महाकालेश्वर से लेकर ओंकारेश्वर तक, सावन के आखिरी सोमवार पर शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़

श्रावण 2025 का अंतिम सोमवार, महाकाल सहित देशभर के शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़। महाकाल की शाही सवारी और पर्यटन थीम पर झांकियां मुख्य आकर्षण। भक्तों में दिखा अद्भुत उत्साह।

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Kaushiki
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आज ( 4 अगस्त 2025) सावन माह का चौथा और अंतिम सोमवार है और पूरा भारत भगवान शिव की भक्ति में लीन है। मध्यप्रदेश में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से लेकर टीकमगढ़ के कुंडेश्वर और भोजपुर के भोजेश्वर महादेव मंदिर तक, शिवालयों में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है।

सुबह तड़के से ही मंदिरों के कपाट खुल गए और श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ का अभिषेक कर आशीर्वाद लिया। महाकाल में शाही सवारी की तैयारी है, जिसमें मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों पर आधारित झांकियां भी शामिल होंगी।

यह दिन भगवान शिव के प्रति असीम श्रद्धा और अटूट विश्वास का प्रतीक बन गया है। इस खास मौके पर महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में भक्ति का एक अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। शाम 4 बजे भगवान महाकाल भक्तों का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

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28 जुलाई बाबा महाकाल का तीसरा नगर भ्रमण, शिवतांडव स्वरूप में भक्तों को  देंगे दर्शन

महाकाल की शाही सवारी

विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार तड़के 2.30 बजे भस्म आरती के दौरान कपाट खोले गए। भगवान महाकाल को जल अर्पित कर भस्म रमाई गई।

पंचामृत अभिषेक पूजन कर भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। 

  • पालकी में श्री चंद्रमोलेश्वर: भगवान महाकालेश्वर श्री चंद्रमोलेश्वर स्वरूप में पालकी में विराजमान होंगे, जो उनकी शीतलता और सौम्यता का प्रतीक है।
  • गजराज पर श्री मनमहेश: गजराज पर श्री मनमहेश रूप में भगवान शिव का विराट स्वरूप दिखेगा, जो उनकी शक्ति और ऐश्वर्य को दर्शाता है।
  • गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव प्रतिमा: गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव की प्रतिमा स्थापित होगी, जो भगवान के नटराज स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती है और सृष्टि के लय को दर्शाती है।
  • नंदी रथ पर श्री उमा-महेश जी: नंदी रथ पर श्री उमा-महेश जी स्वरूप में भगवान शिव अपनी अर्धांगिनी पार्वती के साथ दर्शन देंगे, जो गृहस्थ जीवन और दांपत्य प्रेम का प्रतीक है।

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देशभर के शिवालयों में भक्ति का माहौल

महाकाल के अलावा भी देशभर के अन्य प्रमुख शिवालयों में श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर भक्ति का अद्भुत नजारा है।

टीकमगढ़ में ब्रह्म मुहूर्त से रुद्राभिषेक

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टीकमगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कुंडेश्वर में भगवान भोलेनाथ का स्वयंभू शिवलिंग है। आज सावन के आखिरी सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे भगवान भोलेनाथ का पंचामृत से रुद्राभिषेक किया गया।

आरती के बाद गर्भ गृह भक्तों के लिए खोल दिया गया। सुबह से ही भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।

विदेशी फूलों से सजे बाबा ओंकार

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी सावन के अंतिम सोमवार (सावन का सोमवार) को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। भगवान ओंकारेश्वर का विशेष श्रृंगार देसी और विदेशी फूलों से किया गया है, जिससे पूरा मंदिर परिसर भव्य दिख रहा है।

सुबह 5 बजे मंगला आरती के बाद से ही दर्शन शुरू हो गए हैं और करीब 10 हजार श्रद्धालु कतार में लगे हैं। हालांकि, नर्मदा स्नान पर रोक है। दोपहर 2 बजे बाबा ओंकार की चांदी की पालकी में शाही सवारी निकलेगी, जो नगर भ्रमण कर वापस मंदिर पहुंचेगी। कोटितीर्थ घाट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक भी होगा। 

यहां भी सुबह से ही लंबी कतारें लगी हुई हैं और भक्त भगवान शिव के दर्शन कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं। मंदिर परिसर "हर हर महादेव" के जयकारों से गूंज रहा है, जिससे पूरे वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार हो रहा है।

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डमरू स्वरूप में सजे बाबा भोजेश्वर

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भोजपुर स्थित भोजेश्वर महादेव शिवलिंग (भोजपुर मंदिर) को इस बार डमरू स्वरूप में सजाया गया है। कई तरह के फूलों, बेलपत्र, आम के पत्ते और धतूरे से भगवान शिव का श्रृंगार किया गया है, जो अत्यंत मनमोहक लग रहा है। सुबह 5:30 बजे अभिषेक और 7:30 बजे महा आरती में शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु भोजपुर पहुंचे।

भक्तों का अटूट विश्वास

सावन मास : महाकाल की नगरी में छाई आस्था की बहार, श्रद्धालुओं का जमघट |  Patrika News | हिन्दी न्यूज

महाकाल मंदिर में भक्तों की भीड़ हर सोमवार को बढ़ती ही जा रही है, जो भगवान शिव के प्रति उनकी असीम आस्था को दर्शाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 

  • पहले सोमवार: 2.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे।
  • दूसरे सोमवार: 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
  • तीसरे सोमवार: 4 लाख भक्तों ने भगवान का आशीर्वाद लिया।
  • अंतिम सोमवार (आज):  तड़के 2:30 बजे से सुबह 7 बजे तक ही 35 हजार श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। उम्मीद है कि यह आंकड़ा शाम तक कई गुना बढ़ जाएगा।

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पर्यटन की थीम पर झांकियां

इस बार की शाही सवारी को भव्य स्वरूप देने के लिए प्रत्येक सवारी को अलग-अलग थीम पर निकाला जा रहा है। इस चौथी सवारी में मध्यप्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आधारित झांकियां शामिल होंगी। यह एक अनूठा प्रयास है जो धार्मिक यात्रा के साथ-साथ राज्य के समृद्ध पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

  • वन्य जीव पर्यटन: इस श्रेणी में मध्य प्रदेश के प्रमुख वन्य जीव पर्यटन स्थल जैसे कान्हा टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, रातापानी टाइगर रिजर्व और पन्ना टाइगर रिजर्व की झांकियां देखने को मिलेंगी।
  • धार्मिक पर्यटन: धार्मिक पर्यटन की झांकी में कृष्ण पथेय ओंकारेश्वर के आदि शंकराचार्य एकात्म धाम की झांकी शामिल होगी, जो राज्य की आध्यात्मिक विरासत को दर्शाएगी।
  • ऐतिहासिक पर्यटन: ऐतिहासिक पर्यटन में ग्वालियर का किला, चंदेरी का किला और खजुराहो के मंदिर प्रदर्शित होंगे, जो मध्य प्रदेश के गौरवशाली इतिहास की झलक प्रस्तुत करेंगे।
  • ग्रामीण पर्यटन: ग्रामीण पर्यटन की झांकी में मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा ओरछा में संचालित होम स्टे और ओरछा मंदिर की प्रतिकृति शामिल होगी, जो ग्रामीण जीवन और संस्कृति को उजागर करेगी।

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