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MP NEWS: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव ने अब केवल सीमाओं तक सीमित न रहकर डिजिटल दुनिया में भी खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय, भोपाल ने इस संबंध में एक गंभीर चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि दुश्मन ताकतें भारत के भीतर अस्थिरता पैदा करने और संवेदनशील सूचनाएं चुराने के उद्देश्य से संगठित साइबर हमले कर सकती हैं।
इन हमलों का मुख्य निशाना सरकारी एजेंसियां, सैन्य प्रतिष्ठान, और महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचे जैसे ऊर्जा संयंत्र, परिवहन नेटवर्क, और स्वास्थ्य व्यवस्था हो सकते हैं। ऐसे हमलों की आशंका को देखते हुए आम नागरिकों से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक को डिजिटल सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
इनके माध्यम के नाम पर फैलाया जा रहा है मैलवेयर
सायबर अपराधी लोगों की भावनाओं और जिज्ञासा का फायदा उठाकर ऐसे संदेश प्रसारित कर रहे हैं। इससे भारत-पाक तनाव से संबंधित एक्सक्लूसिव अपडेट, लीक वीडियो फुटेज या सीक्रेट डिफेंस मूवमेंट जैसे आकर्षक शब्दों का उपयोग करते हैं। इन संदेशों में आमतौर पर .apk (एंड्रॉइड इंस्टॉलेशन फाइल), .exe (विंडोज प्रोग्राम फाइल) या वीडियो फाइलें होती हैं। जिनमें मैलवेयर और स्पाइवेयर छिपा होता है।
जब कोई व्यक्ति इन्हें डाउनलोड या ओपन करता है, तो उसका मोबाइल या कंप्यूटर संक्रमित हो सकता है और साइबर अपराधी उसके निजी दस्तावेज, फोटो, बैंकिंग डिटेल्स और यहां तक कि कॉल रिकॉर्डिंग तक पहुंच सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कई मामलों में डिवाइस को लॉक कर फिरौती (Ransom) की मांग की जाती है, जिसे "Ransomware Attack" कहा जाता है।
सोशल मीडिया बन रहे हमले के आसान माध्यम
राज्य सायबर पुलिस के अनुसार, WhatsApp और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म साइबर हमलावरों के लिए सबसे आसान माध्यम बन गए हैं। अपराधी नकली समाचार वेबसाइटों जैसी दिखने वाली फिशिंग साइट्स बनाकर उन्हें फॉरवर्डेड मैसेज या ग्रुप्स के जरिए वायरल कर रहे हैं।
ये लिंक अक्सर दिखने में असली लगते हैं , जैसे www.newschannelbreaking.com या www.indian-army-alert.info , लेकिन असल में इनका उद्देश्य यूज़र को धोखे से एक जाल में फंसाकर उनका डेटा चुराना होता है।
कई बार ये संदेश विश्वसनीय लोगों के नाम से भी भेजे जा सकते हैं, जिससे आम यूज़र भ्रमित होकर लिंक पर क्लिक कर देता है। ऐसे में किसी भी अज्ञात या भड़काऊ सामग्री को बिना पुष्टि के न खोलना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
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WhatsApp यूज़र्स के लिए महत्वपूर्ण सावधानियां
सायबर एडवाइजरी में WhatsApp यूज़र्स के लिए विशेष सावधानियों का उल्लेख किया गया है। पहला कदम है कि अनजान नंबरों से आए किसी भी वीडियो, इमेज या ऐप फाइल को खोलने से बचना, चाहे वह संदेश आपके किसी परिचित या पारिवारिक सदस्य द्वारा ही क्यों न फॉरवर्ड किया गया हो। अपराधी अक्सर वायरस फैलाने के लिए नेटवर्किंग का सहारा लेते हैं।
दूसरा सुझाव है कि WhatsApp की सेटिंग्स में जाकर सभी प्रकार के मीडिया का "Auto-Download" बंद कर देना, ताकि कोई भी संदिग्ध फाइल अपने आप डाउनलोड न हो। इसके अलावा, अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए 2-स्टेप वेरिफिकेशन को चालू करना अनिवार्य बताया गया है। किसी भी संदिग्ध ग्रुप या व्यक्ति को रिपोर्ट करें और WhatsApp की सहायता से हटाएं।
