शिक्षकों की कमी ने लगाया स्कूल शिक्षा पर ग्रहण तिमाही रिजल्ट भी बिगड़ा

सिंगरौली जिले की 1503 प्राथमिक और 115 माध्यमिक शालाओं का औसत परिणाम 24 फीसदी ही रहा है। वहीं अशोकनगर जिले की 1194 माध्यमिक और प्राथमिक कक्षाओं में रिजल्ट 13.50 फीसदी दर्ज किया गया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. शिक्षकों की कमी से जूझ रहे एजुकेशन सिस्टम की बेहाल परिस्थितियां सामने आने लगी हैं। तैमासिक परीक्षा का रिजल्ट देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वार्षिक परीक्षा के नतीजे कैसे आने वाले हैं। वहीं सरकारी स्कूलों के भरोसे अपने बच्चों का भविष्य संवरने की आस में बैठे ग्रामीणों की उम्मीद को पहला झटका लग चुका है। हांलाकि यह पहली बार नहीं है क्योंकि बीते शिक्षण सत्र में भी हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी के परिणाम निराशाजनक रहे थे। यानी शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा व्यवस्था की जो खराबी बीते साल थी उसे विभाग के दावे सुधार नहीं पाए। तैमासिक परीक्षा के रिजल्ट को देखकर तो स्कूली शिक्षा की हालत पहले से बदतर नजर आ रही है।

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तिमाही परीक्षा का रिजल्ट दिवाली से पहले

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी की कक्षाओं में त्रैमासिक परीक्षा (तिमाही ) का रिजल्ट दिवाली से पहले जारी हो चुका है। रिजल्ट बीते साल के मुकाबले कमजोर बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इस साल त्रैमासिक परीक्षा में 45 से 50 फीसदी परीक्षार्थी भी अच्छा ग्रेड हासिल नहीं कर पाए हैं। इसमें भी ए और ए+ ग्रेड वाले परीक्षार्थियों की संख्या तो इतनी कम है कि इसको लेकर बेहतर रिजल्ट देने वाले सरकारी स्कूलों  में भी मंथन होने लगा है। ज्यादातर छात्र_ छात्राओं के हिस्से में D और E ग्रेड ही आए हैं। हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी कक्षाओं में त्रैमासिक परीक्षा का रिजल्ट बिगड़ने की वजह एक बार फिर चर्चा में हैं।  

तीन महीने खाली पड़ी रहीं कक्षाएं 

इस बार शैक्षणिक सत्र की शुरूआत में DPI स्कूलों में व्यवस्था सुधारने के प्रति संवेदनशील नजर आ रहा था। सत्र से ठीक पहले ही शिक्षकों के स्थानांतरण, खाली जगहों को अतिशेष शिक्षकों को भेजकर भरने के साथ ही अतिथि शिक्षकों की जल्द नियुक्ति को लेकर भी कार्रवाई शुरू की गई थी। लेकिन यह सब दिखावा ही साबित होकर रह गया। पोर्टल के माध्यम से अतिथि शिक्षकों की भर्ती उलझन बनकर रह गई। 30 फीसदी से कम रिजल्ट का रोड़ा अटकाकर हजारों गेस्ट फैकल्टी बाहर कर दी गई।

बचे अतिथि शिक्षक  कभी सर्वर डाउन रहने तो कभी पोर्टल की तकनीकी खामियों के कारण अपात्र होकर रह गए। 72 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षकों में से करीब 30 हजार को मौका ही नहीं मिला। यानी अब भी अतिथि शिक्षकों की ये जगह खाली पड़ी है। तो अंदाजा लगाया जा सकता है इन स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के स्थान पर पढ़ाई कौन करा रहा है। इसके अलावा जुलाई से सितम्बर माह के बीच जीएफएमएस पोर्टल पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति अटकी रही और हजारों स्कूलों में शिक्षक ही नहीं पहुंचे। 

परीक्षा परिणाम से भी नहीं लिया सबक

मध्य प्रदेश में साल 2024 यानी बीते शिक्षण सत्र में 10 और 12 कक्षा की परीक्षाओं में 17 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे।  कक्षा 10वीं का परीक्षा परिणाम 58.10 प्रतिशत और 12वीं का परिणाम 64.49% रहा था। बीते साल के मुकाबले परीक्षा परिणाम के गिरते ग्राफ से चिंतित अधिकारी साल 2024 में स्कूलों में अध्यापन व्यवस्था को बेहतर बनाने का दावा कर रहे थे। लेकिन यहां भी DPI अपने लचर रवैए से नहीं उबर पाई। 

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सरकारी स्कूलों में भगवान भरोसे बच्चों की पढ़ाई

सितम्बर माह में हुई त्रैमासिक परीक्षा के परिणाम सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के माता_पिता की चिंता बढ़ाने वाले हैं। हायर सेकेण्डरी और हाईस्कूलों के त्रैमासिक परीक्षा परिणामों से अब स्कूलों में पढ़ाई की हकीकत सामने आ गई है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों के परिणाम 45 से 50 फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाए हैं और ज्यादातर बच्चे D और E ग्रेड पर ही अटक कर रह गए हैं। यानी इस बार त्रैमासिक परीक्षा का रिजल्ट बीत साल के फिसड्डी परिणाम की राह पर आगे बढ़ रहा है। 

