MP NEWS: एमपी में किसानों की खेती लागत कम करने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत किसान सोलर पंप की लागत का केवल 5 से 10 प्रतिशत ही अंशदान करेंगे। भारत सरकार 30 प्रतिशत अनुदान प्रदान करेगी, जबकि शेष 65 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के रूप में मध्य प्रदेश सरकार की गारंटी पर दी जाएगी, जिसका भुगतान राज्य सरकार करेगी। यह योजना 2028 तक प्रभावी रहेगी और पहले चरण में 1.5 लाख अस्थायी कनेक्शनधारी किसानों को लाभ मिलेगा।
सोलर पंप की अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग चक्की, कोल्ड स्टोरेज, बैटरी चार्जिंग जैसे कार्यों में होगा। योजना को ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी अन्य योजनाओं से भी जोड़ा जाएगा। पंप पर क्यूआर कोड के जरिए पूरी जानकारी मिलेगी। यह पहल किसानों की आर्थिक बचत के साथ-साथ पारदर्शिता और नवाचार को भी बढ़ावा देगी।
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30% अनुदान, 65% ऋण और सिर्फ 5-10% अंशदान
इस योजना में केंद्र सरकार कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की कुल लागत का 30 प्रतिशत अनुदान देगी। वहीं शेष 65 प्रतिशत बैंक ऋण के रूप में किसानों को मिलेगा, जिसकी गारंटी राज्य सरकार देगी और भुगतान भी सरकार ही करेगी। किसानों को केवल अंशदान देना होगा। 3 हॉर्सपावर तक के पंप के लिए 5% और उससे अधिक के लिए 10% तक किसानों को देना होगा।
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पहले चरण में डेढ़ लाख किसानों को लाभ
पहले चरण में उन 1.5 लाख किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी जो हर मौसम में अस्थायी बिजली कनेक्शन लेते हैं और अधिक भुगतान करते हैं। यह कदम किसानों की सुविधा और बिजली पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। ऐसे किसानों को स्थायी समाधान देने के लिए सोलर पंप एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है।
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अतिरिक्त ऊर्जा का बहुउपयोग
ऊर्जा विभाग के अनुसार, एक सोलर पैनल साल में लगभग 330 दिन और प्रतिदिन औसतन 8 घंटे बिजली उत्पन्न करता है। खेती के लिए बिजली की आवश्यकता केवल 150 दिनों की होती है। शेष समय की बिजली का उपयोग आटा चक्की, ड्रायर, बैटरी चार्जिंग, और कोल्ड स्टोरेज जैसे अन्य कार्यों में किया जा सकता है। यह किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा।
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योजना की पारदर्शिता
इस योजना को अन्य योजनाओं जैसे ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम से जोड़ा जाएगा। प्रत्येक सोलर पंप पर एक यूनिक क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इसे स्कैन कर किसान और अधिकारी दोनों पंप की पूरी जानकारी देख सकेंगे। इससे योजना में पारदर्शिता और निगरानी को बढ़ावा मिलेगा।