सतना जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ गई है ( Satna Medical College )। करीब 250 करोड़ की लागत से बनाए गए मेडिकल कॉलेज में मान्यता के लिए जुगाड़ की फैकल्टी लाई गई थी। नेशनल मेडिकल काउंसिल ( एनएमसी ) ने इसे मान्यता भी दे दी। ऐसे में अब एनएमसी सवालों के घेरे में है। ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सुजीत मिश्रा की याचिका के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी फर्जीवाड़ा
दरअसल सतना सरकारी मेडिकल कॉलेज में मान्यता के लिए जुगाड़ की फैकल्टी लाई गई थी। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने इसे मान्यता भी दे दी थी। इस मामले में सतना के जिला अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सुजीत मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका पर जबलपुर हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच में 6 मई को सुनवाई की। वहीं एनएमसी ने 24 मई को अपना जवाब पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह ने 2023 में उद्घाटन किया था और 45 डॉक्टर्स को तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नियुक्ति पत्र सौंपे थे। वहीं हाई कोर्ट ने भी इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि एनएमसी से ही सवाल पूछा जाए कि जुगाड़ की फैकल्टी के आधार पर सतना कॉलेज को मान्यता कैसे दी गई। (satna Government Medical College )
कैसे हुआ मामले का खुलासा ?
ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सुजीत मिश्रा की याचिका के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। जिन 18 फैकल्टी को सतना मेडिकल कॉलेज में दिखाया गया है, डॉ. मिश्रा उनमें से एक हैं। उन्होंने हाई कोर्ट से मांग की है कि सीधी भर्ती न कर उन्हें ही यहां नियुक्ति दे दी जाए, क्योंकि एनएमसी के इंस्पेक्शन में उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर बताया गया है।
7 ऑटोनॉमस कॉलेज से बुलाए थे 53 डॉक्टर्स
सतना मेडिकल कॉलेज में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों से 53 मेडिकल टीचर्स को बुलाया गया था। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर डॉ. ज्योति तिवारी, पैथोलॉजी विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नैन्सी मौर्या व एसआर डॉ. प्रकृति राज पटेल और एनाटॉमी विभाग से डॉ. मीनू पुरुषोत्तम को सतना भेजा गया था। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से भी 18 फैकल्टी मांगी गई थीं।
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