कुबेरेश्वर धाम आए 7 श्रद्धालुओं की मौत पर पहली बार बोले कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा

कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है, जहां हाल ही में दो और मौतें हुईं। विवाद के बीच प्रदीप मिश्रा ने मामले में पहली प्रतिक्रिया दी है।

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Sourabh Bhatnagar
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कुबेरेश्वर धाम (Kubershwar Dham) मध्य प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आकर अपनी आस्था को व्यक्त करते हैं। लेकिन हाल के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन और मंदिर समिति की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि हाल ही में हुईं दो और मौतों के बाद श्रद्धालुओं की मौतों का आंकड़ा बढ़कर सात तक पहुंच गया है।

बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने प्रदीप मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। वहीं, मध्य प्रदेश मानवाधिकार पैनल ने मामले की जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर प्रदीप मिश्रा ने भी अपना बयान जारी किया है।

कब क्या हुआ, आसान भाषा में समझें

बुधवार (6 अगस्त) को कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के जरिए सीहोर की सीवन नदी से कुबेरेश्वर धाम तक 11 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा निकाली गई। इसमें दो लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने का दावा किया गया।

इससे पहले मंगलवार को कथित तौर पर हुई भगदड़ के कारण दो महिलाओं की जान चली गई, बुधवार को अलग-अलग कारणों से अलग-अलग जगहों पर तीन श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई और गुरुवार को भी दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई। दोनों की मौत का कारण हृदय गति रुकना (heart attack) बताया गया। पिछले तीन दिनों में यह सातवीं मौत थी, जिससे मृतकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।

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पहली बार ये बोले पं. प्रदीप मिश्रा

चिंता की बात यह है कि कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मामले में न तो प्रशासन और न ही मंदिर समिति किसी ठोस कदम उठा पा रही है। श्रद्धालुओं की मौत पर पं. प्रदीप मिश्रा ने पहली बार प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जो श्रद्धालु यहां आकर प्राण गवां बैठे, वे मेरे परिवार के सदस्य हैं। कुबेरेश्वर धाम सभी बहनों का मायका है।"

हालांकि, पं. मिश्रा ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कारणों से कोई श्रद्धालु मरे तो मंदिर समिति उस परिवार के साथ खड़ी है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई भी ठोस कदम देखने को नहीं मिल रहा है।

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मौतों की बढ़ती संख्या

इस घटनाक्रम के बाद 3 दिनों में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, लेकिन प्रशासन इस पर चुप्प है। आयोजन प्रभारी इस मामले पर बात नहीं कर रहे, और जिला अस्पताल के स्टाफ को भी जानकारी साझा न करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, कुबेरेश्वर धाम परिसर में डीजे बजाने की वजह से 8 डीजे को जब्त किया गया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

पिछले तीन वर्षों में कुबेरेश्वर धाम में 15 जानें जा चुकी

कुबेरेश्वर धाम में सुरक्षा और सुविधाओं की गंभीर कमी दिखती है। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब श्रद्धालुओं की मौत हुई हो। पिछले तीन वर्षों में यहां कुल 15 जानें जा चुकी हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि सुरक्षा के इंतजामों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही एक बड़ी समस्या है।

क्या है कारण?

इस घटनाक्रम में एक सामान्य पैटर्न उभरकर सामने आता है: लाखों श्रद्धालु एक जगह इकट्ठा होते हैं, लेकिन न तो पर्याप्त पानी की व्यवस्था होती है, न शौचालय की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, और न ही आपातकालीन चिकित्सा सहायता। साथ ही, मार्ग योजना और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्थाएं न के बराबर होती हैं। इन सभी बुनियादी व्यवस्थाओं की कमी के कारण, हर साल श्रद्धालु अपनी जान जोखिम में डालते हैं।

मप्र में धार्मिक आयोजनों का काला इतिहास

  • मध्य प्रदेश में धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही के कारण कई बड़े हादसे हो चुके हैं।

  • पिछले 12 वर्षों में चार बड़े धार्मिक आयोजनों या मंदिरों में भगदड़ और लापरवाही के चलते 159 लोगों की मौत हो चुकी है।

  • हर बार हादसों के कारण वही दो समस्याएं होती हैं:

    • भीड़ का सही आकलन न होना।

    • सुरक्षा इंतजामों का न होना।

क्या हो सकता है समाधान?

सिस्टम में सुधार के लिए हर साल जांच रिपोर्ट आती है, लेकिन उन सुधारों का कोई असर नहीं दिखता। हर बार सुरक्षा इंतजामों को लेकर जांच होती है, लेकिन जब तक वास्तविक सुधार नहीं होते, श्रद्धालु अपनी जान जोखिम में डालते रहेंगे। अगर प्रशासन और मंदिर समिति इन मुद्दों पर गंभीरता से काम नहीं करती, तो यह मौतें सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम का अपराध बन जाएंगी।

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