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बालाघाट का एक नया मंदिर केवल देवी-देवताओं का निवास स्थान नहीं है, बल्कि यह माता-पिता की पूजा का प्रतीक है। यह मंदिर कलयुग के 'श्रवण' ने बनवाकर श्रद्धा और संकल्प का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है। किरनापुर के शातिनगर निवासी मंगल प्रसाद रैकवार ने अपने माता-पिता की स्मृति में यह मंदिर बनवाया। इसमें उनके पिता रामरतन रैकवार, बड़ी माता शुभन्ति और मां पार्वति की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। यह मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह समाज को मातृ-पितृ भक्ति की एक नई परिभाषा भी देता है।
मंदिर बनाने का विचार कैसे आया?
मंगल बताते हैं कि जब उनका नया मकान बन रहा था, तो उनकी मां पार्वति पास बैठकर काम देखती थीं और यह सोच रही थीं कि घर का उद्घाटन उनके हाथों होगा। परंतु, अचानक हृदयघात से उनकी मां का निधन हो गया। इस घटना ने उनके दिल में गहरे शोक को जन्म दिया। उन्होंने अपनी मां की समाधि घर के पीछे खुले आसमान के नीचे बनाई, लेकिन वह यह महसूस करते थे कि कुछ अधूरा सा रह गया है। तभी उन्होंने संकल्प लिया कि वे माता-पिता के नाम पर एक मंदिर बनाएंगे, जो उनके योगदान और आशीर्वाद की पहचान बने।
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संघर्ष से प्रेरित होकर बना यह मंदिर
मंगल के परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। उन्हें पूर्व परिवहन मंत्री लिखीराम कावरे से मदद मिली और वे वन विभाग में दैनिक वेतनभोगी की नौकरी पर नियुक्त हुए। हालांकि, यह नौकरी परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर रियल एस्टेट का व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपना व्यवसाय फैलाया और स्थानीय लोगों, रिश्तेदारों, और दोस्तों की मदद से यह मंदिर बनाने में सफल हुए। उनका यह कार्य संघर्ष और कड़ी मेहनत का परिणाम है, और आज यह मंदिर उनकी सफलता और उनके माता-पिता के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।
मंदिर में किसकी प्रतिमाएं स्थापित हैं?
इस मंदिर में तीन मुख्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं...
पिता रामरतन रैकवार – उनके पिता की प्रतिमा मंदिर में स्थापित की गई है, जो परिवार के मुखिया और मार्गदर्शक रहे हैं।
बड़ी माता शुभन्ति – यह प्रतिमा उनकी बड़ी माता की है, जिन्होंने जीवन भर परिवार और समाज की सेवा की।
मां पार्वति – उनकी मां की प्रतिमा भी मंदिर में स्थापित की गई है, जो उनके जीवन का प्रमुख भाग थीं।
यह मंदिर इन तीन प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है। जिन्होंने अपने जीवन में अपने बेटे को संस्कार दिए और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
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पुलिस अधिकारी भी बनवा चुके हैं ऐसा मंदिर
तमिलनाडु के मदुरै में एक शख्स ने अपने माता-पिता का मंदिर बनवाकर पहले कमाल कर चुके हैं। उन्होंने अपने माता-पिता को भगवान का दर्जा देते हुए उनका मंदिर बनाया थे। मदुरै में रिटायर्ड पुलिस अधिकारी रमेश बाबू ने मां और पिता के सम्मान में एक मंदिर बनाया, जिसमें उनकी मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। रमेश बाबू रिटायर्ड SI हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने माता-पिता के लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे लेकिन काम में व्यस्त होने के कारण नहीं बना सके।