ईमेल से भी हो सकता है बड़ा साइबर धोखा
ईमेल के जरिए होने वाले साइबर हमलों से भी सावधान रहने की जरूरत है। साइबर पुलिस ने बताया कि ऐसे कई ईमेल सामने आए हैं जो भारत-पाक तनाव से जुड़े समाचारों या गुप्त सरकारी सूचनाओं के नाम पर भेजे गए हैं। इन ईमेलों में अटैच फाइलें या लिंक होती हैं, जो क्लिक करने पर कंप्यूटर में मैलवेयर इंस्टॉल कर देती हैं।
उपयोगकर्ताओं से कहा गया है कि वे किसी अज्ञात या अजीब ईमेल को खोलने से बचें, विशेषकर यदि वह किसी सरकारी सूचना या सैन्य दस्तावेज का दावा कर रही हो। ईमेल का डोमेन ध्यान से जांचें, उदाहरण के लिए gov.in की नकल में govin.com जैसे नकली एड्रेस का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही सभी मेल अकाउंट्स में 2-Factor Authentication (2FA) एक्टिवेट करना सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करता है।
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सतर्कता ही साइबर सुरक्षा की पहली शर्त
सायबर पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे केवल अधिकृत और सत्यापित समाचार चैनलों या सरकारी सोशल मीडिया हैंडल से ही जानकारी प्राप्त करें। 'सेनाध्यक्ष का गुप्त बयान', 'पाक सीमा से लाइव युद्ध' जैसे उत्तेजक दावों वाली सामग्री को पूरी तरह से नजरअंदाज करें।
आजकल कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स और टूल्स जैसे - PIB Fact Check, Alt News, BOOM आदि उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग कर संदिग्ध कंटेंट की सत्यता की जांच की जा सकती है। साथ ही, अपने मोबाइल और कंप्यूटर में नियमित रूप से Antivirus और Security Software को अपडेट करें, Cloud Backup लेते रहें और फालतू Apps को अनइंस्टॉल करते रहें।
इमरजेंसी फीचर्स को करें सक्रिय
आज की संवेदनशील परिस्थितियों में स्मार्टफोन की इमरजेंसी सुविधाएं जान बचा सकती हैं। Android यूज़र्स “सेटिंग्स > सेफ्टी और इमरजेंसी > Emergency SOS” में जाकर इस सुविधा को एक्टिवेट कर सकते हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर पावर बटन को पांच बार दबाकर तुरंत SOS अलर्ट भेजा जा सकता है।
iPhone यूज़र्स के लिए यह फीचर “सेटिंग्स > Emergency SOS” में उपलब्ध है। इसके अलावा, “Medical ID” और “Emergency Contacts” भी फोन में जोड़ना जरूरी है ताकि दुर्घटना या आपात स्थिति में मदद मिल सके। Android और iPhone दोनों में “Emergency Alerts” को ऑन कर भूकंप, आतंकी हमले या अन्य खतरों से समय पर सूचना प्राप्त की जा सकती है।
साइबर हमले या धोखाधड़ी की स्थिति में ऐसे करें शिकायत
यदि आप किसी साइबर हमले, फिशिंग धोखाधड़ी या संदिग्ध लिंक का शिकार हो जाते हैं, तो घबराएं नहीं। भारत सरकार द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
यह पोर्टल भारत के गृह मंत्रालय द्वारा संचालित है और साइबर अपराधों से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई करता है। आम जनता से आग्रह किया गया है कि वे किसी भी संदिग्ध सामग्री को नजरअंदाज न करें - उसे रिपोर्ट करें और दूसरों को जागरूक करें। एक जागरूक नागरिक ही आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा की सबसे मजबूत दीवार है।
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