स्कूलों में 74 हजार नियुक्तियों के दावे की हवा निकाल रहे अतिथि शिक्षक

प्रदेश के स्कूलों में 74 हजार नियुक्तियों वाले मंत्री शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह के बयान पर अतिथि शिक्षकों ने सवाल उठाए हैं। वे पूछ रहे हैं मंत्री बताएं 74 हजार अतिथि कौन से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

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Sanjay Sharma
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MP Bhopal guest teachers termed Minister Uday Pratap Singh claims regarding teacher recruitment as wrong
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मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा व्यवस्था में अतिथि शिक्षकों की भूमिका को मंत्री उदयप्रताप सिंह (Minister Uday Pratap Singh) ने अहम बताया है। वे 25 अक्टूबर को भोपाल के आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल डॉ. मंगूभाई और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान उन्होंने स्कूल शिक्षा के लिए विभाग के प्रयासों पर कसीदे पढ़े। इसी बीच उन्होंने कहा था प्रदेश में पदस्थ 74 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षक स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को संभाल रहे हैं। मंत्री के संबोधन का यही वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा में बना हुआ है। वहीं नियमितीकरण के आंदोलन में शामिल अतिथि शिक्षकों (guest teachers) ने मंत्री के बयान पर सवाल उठाए हैं। वे पूछ रहे हैं मंत्री बताएं 74 हजार अतिथि कौन से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

स्कूल शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण अतिथि शिक्षक

शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह शिक्षा व्यवस्था पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने सीमित संसाधनों में अच्छा काम किया है। पूरे प्रदेश में 37 हजार शिक्षकों को उच्च पद प्रभार के माध्यम से पदोन्नत किया है या जहां आवश्यकता थी ऐसी शालाओं में अतिशेष शिक्षकों को भेजा है। व्यवस्था में प्रदेश भर के शिक्षकों को भी योगदान रहा है। शिक्षण व्यवस्था में अतिथि शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। करीब 74 हजार अतिथि शिक्षकों को शिक्षण व्यवस्था से जोड़ा है।

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अतिथि शिक्षकों का सवाल ऐसे स्कूल बताएं

राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री के संबोधन के ये अंश अब सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। इस पर अतिथि शिक्षकों की प्रतिक्रिया भी आने लगी  हैं। नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज में जख्मी और अपराध दर्ज होने से नाराज अतिथि शिक्षक संगठनों ने मंत्री के बयान को तथ्यहीन बताया है।

अतिथि शिक्षकों का कहना है मंत्री ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का जो आंकड़ा बताया है वो पूरी तरह तथ्यहीन है। स्कूलों में डेढ़ से दो दशक से पढ़ाते आ रहे अतिथि शिक्षकों को विभाग ने मनमानी के साथ बाहर कर दिया है। कोई पोर्टल की तकनीकी खामियों का शिकार बना तो किसी को खराब रिजल्ट, अतिशेष शिक्षकों के स्थानांतरण या उच्च पद प्रभार के माध्यम से स्कूलों में नियुक्ति नहीं दी गई है। ऐसे में इन अतिथि शिक्षकों का भविष्य ही खतरे में पड़ गया है।

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नियमितीकरण की मांग दबाने में जुटा विभाग

अतिथि शिक्षक नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। दो बार बड़े आंदोलन भी भोपाल में किए  गए हैं इससे स्कूल शिक्षा विभाग संगठनों को तोड़ने की राजनीति कर रहा है। पुराने अतिथि शिक्षकों को जिस आधार पर नियुक्ति से बाहर किया गया है उसे नजर अंदाज कर नए लोगों को मौका दे दिया गया। यानी स्कूल शिक्षा विभाग नियमितीकरण की मांग को दबाने में जुट गया है। मंत्री ने जितने अतिथि शिक्षकों को नियुक्ति देने का दावा किया है उसकी जांच करानी चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो असलीयत सामने आ जाएगी कि आखिर कितने पुराने अतिथि शिक्षक बेवजह पदमुक्त कर दिए गए हैं।

