मध्य प्रदेश के अनूपपुरजिले के एक बेटे ने वकील बनकर अपने पिता के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ी और उन्हें 11 साल बाद बहाली दिलवायी। यह कहानी एक बेटे की संकल्प, मेहनत और अपने परिवार के लिए संघर्ष की है, जिसने न्याय के रास्ते पर चलते हुए पिता को खोई प्रतिष्ठा दिलाई...
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पिता की बर्खास्तगी और लंबा संघर्ष
अनूपपुर जिले के जमुना कॉलरी के रहने वाले आरक्षक मिथिलेश पांडे को 2013 में आय से अधिक संपत्ति के आरोप में पुलिस विभाग ने सेवा से हटा दिया था। वह उस समय उमरिया थाने में कार्यरत थे। जब विभागीय कार्रवाई के बाद उनका निलंबन हुआ, तो उन्होंने अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। इस पर उन्होंने 2013 के दिसंबर महीने में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हालांकि, मामला वर्षों तक अदालत में लटका रहा और कोई ठोस निर्णय नहीं आया।
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बेटे ने वकील बन लड़ा पिता का केस
वहीं, इस बीच उनका बेटा अभिषेक पांडे ने कानून की पढ़ाई पूरी की और 2024 में जबलपुर हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की। अभिषेक ने तय किया कि वह अपने पिता के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेगा। सबसे पहले उसने अपने पिता का ही केस लिया और हाईकोर्ट में पूरी तैयारी के साथ बहस की। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की बेंच के सामने अभिषेक ने ठोस पैरवी की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मिथिलेश पांडे को पुनः सेवा में बहाल किया जाए।
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पिता की नौकरी वापस मिली, परिवार में खुशी
हाईकोर्ट के आदेश के पालन में अनूपपुर के पुलिस अधीक्षक ने मिथिलेश पांडे को दोबारा सेवा में बहाल कर दिया। 5 अप्रैल को पांडे ने अनूपपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 11 साल बाद पिता की बहाली और न्याय की इस जीत ने पांडे परिवार को खुशी से भर दिया है।
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