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Indore. कारों पर तेज हूटर बजाते हुए बिना रूके हुए रौब जमाते हुए निकलना, यह नेताओं के साथ ही उनके छुटभैए समर्थकों को भारी रास आता है। लेकिन इसके लिए इंदौर पुलिस कोई मुहिम चलाने की हिम्मत नहीं जुटाती है क्योंकि यह वीवीआईपी राजनीतिक मामला है। उधर शुक्ला परिवार (संजय शुक्ला, गोलू शुक्ला) के परिवार का भौकाल जारी है। इनकी कारों, गाडियों पर बाणेश्वरी लिखा होता था, लेकिन अब यह हूटर भी लगाने लगे हैं।
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इंदौर के तेजाजी नगर थाना क्षेत्र में चेकिंग के दौरान आईपीएस एसीपी करण दीप सिंह ने एक एसयूवी को रोका जिस पर हूटर लगा था। कार पर बाणेश्वरी लिखा था। बताया जा रहा है कि कार मोनू खत्री नाम का व्यक्ति चला रहा था। कार रोके जाने के बाद ही रौब दिखाते हुए फोन लगाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने रोक दिया और सख्ती दिखाते हुए हूटर निकालने के लिए कहा और हूटर निकलवाया गया।
तेजाजी नगर प्वाइंट पर पुलिस की चेकिंग में बैरिकेड्स लगे थे। एसयूवी इंडेवर कार नंबर MP09CT2500 ने पुलिस बैरिकेड्स देखकर हूटर बजाना शुरू कर दिया और कार निकालने की कोशिश की। इस पर पुलिस ने से रोक लिया। कार पर हूटर लगे होने का कारण नहीं बता सका। कार की नंबर प्लेट के ऊपर एक लाल रंग से कवर नेम प्लेट थी।
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बाणेश्वरी इंदौर विधानसभा एक के शुक्ला परिवार का गाडियों पर लिखा होता है, चाहे वह पूर्व विधायक संजय शुक्ला हो या फिर विधायक गोलू शुक्ला या अन्य। जनसंघ के समय में पंडित विष्णु शुक्ला और उनके परिवार ने इस ब्रांड की स्थापना की थी। यह बाणमाता या बाणेश्वरी माता के भक्त हैं, इसलिए यह नाम कारों पर लिखते हैं। इनकी सभी वाहनों पर भले ही यह चलाएं या कोई और चलाएं। यह एक तरह से दादागिरी की टैग है, इसे लिखकर खूब भौकाल मचाओ, कोई रोकने वाला नहीं है। इंदौर-उज्जैन के बीच में बाणेश्वरी लिखी बसें ही चलती हैं और इनकी टोल से लेकर सवारी बैठाने तक में रौब चलता है और यह कोई नियम नहीं मानते हैं। आपको बताते चलें कि है ये तो माता रानी का नाम लेकिन इन गाड़ियों को चलाने वाले इसे दादागिरी के टैग की तरह उपयोग करते हैं।
विधायक गोलू शुक्ला के बेटे भी हूटर वाली ही कारों से ही चलते हैं। कारण सिर्फ एक ही है, वह विधायक के पुत्र हैं। हाल ही में उनके बेटे रूद्र शुक्ला प्रयाग भी गए तो हूटर बजाती हुई कारों से ही उनका काफिला गया। उन्हें भी कोई रोकने वाला नहीं है। कुछ समय पहले बीआरटीएस में भी अंदर कारों का काफिला लेकर निकले, कुछ नहीं हुआ।
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यहीं नहीं विजयनगर चौराहे पर कुछ माह पहले ही गुंडे से साधु और अब नेता बनते जा रहे मनोज परमार की भी हूटर वाली कार को पकड़ा गया था। लेकिन पुलिस ने चेतावनी दी और सलाह भी दी कि इस हूटर को निकाल लो और फिर छोड़ दिया गया। उनसे तो पुलिस ने हूटर निकलवाने की जहमत भी नहीं उठाई थी।