जब महत्वपूर्ण मान रहें तो अनदेखी क्यों

अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसी पंवार का कहना है स्कूल शिक्षा मंत्री यदि अतिथि शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं तो उनके हितों की अनदेखी क्यों कर रहे हैं। कुछ दिन पहले प्रदर्शन के दौरान अतिथियों पर लाठियां भांजी गईं, कई लोगों पर अपराध दर्ज किए गए तब मंत्री महोदय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। अब स्कूल शिक्षा मंत्री को अतिथि शिक्षकों की परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। नियमितीकरण की मांग अहम मुद्दा है, क्योंकि ये मांग हजारों अतिथि शिक्षकों के भविष्य से जुड़ी है। सरकार को भी इस विषय पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।  

आवाज दबा सकें इसलिए पुराने अतिथि रिप्लेस

संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष बीएम खान के अनुसार स्कूल शिक्षा मंत्री ने हाल ही में एक समारोह के दौरान कहा है कि प्रदेश में 74 हजार अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। लेकिन क्या मंत्री महोदय बता पाएंगे इतने अतिथि शिक्षक किन स्कूलों में काम कर रहे हैं। अतिथि शिक्षकों के संगठनों के पास जो डेटा है उसके आधार पर 15-20 सालों से पढ़ाने वाले केवल 35 हजार अतिथि शिक्षकों को ही स्कूलों में जॉयनिंग दी गई है। विभाग की मनमानी के चलते प्रदेश में अतिशेष और पदोन्नति-स्थानांतरण के नाम पर अतिथि शिक्षकों को बाहर कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग में दो दशक से सेवाएं दे रहे अतिथियों को चॉइस फिलिंग जैसे हथकंडे अपनाकर पढ़ाने का मौका छीन लिया गया और नए लोगों को नियुक्त किया गया है। ऐसा सिर्फ नियमितीकरण की मांग को दबाने के लिए किया गया है।

जिन्हें बाहर किया उन्हें ही फिर मिले मौका

संगठन की निवाड़ी जिला अध्यक्ष अनुपमा सूत्रकार का कहना है अतिथि शिक्षक लंबे समय से नियमितीकरण की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। शिक्षा मंत्री स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को अतिथि शिक्षकों ने संभाला है। प्रदेश में 74 हजार अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। ऐसे में हमारी अपील है कि मंत्री महोदय जब आप शिक्षा व्यवस्था में अतिथि शिक्षकों के योगदान को मान रहे हैं तो उनके भविष्य की सुरक्षा की चिंता करना भी आपकी जिम्मेदारी है। सरकार को नियमितीकरण के रूप में अतिथि शिक्षकों को उनका हक देना चाहिए।  जिन्हें खराब रिजल्ट और चॉइस फिलिंग की वजह से हटाया गया है उन्हें एक मौका और देना चाहिए।

इस खबर से संबंधित 5 सामान्य सवाल-जवाब

अतिथि शिक्षकों की भूमिका क्या है?
अतिथि शिक्षक स्कूल शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा मंत्री के अनुसार, बेहतर शिक्षा प्रदान करने में मदद कर रहे हैं और प्रदेश में 74000 से ज्यादा अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं।
अतिथि शिक्षकों की नियमितीकरण की मांग क्यों है?
अतिथि शिक्षक लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं क्योंकि उनके भविष्य को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षक बिना कारण हटाए जा रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने कितने अतिथि शिक्षकों का जिक्र किया है?
शिक्षा मंत्री सिंह ने कहा है कि प्रदेश में 74000 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं, जो स्कूल शिक्षा व्यवस्था को संभाल रहे हैं।
अतिथि शिक्षकों ने मंत्री के बयान पर क्या सवाल उठाए हैं?
अतिथि शिक्षकों ने मंत्री से सवाल किया है कि वे बताएं कि ये 74000 अतिथि शिक्षक किन स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। साथ ही नाराज अतिथि शिक्षक संगठनों ने मंत्री के बयान को तथ्यहीन बताया है।
अतिथि शिक्षकों की समस्याएं क्या हैं?
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उन्हें मनमानी तरीके से बाहर किया गया है, नियमितीकरण की मांग को दबाने के लिए नए शिक्षकों को मौका दिया जा रहा है, और कई शिक्षक आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए हैं।

 

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