आरोपों में उलझे रहे कांग्रेस करे दिग्गज'
इसे कुछ हद तक दुर्भाग्य कहा जाएगा कि मध्य प्रदेश में द्वारका प्रसाद मिश्र, गोविन्द नारायण सिंह, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाशचंद्र सेठी, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ जैसे कांग्रेस के अनेक अनुभवी और शिक्षित मुख्यमंत्री आए , लेकिन वे आपसी राजनीतिक खींचातानी और कुछ हद तक अस्थिरता और भ्रष्टाचार के आरोपों में उलझे रहे और आला कमान के हस्तक्षेप ने भी उन्हें बढ़ने नहीं दिया। इसलिए प्रदेश के विकास की गति धीमी रही। जनता पार्टी राज में कैलाश जोशी, सुंदरलाल पटवा या भाजपा की उमा भारती और बाबूलाल गौर कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री रहे। शिवराज सिंह चौहान के लम्बे कार्यकाल से मध्य प्रदेश में विकास और कल्याण की योजनाएं केंद्र में मोदी सरकार के व्यापक सहयोग से अधिक अच्छी तरह क्रियान्वित होती रहीं।
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निवेश के समझौते होना एक नया विश्वास करता है पैदा
इस दृष्टि से मोहन यादव को भी पार्टी और केंद्रीय नेतृत्व और बहुत हद तक प्रदेश की स्थानीय संस्थाओं, पंचायत, नगर पालिका निगमों और जनता का सहयोग मिलने पर औधोगिक विकास एवं रोजगार उपलब्ध कराने में असाधारण सफलता मिलने की स्पष्ट संभावनाएं दिख रही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन के बाद प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों या मुंबई, कोलकाता में उद्यमी निवेश सम्मलेन, ब्रिटेन और जर्मनी में भी बैठकों से विभिन्न क्षेत्रों में पूंजी निवेश के समझौते होना एक नया विश्वास पैदा करता है। हां, अपेक्षाओं का पहाड़ है और विकसित भारत का 2047 के लक्ष्य के लिए प्रतियोगिता कम नहीं होगी। फिर भी पहले वर्ष में बनती सुनहरी तस्वीर मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश को सही अर्थों में गौरवशाली प्रदेश बना सकती है। हमारी शुभकामनाएं
आलोक मेहता ( पद्मश्री , संपादक एवं लेखक हैं )
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