मंत्री का करीबी सौरभ शर्मा मुंबई से रफूचक्कर, चेतन आईटी की हिरासत में

'द सूत्र' ने मामले की पड़ताल की तो पता चला कि सौरभ शर्मा पत्नी के साथ मुंबई गया था। वहां वह जयपुरिया ग्रुप की फ्रेंचाइजी के संबंध में बातचीत करने पहुंचा था, लेकिन जैसे ही उसे छापे की खबर लगी तो वह गायब हो गया है।

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Ravi Singh
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Saurabh Sharma Lokayukta action Chetan Singh Gaur

Saurabh Sharma Lokayukta action Chetan Singh Gaur Photograph: (the sootr )

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Bhopal : लोकायुक्त कार्रवाई की जद में आया पूर्व हवलदार और एक मंत्री का करीबी सौरभ शर्मा और उसका दोस्त चेतन सिंह गौर बुरी तरह घिर गए हैं। आयकर विभाग की टीम ने चेतन सिंह को शुक्रवार, 20 दिसंबर की देर रात अपनी हिरासत में ले लिया है। वहीं, सौरभ के बारे में खबर है कि वह मुंबई है। पहले पता चला था कि वह दुबई में है। जब 'द सूत्र' ने पूरी पड़ताल की तो पता चला है कि वह अपनी पत्नी के साथ मुंबई गया था। वहां वह जयपुरिया ग्रुप की फ्रेंचाइजी के संबंध में बातचीत करने पहुंचा था, लेकिन जैसे ही उसे छापे की खबर लगी तो वह गायब हो गया है। अब जांच टीमें सरगर्मी से उसकी तलाश कर रही हैं।

इस पूरी कार्रवाई में जांच टीमों को सौरभ के ठिकानों से करीब 50 रजिस्ट्रियां मिली हैं, जो भोपाल और इंदौर की प्रॉपर्टी से जुड़ी हैं। इधर, सौरभ के दोस्त चेतन सिंह गौर से सख्ती से पूछताछ की जा रही है। वह भी इस पूरे खेल में बड़ा मास्टरमाइंड है। लिहाजा, जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि उसके बयानों के आधार पर और भी बड़ी म​छलियों के नाम सामने आएंगे।

दोनों मामले एक-दूसरे से जुड़े

पहले माना जा रहा था कि जमीनों के हेरफेर के मामले में आयकर टीम ने बिल्डर राजेश शर्मा सहित अन्य पर जो कार्रवाई की है, वो अलग मामला है, जबकि लोकायुक्त की जद में आए सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर का केस अलग है। अब ये दोनों केस एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। इसका खुलासा होने के बाद अब लोकायुक्त टीम और आयकर विभाग ने पूर्व ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों से तीन करोड़ रुपए नकद, 200 किलो से ज्यादा चांदी की ​सिल्लियां, 10 किलो चांदी के जेवर और 50 लाख का सोना बरामद करते हुए अपने कब्जे में लिया है। पता चला है कि चांदी की सिल्लियां उसने जमीन में गाड़ रखी थीं।

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3 पाइंट में समझ ​लीजिए पूरा केस...

1. लोकायुक्त टीम ने 19 दिसंबर को Saurabh Sharma के अरेरा कॉलोनी स्थित घर पर दबिश दी। इस रेड में सौरभ के घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। इसके अलावा प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज मिले हैं। इन्हीं में 50 रजिस्ट्रियां भोपाल-इंदौर की प्रॉपर्टी से जुड़ी हैं। उसके साथी और दोस्त चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रुपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाड़ियों की कीमत दो करोड़ रुपए आंकी गई है।

2. सौरभ ने सिर्फ सात साल परिवहन विभाग में नौकरी की। इसके बाद वह एक मंत्री के संपर्क में आया और नौकरी छोड़ दी। आपको बता दें कि यह मंत्री पहले कमलनाथ सरकार, फिर शिवराज सरकार और अब मोहन सरकार में भी हैं। सौरभ ने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है।

3. 'द सूत्र' को मिले दस्तावेजों से साफ है कि सौरभ ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई थी। ग्वालियर के एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के अनुसार, सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। उसका भाई रायपुर में डिप्टी कमिश्नर फाइनेंस के पद पर पदस्थ है। ऐसे में सौरभ किसी भी स्थिति में नौकरी की पात्रता नहीं रखता था। इसके बावजूद उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे RTO में नौकरी पाई। एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने इस मामले में RTI भी लगाई है, मगर अब तक उन्हें विभाग ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।

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