सिंहस्थ 2028: सभी घाट बनेंगे रामघाट, किसी को नहीं मिलेगी वीआइपी सुविधा
उज्जैन में 2028 में लगने वाले सिंहस्थ के दौरान उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि किसी भी घाट को वीआइपी घाट नहीं कहा जाएगा।
MP News: सिंहस्थ 2028 (Simhastha 2028) की तैयारियों को लेकर उज्जैन में शुक्रवार को जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई। बैठक में भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। खासतौर पर प्रयागराज के कुंभ मेले से मिले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर बनने वाले 29 किलोमीटर नए घाटों सहित कुल 35 किलोमीटर के सभी घाटों को रामघाट (Ramghat) नाम से प्रचारित करने पर सहमति बनी। सिंहस्थ 2028 में 14 करोड़ से अधिक श्रद्धालु के उज्जैन आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
वीआईपी घाट का टैग नहीं मिलेगा
भीड़ प्रबंधन को लेकर बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि उज्जैन सिंहस्थ 2028 में किसी भी घाट को VIP घाट नहीं कहा जाएगा। इससे श्रद्धालु केवल एक दिशा में जाने की बजाय पूरे क्षेत्र में समान रूप से फैलेंगे, जिससे सिंहस्थ के दौरान होने वाली भीड़ और अव्यवस्था से बचा जा सकेगा।
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर रहेगा विशेष जोर
मंत्री गौतम टेटवाल ने कहा कि निर्माण कार्य केवल इस एक सिंहस्थ तक सीमित न रहें, बल्कि वे भविष्य के सिंहस्थ आयोजनों में भी उपयोगी साबित हों। इसी दिशा में निर्देश दिया गया कि निर्माण कार्य स्थायी और गुणवत्तायुक्त हों। इसके लिए अच्छी सामग्री का इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया जाएगा।
मास्टर प्लान तैयार होगा
अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सिंहस्थ 2028 के लिए एक विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किया जाए, जिसमें भीड़ प्रबंधन, यातायात, घाटों की व्यवस्था, जल-प्रबंधन और आपदा सुरक्षा की दृष्टि से सभी पहलुओं को शामिल किया जाए।
बैठक में अन्य जिलों के प्रस्तावों की समीक्षा के दौरान डॉ. राजौरा ने स्पष्ट किया कि नए निर्माण कार्यों के प्रस्ताव केवल श्रद्धालुओं की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि इस दौरान गैरजरूरी योजनाओं को सम्मिलित न किया जाए।
FAQ
1. सिंहस्थ 2028 में घाटों को रामघाट नाम से क्यों प्रचारित किया जाएगा?
भीड़ को एक समान तरीके से वितरित करने और एक ही घाट पर अधिक भीड़ इकट्ठा न हो, इस उद्देश्य से सभी घाटों को एक ही नाम – "रामघाट" (Ramghat) – से प्रचारित किया जाएगा।
2. वीआईपी घाट नाम हटाने से क्या लाभ होगा?
वीआईपी घाट नाम हटाने से विशेष क्षेत्र की ओर अत्यधिक भीड़ नहीं बढ़ेगी। इससे भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) में संतुलन बना रहेगा और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।
3. सिंहस्थ 2028 के निर्माण कार्यों में क्या प्राथमिकताएं रहेंगी?
निर्माण कार्य गुणवत्तायुक्त, स्थायी और भविष्य उपयोगी होंगे। इसके अलावा, केवल जरूरी और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर ही कार्य होंगे।