दमोह में 50 फीसदी छात्र D और E ग्रेड पर

इस बार भी प्रदेश के प्रमुख जिलों के सरकारी स्कूलों में त्रैमासिक परीक्षा परिणाम संतोषजनक नहीं है। दमोह में कक्षा 9 वी में 11 हजार से ज्यादा बच्चे डी और ई ग्रेड में रहे हैं। यही स्थिति 10वी क्लास में है। यहां डी ग्रेड पाने वाले 1700 जबकि ई-ग्रेड हासिल करने वाले छात्रों की संख्या सवा 5 हजार है। हायर सेकेण्डरी की 11वी कक्षा में अलग-अलग विषयों में सवा 8 हजार छात्र-छात्राओं में से 32 सौ फेल हुए हैं। 12वी कक्षा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही है। यहां भी परीक्षा में शामिल होने वाले 56 सौ विद्यार्थियों में से 2 हजार का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। दमोह डीईओ एसके नेमा भी इस परीक्षा परिणाम से चिंतित हैं और प्रदर्शन में सुधार के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाने की सफाई दे रहे हैं। 

विदिशा, सीधी और टीकमगढ़ में भी अच्छे नहीं हालात

विदिशा जिले में भी हायर सेकेण्डरी और हाईस्कूल कक्षाओं का परिणाम 60 फीसदी रहा है। हांलाकि ये औसत परिणाम है लेकिन जिले के दूरस्थ अंचलों में हालत अच्छी नहीं है। कुछ स्कूलों में तो 10 फीसदी छात्र भी पास नहीं हुए हैं। तो कई जगह 20 से 30 फीसदी छात्र परीक्षा देने तक नहीं पहुंचे। जिले में हाई स्कूल की 9 और 10 वी कक्षा में 15 हजार से ज्यादा विद्यार्थी सी, डी और ई ग्रेड पर अटक कर रह गए हैं। वहीं हायर सेकेण्डरी में 11वी कक्षा में करीब 4 हजार तो 12वी कक्षा में सवा 2 हजार विद्यार्थी अनुतीर्ण रहे हैं। हांलाकि ये त्रैमासिक परीक्षा का परिणाम है लेकिन बाकी के तीन महीने में पढ़ाई में सुधार कैसे होगा जबकि शिक्षक हैं ही नहीं।  सीधी जिले में भी परीक्षा परिणाम स्कूल शिक्षा की बदहाली को उजागर करने वाले हैं। त्रैमासिक परीक्षा में कक्षा 9 और 10 वी में औसत रिजल्ट 40 फीसदी भी नहीं रहा है। यही स्थिति हायर सेकेण्डरी कक्षाओं की रही है। इनमें 12 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं डी और ई ग्रेड पर सिमट कर रह गए हैं। टीकमगढ़ जिले में हायर सेकेण्डरी में कक्षा 11वी और 12 वी का परिणाम भी 35 फीसदी ही रहा है। यहां भी त्रैमासिक परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों की संख्या 7 हजार से ज्यादा नहीं है। 

जब पढ़ाने वाले ही नहीं तो अच्छे रिजल्ट की उम्मीद बेमानी

हायर सेकेण्डरी और हाईस्कूल की कक्षाओं में त्रैमासिक परीक्षा वैसे तो साल का भविष्य तय नहीं करती लेकिन इसे देखकर पढ़ाई के स्तर को समझा जा सकता है। अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसी पंवार का कहना है इस शिक्षण सत्र की शुरूआत ही विवादों से घिरी रही है। लोक शिक्षण संचालनालय ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बड़े-बड़े वादे तो किए लेकिन फिर पोर्टल का पेंच अटका दिया। तीन महीने तक अतिथि डीपीआई के चक्कर लगाते रहे, तकनीकी खामी दूर करने की जगह अफसर टाल-मटोल में लगे रहे। अतिथि शिक्षकों को आंदोलन करने पड़े और करीब 74 हजार अतिथि शिक्षकों के पद इस वजह से खाली रहे। तीन महीने यानी शिक्षण सत्र की शुरूआत के अहम समय कक्षाओं में पढ़ाई ही नहीं हुई। वेटिंग शिक्षक संघ के समन्वयक मनोज दंडोतिया ने बताया दो साल से पात्रता और चयन परीक्षा के बाद वर्ग_1 के शिक्षक नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। इसमें भी बैगलॉग का पेंच अटका दिया गया है। 35 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली है और डीपीआई बैगलॉग मिलाकर 8 हजार पदों पर भर्ती करने पर अड़ी है। तो बताइए जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो कक्षाओं में पढ़ाएगा कौन। 

प्राथमिक और माध्यमिक का रिजल्ट भी बिगड़ा

अब आप प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं के त्रैमासिक परीक्षा परिणाम की हालत भी जान लीजिए। इस इन कक्षाओं में भी अतिथि शिक्षकों की कमी के कारण सिलेबल अधूरा रह गया और असर त्रैमासिक परीक्षा के रिजल्ट पर नजर आ रहा है। सिंगरौली जिले की 1503 प्राथमिक और 115 माध्यमिक शालाओं का औसत परिणाम 24 फीसदी ही रहा है। वहीं अशोकनगर जिले की 1194 माध्यमिक और प्राथमिक कक्षाओं में रिजल्ट 13.50 फीसदी दर्ज किया गया है। शाजापुर जिले की 732 शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों का त्रैमासिक परिणाम 20.28 फीसदी ही रहा है।

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