मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ( Shivraj Singh Chauhan ) और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक अवमानना मामले में शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ( BJP State President Vishnudutt Sharma) और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ( Former Minister Bhupendra Singh ) भी आरोपी हैं। पूर्व में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट द्वारा इन तीनों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस वारंट पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
मामला और आरोप
राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ( Vivek Tankha ) ने यह मामला दायर किया है। यह प्रकरण मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव के दौरान परिसीमन और रोटेशन से जुड़ा है। तन्खा का आरोप है कि शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, और भूपेंद्र सिंह ने ओबीसी आरक्षण पर रोक के फैसले को लेकर गलत बयानबाजी की। तन्खा का दावा है कि इन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई रोक का दोष उन पर मढ़ दिया, जिससे उनकी छवि को ठेस पहुंची और अदालत की गरिमा का अपमान हुआ।
यह मामला तब उभरा जब तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत और निकाय चुनावों में रोटेशन और परिसीमन की पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद भाजपा नेताओं ने इस फैसले को गलत ढंग से प्रस्तुत कर तन्खा पर आरोप मढ़े।
कपिल सिब्बल करेंगे पैरवी
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ( Kapil Sibal ), विवेक तन्खा की ओर से पैरवी करेंगे। सिब्बल इसके बाद जबलपुर की धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक व्याख्यान भी देंगे। यह व्याख्यान विश्वविद्यालय के छात्रों के विशेष अनुरोध पर आयोजित किया गया है। इसके अलावा, सिब्बल और तन्खा मप्र हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे।
वारंट और उसकी चुनौती
एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट द्वारा शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ जारी किए गए जमानती वारंट को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन नेताओं ने याचिका दायर कर कोर्ट से राहत की मांग की थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने वारंट पर अंतरिम रोक लगाई थी। अब इस मामले की सुनवाई 23 सितंबर को होनी है, जिसमें मामले के सभी पक्षों को सुना जाएगा।
कानूनी दृष्टिकोण
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें उच्च स्तर के नेताओं पर आरोप लगे हैं। विवेक तन्खा ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेताओं ने न्यायिक प्रक्रिया और अदालत के आदेशों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर उनका अपमान किया। इसके अलावा, यह मामला अदालत की गरिमा से भी जुड़ा है, क्योंकि न्यायालय के आदेश को लेकर सार्वजनिक मंच पर गलत बयानबाजी की गई थी।
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