सौरभ शर्मा की काली कमाई पर ED का बड़ा खुलासा, बताया किसके हैं करोड़ों रुपए और 52KG सोना

सौरभ शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ा खुलासा किया है। इसमें बताया गया कि पिछले साल एक लावारिस SUV से जब्त किए गए करोड़ों रुपए और 52KG सोना किसका था।

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Sourabh Bhatnagar
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को एक बड़ा खुलासा कर बताया कि मध्य प्रदेश में एक लावारिस SUV से जब्त किए गए करोड़ों रुपए की नकदी और सोना पूर्व परिवहन विभाग के आरक्षक सौरभ शर्मा का था। यह मामला लंबे समय से विवादों में था, और अब ED के इस बयान के बाद इस पर तमाम कयासों का अंत हो गया है।

क्या है पूरा मामला?

20 दिसंबर 2024 को इनकम टैक्स विभाग ने भोपाल में एक इनोवा कार से 52 किलोग्राम सोने के बिस्किट (करीब 40 करोड़ रुपए मूल्य) और 11 करोड़ रुपए नकद जब्त किए। यह कार चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जो सौरभ शर्मा के करीबी माने जाते हैं। इन बिस्किट्स और नकदी का जब्त होना अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के मामलों में से एक साबित हो रहा है। यह सारा मामला अब ED, आयकर विभाग और मध्य प्रदेश लोकायुक्त पुलिस द्वारा जांचा जा रहा है।

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तीन एजेंसियां कर रहीं मामले की जांच

इस पूरे मामले की जांच तीन प्रमुख एजेंसियां – प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग और मध्य प्रदेश लोकायुक्त पुलिस कर रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने सबसे पहले सौरभ शर्मा के खिलाफ छापा मारा था और उसके घर से 2.85 करोड़ रुपए नकद सहित कुल 3 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की थी।

कैसे सौरभ शर्मा ने बनाई अवैध संपत्ति?

ED के अनुसार, सौरभ शर्मा ने भ्रष्ट तरीकों से अवैध संपत्ति अर्जित की थी और इसे अपने परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और विभिन्न कंपनियों के नाम पर निवेश किया था। उन्होंने अपनी काली कमाई का एक हिस्सा विभिन्न कंपनियों के नाम पर निवेश किया और इन कंपनियों के जरिए और संपत्ति बनाई।

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सौरभ शर्मा और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी

ED ने इस मामले में सौरभ शर्मा के करीबी लोगों शरद जैसवाल, चेतन सिंह गौर, अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, अविरल एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और यू आर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नामों का भी खुलासा किया है। सौरभ शर्मा और उनके सहयोगी गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए हैं।

सौरभ शर्मा की भ्रष्टाचार में भूमिका

लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, सौरभ शर्मा ने 2015 में अपने सरकारी डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के तहत परिवहन विभाग में आरक्षक की नौकरी पाई थी। उन्होंने अपने भ्रष्ट तरीकों से भारी मात्रा में धन अर्जित किया और अपनी मां, पत्नी, और भाभी के नाम पर स्कूल, होटल, और अन्य व्यावसायिक परिसरों की स्थापना की थी।

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