सिंहस्थ 2028 में शिप्रा के पवित्र जल से ही होगा स्नान, सीएम मोहन यादव ने बताया दो साल का रिपोर्ट कार्ड

सिंहस्थ के दौरान शिप्रा नदी में स्नान का धार्मिक महत्व है। पिछली बार शिप्रा में पानी नहीं था, जिससे साधु-संतों को दूसरी नदी से स्नान करना पड़ा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि इस बार संतों को शिप्रा का जल मिलेगा।

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Ravi Awasthi
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BHOPAL. सिंहस्थ के दौरान शिप्रा नदी में स्नान का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सर्वोपरि माना जाता है। पिछले सिंहस्थ का एक अहम पहलू सामने आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका खुलासा किया।  

डॉ. यादव ने कहा कि पिछले सिंहस्थ में शिप्रा में पानी नहीं था। जिसके कारण साधु-संतों को परंपरागत शिप्रा स्नान की जगह गंभीर नदी से लाए गए पानी में स्नान करना पड़ा। उन्होंने बताया कि स्नान तो हुए और सिंहस्थ सफलतापूर्वक संपन्न भी हुआ, लेकिन इस बार संतों को शिप्रा का ही जल मिलेगा।

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2028 के सिंहस्थ में शिप्रा में मिलेगा निर्मल जल

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार शिप्रा को अविरल और स्वच्छ बनाने के लिए योजना बना रही है। यह योजना अगले सिंहस्थ से पहले पूरी होगी। शिप्रा स्नान के लिए श्रद्धालुओं और साधु-संतों को सुविधा मिलेगी। इसके लिए 800 करोड़ की योजना पर पीएचई विभाग काम कर रहा है। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि अगले सिंहस्थ में शिप्रा अपने पूर्ण स्वरूप में बहेगी।

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एक नहीं,दो नदी जोड़ परियोजना पर काम

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने देश में एक प्रकार की पहली नदी जोड़ परियोजना की शुरुआत को भी राज्य की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में एक नहीं बल्कि दो न​दी जोड़ परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। 

पहली परियोजना में केन-बेतवा तो दूसरी ओर मालवा की गंभीर और खान नदी को भी टनल के माध्यम से जोड़ा गया। इस अनोखी टनल के ऊपर खेती हो रही है और नीचे नदी की धारा बहती है। 

सीएम ने राजस्थान के सहयोग से शुरू पार्वती, कालीसिंध और चंबल लिंक जोड़ परियोजना की भी सराहना की। डॉ यादव ने कहा,​कि इन परियोजनों से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य राजस्थान व उत्तर प्रदेश में भी सिंचाई रकबा बढ़ेगा।

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गैस त्रासदी का कचरे भी हमने नष्ट कराया

बीजेपी सरकार के दो साल पर सीएम ने कहा कि 41 साल पहले भोपाल में हुई गैस त्रासदी के कचरे को नष्ट कराने का काम सरकार ने सफलतापूर्वक कराया। इसे लेकर जो संदेह था,उसे दूर किया गया। उन्होंने इंदौर की हुकुम चंद मिल का जिक्र करते हुए कहा कि यह मिल सालों से 300 से 400 करोड़ के बकाया में उलझी थी। इसका निराकरण होने के बाद अब वहां 70 से 80 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट लगने वाले हैं। 

सागर में बनेगा यूरिया, आपूर्ति होगी आसान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भोपाल में पहले जीआईएस सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जिसे उनकी सरकार ने लागू किया। इसके अलावा, सागर में खाद का कारखाना चालू होने से यूरिया और अन्य खाद की आपूर्ति में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं और दूरदर्शी सोच से प्रोजेक्ट पूरे किए। ये प्रोजेक्ट सामान्यतः लंबा समय लेते हैं।

मप्र में सबसे सस्ती बिजली

मुख्यमंत्री ने कहा कि देशभर में अकेला एमपी ऐसा राज्य है, जहां सबसे सस्ती बिजली दी जाती है। ऊर्जा सुधारों को लेकर सबसे पहले काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के19 धार्मिक नगरों में शराबबंदी की गई। धार्मिक स्थलों को पर्यटनस्थल के तौर पर संवारा जा रहा है। इसी क्रम में अब चित्रकूट का कायाकल्प किया जाएगा। डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश में एक बगिया अपने नाम की भी शुरुआत की गई।

चिकित्सकों को देंगे निजी सेक्टर से ज्यादा पैसा

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में तेज गति से मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। इसके मान से काम करने वाले विशेषज्ञ भी चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं मिलने की चुनौती है। हमने तय किया है कि हम प्राइवेट सेक्टर से अधिक वेतन देकर एक्सपर्ट डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में लाएंगे।

नक्सलवाद का खात्मा बड़ी उपलब्धि

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने प्रदेश में नक्सलवाद के खात्मे को अपनी सरकार की बड़ी उप​लब्धि बताया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिले नक्सलवाद से प्रभावित रहे।

विशेषकर छत्तीसगढ़ से लगे जिलों में नक्सलवादी कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए थे। यहां तक कि नक्सलियों ने 17-17 पुलिस ​कर्मियों की नृशंस हत्या तक की। अविभाजित मप्र में तो एक मंत्री की थाने के समीप हत्या कर दी गई। उस समय समानांतर सत्ता चलने लगी थी। 

मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद खात्मे की डेडलाइन तय की थी। शुरुआत में सफलता को लेकर संदेह था। पुलिस बल के हौंसले ने इसे सफल किया। मध्यप्रदेश पुलिस के कई अधिकारियों ने बालाघाट में ड्यूटी की मांग की। इससे नक्सलवाद खत्म करने में बड़ी मदद मिली।

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मंडला,बालाघाट,डिंडौरी हुए नक्सल मुक्त

सीएम मोहन यादव ने कहा कि मंडला,बालाघाट और डिंडोरी की गिनती कभी सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में होती थी। लेकिन अब इन जिलों से नक्सलवाद जड़ से खत्म हो चुका है। यह मप्र पुलिस बल की एक बड़ी उपलब्धि है। इस लक्ष्य को हासिल करने में हमारे जवानों व आमजन ने बड़ी कीमत चुकाई। इसके लिए मैं उन सभी को सलाम करता हूं। डॉ यादव ने कहा कि आगे प्रयास यही होंगे कि यह समस्या दोबारा सिर न उठा सके। इसके लिए सिस्टम को और अधिक मजबूत किया जाएगा।

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विकास और सेवा के दो वर्ष पुस्तक का विमोचन

प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा व मप्र भाजपा के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी इस मौके पर मौजूद थे। इन्होंने भी बीते दो साल में हुए विकास कार्यों की सराहना की। इस दौरान विकास और सेवा के दो वर्ष पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

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