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मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई। बुधवार को मेटेवानी चेक पोस्ट पर ट्रक चालकों ने एक वर्दीधारी को ट्रक से बांधकर पीटा। इस मामले के बाद परिवहन आयुक्त ने चेक प्वाइंट प्रभारी को कार्यालय में संलग्न कर दिया। अब तक परिवहन निरीक्षक के निलंबन का प्रस्ताव या आदेश जारी नहीं किया गया है। 11 जून को घटी घटना में वर्दीधारी युवक की पहचान कुरई थाना क्षेत्र के पिपरिया गांव के 24 वर्षीय आशीष पिता शिवप्रसाद के रूप में हुई। युवक शराब के नशे में धुत्त था और काला बेल्ट पहने हुए था। इस पूरी घटना ने मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग (Transport Department) की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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ट्रक ड्राइवरों ने रस्सी से बांधा, वीडियो बनाया
ट्रक चालकों को जब यकीन हो गया कि फर्जी वर्दीधारी नशे में है, तो उन्होंने उसे रस्सी से बांध दिया। इस पूरे दृश्य का वीडियो बना लिया। यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया और कुछ ही घंटों में परिवहन विभाग के अफसरों तक पहुंच गया।
तत्काल हटाए गए प्रभारी निरीक्षक
यह मामला जैसे ही परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा के संज्ञान में आया, उन्होंने तुरंत एक कड़ा आदेश जारी कर जे.पी. उइके को सिवनी चेकपॉइंट से हटाकर ग्वालियर मुख्यालय से अस्थायी रूप से संबद्ध कर दिया। आदेश में स्पष्ट लिखा गया कि उनके विरुद्ध गंभीर शिकायत प्राप्त हुई है। जांच के उपरांत आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश प्रदेश के परिवहन सचिव, परिवहन मंत्री के कार्यालय, उप परिवहन आयुक्त जबलपुर, सिवनी क्षेत्रीय कार्यालय सहित सभी संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है।
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चेकिंग के नाम पर अब भी खुला है लूट का रास्ता
इस घटना ने एक और अहम सवाल खड़ा किया – क्या हाईवे पर हो रही चेकिंग वैध थी? क्या यह सिर्फ "वसूली अभियान" बनकर रह गया था?
दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में हाईवे पर चेकिंग की पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब प्रदेश में स्थायी चेक पोस्ट बंद कर दिए गए हैं।
सवालों के घेरे में सिवनी चेकिंग टीम
सिवनी में जिस जगह जे.पी. उइके द्वारा चेकिंग की जा रही थी, वहां न तो प्रमाणित चेकिंग पॉइंट था, न ही कोई मोबाइल यूनिट की अधिसूचना, और न ही आवश्यक उपकरण मौजूद थे। यानि कि यह पूरी कार्रवाई पहले से ही नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आती है , ऊपर से शराब के नशे ने मामले को और गंभीर बना दिया।
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सिस्टम की नीयत पर जनता का गुस्सा
वीडियो वायरल होते ही ट्रक ऑपरेटर्स और व्यापारिक संगठनों में रोष फैल गया। लोगों ने सवाल किया कि जब शराब में धुत अधिकारी खुलेआम चेकिंग के नाम पर वसूली कर सकते हैं, तो छोटे व्यापारी और ड्राइवर कहां जाएं? वहीं विभाग का दावा है कि नई चेकिंग प्रणाली लागू होने के बाद पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है, लेकिन सिवनी की घटना ने साबित कर दिया कि जमीनी स्तर पर सुधारों का पालन अभी भी अधूरा है।
परिवहन विभाग की नई नीति
नए रोड सेफ्टी एंड इन्फोर्समेंट पॉइंट्स (Gujarat मॉडल पर) बनाए जा रहे हैं। चेकिंग केवल मोबाइल यूनिट द्वारा होनी चाहिए, जिसमें वर्दीधारी कर्मचारी, POS मशीन और बॉडी कैमरे अनिवार्य हैं। एक वाहन एक टीम पॉलिसी लागू है, जिससे ट्रैफिक बाधित न हो और मनमानी पर लगाम लगे। चेकिंग का समय 15 मिनट से अधिक नहीं हो सकता और रात में चेकिंग तभी होगी जब पर्याप्त रोशनी हो और सुरक्षा उपकरण हों।
जनता की सजगता ही सबसे बड़ी निगरानी
सिवनी की यह घटना एक चेतावनी है कि सिर्फ आदेश जारी कर देना काफी नहीं होता, जब तक उनकी निगरानी और पालन सुनिश्चित न हो। इस पूरी घटना में ट्रक चालकों की सजगता, वीडियो साक्ष्य और सोशल मीडिया के दबाव ने साबित कर दिया कि जनता अब सिर्फ तमाशबीन नहीं, बल्कि व्यवस्था सुधारने वाली ताकत बन चुकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच में क्या सामने आता है और क्या इस अधिकारी के विरुद्ध निलंबन या सेवा समाप्ति जैसी कड़ी कार्रवाई होती है या नहीं।
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