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भोजपुर के विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर में तीन दिवसीय "महादेव" भोजपुर महोत्सव का भव्य आगाज हुआ। महाशिवरात्रि पर इस सांस्कृतिक और भक्ति से सराबोर उत्सव में पहले ही दिन हजारों श्रद्धालु जुटे। मुंबई से आए प्रसिद्ध गायक व सितार वादक ऋषभ रिखीराम शर्मा के भक्ति गीतों ने ऐसा समां बांधा कि पूरा वातावरण शिवमय हो गया।
भक्ति और सुरों का अनूठा संगम
महोत्सव के पहले दिन की संध्या संगीत के भक्तिरस से सराबोर हो गई। मुंबई के गायक ऋषभ शर्मा ने जब ॐ नमः शिवाय और शंकरा, शंकरा गाया तो पूरा पंडाल श्रद्धालुओं की भावनाओं से गूंज उठा। उनकी तांडव स्तोत्र की प्रस्तुति ने हर किसी को शिव के दिव्य रूप की अनुभूति कराई। इससे पहले सितार वादक ऋषभ शर्मा ने 'द सूत्र' से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा, मैं अपने गुरु की प्रेरणा से संगीत साधना कर रहा हूं। उन्होंने एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि मैं संगीत पर काम तो कर रहा था, लेकिन कोरोना काल में दादाजी नहीं रहे। मैं उनके काफी नजदीक था। लिहाजा, उस तनाव से बाहर आने में मुझे वक्त लगा। जब मैंने सितार बजाना शुरू किया तो मैं उस दौर से धीरे-धीरे बाहर आया। तब मुझे अहसास हुआ कि संगीत साधना एक थेरेपी जैसी है। उस वक्त मेरे जैसे कितने ही लोग थे, जो तनाव से गुजर रहे थे। बस, यहीं से मेरी यात्रा शुरू हुई। मैंने संगीत के जरिए उन लोगों को डिप्रेशन से बाहर लाने के लिए ऑनलाइन सितार पर मेंटल हेल्थ कॉन्सेप्ट पर परफॉर्म करना शुरू किया। धीरे-धीरे दोस्त आते गए। इस तरह यह महफिल ऑनलाइन आ गई। आज वह कम्युनिटी 3 मिलियन पर आ गई है। मुझे लगता है कि सितार में वह ताकत है, जो लोगों को हील कर सकती है।
...जब ऋषभ ने छेड़े सुर
इसके बाद भोजपुर मंदिर के मुक्ताकाश मंच पर प्रस्तुति देते हुए ऋषभ शर्मा ने जब अपने सुर साधे तो ऐसा लगा, जैसे भोजपुर की धरा पर सातों सुर और छह ऋतुएं महादेव का शृंगार करने उतर आई हों। ऐसा लगा जैसे एक बार फिर शिशिर से वसंत का आगमन हो रहा हो। ऋषभ ने राग हमीर में तीन ताल की तान छेड़ी तो उनके संगीत में गुरु पंडित रविशंकर प्रसाद की समृद्ध विरासत की झलक नजर आई। ऋषभ ने शंकरा की मनमोहक तान छेड़ कर भक्ति रस से हर श्रोता को भिगो दिया। ॐ नमः शिवाय के नाद के साथ ऋषभ ने अपने स्वरों की पतवार को शिव के हाथों में समर्पित कर दिया और शिव कैलाशवासी धौली धरों के राजा... गाकर रावण को सोने की लंका सौंप देने वाले भोले के महिमा का गुणगान किया। इसके बाद खरगोन के शिव भाई गुप्ता ने लोकगीतों के माध्यम से शिव आराधना की। उनका गीत भोले बाबा, म्हारा भोले बाबा सुनते ही श्रोता भक्ति में लीन हो गए। वहीं, बुंदेलखंड के बधाई नृत्य और मालवा के मटकी नृत्य ने जनजातीय संस्कृति की झलक पेश की।
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भोजपुर महोत्सव बना सांस्कृतिक आकर्षण
तीन दिवसीय इस महोत्सव में लोक गायन, नृत्य और भजन संध्या की प्रस्तुति होगी। संस्कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव ने बताया, इस आयोजन का उद्देश्य भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाना है। श्रद्धालुओं के लिए महोत्सव का प्रवेश निःशुल्क रखा गया है। प्रतिदिन शाम 6:30 बजे से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
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