इंदौर कलेक्टर सिंह के लिए कमजोर कड़ी साबित हो रहे एसडीएम, करना पड़ा नो वर्क नो पे जैसा कठोर आर्डर

रविवार ( 18 फरवरी) को कलेक्टर ने राजस्व अधिकारियों की बैठक ली, जो अधिकारियों के मूल काम है। इसमें नामांतरण, बटांकन, सीमांकन जैसे विविध काम आते हैं।

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Pratibha Rana
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इंदौर कलेक्टर सिंह

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संजय गुप्ता, INDORE. कलेक्टोरेट में आम व्यक्ति का राजस्व व अन्य काम सीधे बिना दलालों के और बिना इंतजार किए हो जाए, ऐसी मंशा सीएम की भी और इंदौर कलेक्टर (डीएम) की भी। लेकिन इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह (Indore Collector Ashish Singh) के लिए इस मंशा में सबसे बड़ा रोड़ा और कोई नहीं उन्हीं के हाथ-पैर यानि अधिकारी बन रहे हैं। इसमें भी एसडीएम सबसे कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं। हालत यह हो गई है कि कलेक्टर को सभी एसडीएम के सात दिन की वेतन कटौती करने के आदेश जारी करने पड़े और आदेश में लिखना पड़ा कि- कार्य नहीं तो वेतन नहीं (नो वर्क नो पे)। 

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क्यों किया कलेक्टर ने यह आदेश

रविवार को कलेक्टर ने राजस्व अधिकारियों की बैठक ली, जो अधिकारियों के मूल काम है। इसमें नामांतरण, बटांकन, सीमांकन जैसे विविध काम आते हैं। जब कलेक्टर ने समीक्षा की तो पाया कि जो हालत बीती बैठक में थी उससे और अधिक गिरावट आ गई है और लंबित केस घटने की जगह बढ़ गए हैं। किसी के काम में कोई प्रगति नहीं दिख रही है। इसके बाद कलेक्टर ने नाराज होते हुए यह आदेश जारी कर दिए, जब काम ही नहीं किया तो फिर वेतन किस बात का दिया जाए। 

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अधिकारी अनुभवनहीन के साथ मैदानी पकड़ से भी दूर

  •    एसडीएम पर जो अधिकारी है वह मुख्य तौर पर 2017 व 2018 बैच के हैं। वहीं कुछ एसडीएम प्रमोटी है तो तहसीलदार से प्रमोट होकर कार्यवाहक एसडीएम बने हैं। 

    -    इंदौर में यह बमुश्किल एक साल से पदस्थ है। लेकिन इतने समय में भी इन अधिकारियों ने मैदान पकड़ नहीं बनाई है। फील्ड वर्क खत्म है और सब कुछ पटवारी और आरआई के हवाले हैं और उन्हीं के भरोसे तहसीलें चला रहे हैं। 

    -    कलेक्टोरेट में एक बार फिर दलाल सिस्टम शुरू हो गया है, दलाल और एवजी के सहारे तहसीलें चल रही है। यानि जिनके दलाल सक्रिय, उनका काम तेजी से, बाकी आम जन भटकती रहती है। 

    -    राजस्व कोर्ट में तारीख लगाने का काम, पोर्टल पर आवेदन नहीं चढ़ाने, किसी ना किसी वजह से आवेदन में खामी बताने का काम जोरों पर है।

    -    यही हाल एसडीएम स्तर से लेकर तहसील स्तर पर भी है। वहां भी अनुभवहीन अधिकारी बैठे हुए हैं, जो पटवारी और आरआई के भरोसे तहसील चला रहे हैं, खुद मौके पर जाने में कोताही बरतते हैं।

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यह है अभी कलेक्टोरेट में एसडीएम

मल्हारगंज एसीडएम ओमनारायण सिंह बड़कुल, राउ राकेश परमार, जूनी इंदौर धनराज धनगर, कनाडिया राकेश मोहन त्रिपाठी, देपालपुर रवि वर्मा, सांवेर गोपाल वर्मा, खुडैल अजीत श्रीवास्तव, भिचौली हप्सी कल्याणी पांडे, हातोद अजय शुक्ला, महू विनोद राठौर। इसके साथ ही विविध शाखाओं का प्रभार प्रिया पटेल वर्मा, रोशनी वर्धमान, निधि वर्मा, चंद्रसिंह धर्वे, विजय मंडलोई, सीमा कनेश मौर्य देख रहे हैं। 

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राजस्व बैठक में कलेक्टर ने दो टूक कही बात

कलेक्टर ने दो टूक कहा- आमजन की बातों और आंकड़ों में राजस्व अफसरों का काम नजर आना चाहिए। 31 दिसंबर तक के प्रकरणों का निराकरण नहीं हुआ है। बार-बार कहने के बाद भी 6 माह से लंबित प्रकरणों में कमी नहीं आई। नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, नक्शा के प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिले की रैंकिंग नीचे जा रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि राजस्व कार्यालों में एवजी व दलाल नहीं दिखें। लगातार शिकायतें मिल रही हैं।

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