नासिर खान @ उज्जैन
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने सिंहस्थ से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर जानकारी देते हुए कहा कि सिंहस्थ 2028 को देखते हुए सरकार निर्णय लेने जा रही है। अब उज्जैन में भी हरिद्वार की तर्ज पर सिंहस्थ क्षेत्र में अखाड़ो से जुड़े साधु-संतोंं को अपनी-अपनी जगह पर ही स्थायी पंडाल का निर्माण करना होगा। इस निर्णय से उज्जैन में सिंहस्थ का एहसास सदैव ही बना रहेगा और धार्मिक नगरी में संतों का आगमन भी।
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उज्जैन में बनेंगे सभी के आश्रम
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि सरकार ने साधु-संतों, महामंडलेश्वर को उज्जैन में स्थायी रूप से जगह देने की योजना बनाई है। अब सिंहस्थ के अलावा भी साधु संतों और भक्तों को आम दिनों में आने-जाने और कथा, भागवत करने में समस्या आती है। सभी को भूखंड की आवश्यकता होती है। हरिद्वार हमारी आदर्श धर्म नगरी है, उसी के तर्ज पर हम उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से सभी साधु-संतों, महामंडलेश्वर, महंतों और अखाड़ों के प्रमुखों को आंमत्रित कर उज्जैन में उनके आश्रम बनें, इस पर प्रयास करेंगे। साधु संतों के आश्रम के बाद हम सभी समाजों की धर्मशालाओं के निर्माण की योजना भी बनाएंगे।
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जमीन दान करना चाहें तो कर सकते हैं
उन्होंने कहा कि किसान अगर साधु संतों को जमीन देना चाहे तो उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से दे सकेंगे| इसके साथ ही सिंहस्थ क्षेत्र में अगर कोई सामाजिक रूप से धर्मशाला, हॉस्पिटल, कॉलेज, स्कूल का निर्माण करना चाहता है तो उन्हें भी अवसर दिया जाएगा, लेकिन पहला अधिकार साधु-संतों का होगा। हमारा प्रयास है कि 12 साल में होने वाले सिंहस्थ का एहसास सदैव बना रहे।
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