आयुक्त के आदेश पर भी अपडेट नहीं शिक्षकों के खाली पद

मध्य प्रदेश में शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है लेकिन 10 दिन बाद भी हजारों स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। ट्रांसफर लिस्टें भी इन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं कर सकीं हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है लेकिन 10 दिन बाद भी हजारों स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। ट्रांसफर लिस्टें भी इन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं कर सकीं हैं। वहीं संकुल केंद्रों द्वारा पोर्टल पर खाली पदों की जानकारी अपडेट न करने से इनमें अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई है। जबकि शैक्षणिक सत्र की शुरूआत में ही लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 26 जून को पदों की स्थिति अपडेट करने के आदेश जारी कर दिए थे।

विभाग प्रमुख के आदेश का पालन न होने से शिक्षकों के हजारों पद खाली रह गए हैं और पढ़ाई ठप है। वहीं इन स्कूलों में सालों से पढ़ा रहे अतिथि शिक्षक भी ट्रांसफर-पोस्टिंग के चक्कर में अटके हुए हैं। 

शैक्षणिक सत्र की शुरूआत से ठीक पहले मध्यप्रदेश में शिक्षकों के ट्रांसफर- पोस्टिंग का दौर चल रहा था। जून माह के दूसरे पखवाड़े तक ट्रांसफर होते रहे। इस वजह से कई स्कूलों में शिक्षकों की आमद में देरी हुई। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने 26 जून को संकुल प्राचार्यों और जिला शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों के खाली पदों की स्थिति अपडेट करने के निर्देशित किया था।

आयुक्त के आदेश के बावजूद शिक्षण सत्र के 10 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब भी सैकड़ों स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों की स्थिति स्पष्ट नहीं है। ट्रांसफर के बाद इन स्कूलों में कितने शिक्षक आए और उसके बाद कक्षा और विषयवार कितने शिक्षकों के पद रिक्त हैं इसे पोर्टल पर अपडेट ही नहीं किया गया। 

बच्चे उठा रहे लापरवाही का नुकसान

बीते साल शैक्षणिक सत्र में नियमित शिक्षकों के हजारों पद खाली थे। वहीं पोर्टल की तकनीकी खामी से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति भी महीनों तक अटकी रही थी। सैकड़ों स्कूलों में अक्टूबर और नवम्बर माह में अतिथि शिक्षक नियुक्त किए जा सके थे। इन सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई थी। स्कूलों में पढ़ाई नहीं होने से उनके माता- पिता की नाराजगी और नियुक्ति अटकने से अतिथि शिक्षकों को प्रदर्शन करने पड़े थे।

मामला स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह तक भी पहुंचा था। इसको देखते हुए लोक शिक्षण संचालनालय ने इस बार पहले ही आदेश जारी कर दिए थे। इसके बावजूद शाला प्रभारी, संकुल केंद्र प्रभारी ही नहीं जिला शिक्षा अधिकारी भी आयुक्त के आदेश की अनदेखी करते रहे। अब स्कूलों में शिक्षकों की कमी का खामियाजा बच्चे उठा रहे हैं।

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अपडेट न होने से भटक रहे अतिथि 

अब भी डीपीआई के आदेश पर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों का डेटा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया है। वहीं ट्रांसफर-पोस्टिंग की वजह से कई पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई थी। इन स्कूलों में ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं हो सकी।

इस स्थिति में शिक्षकों के पद खाली ही रह गए हैं। वहीं पोर्टल पर खाली पदों की जानकारी अपडेट न होने से डीपीआई इन पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ा पा रहा है। जबकि अतिथि शिक्षक बनने के लिए उम्मीदवार कभी स्कूल और संकुल केंद्र के तो कभी भोपाल आकर डीपीआई के चक्कर  काट रहे हैं। 

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प्राचार्य-संकुल प्रभारी कर रहे टालमटोल

उधर अंचल में स्कूल प्राचार्य और संकुल केंद्र प्रभारियों की मनमानी भी अतिथि शिक्षकों की मुश्किल बढ़ा रही है। पद खाली होने के बावजूद एक ओर जिम्मेदार इसे पोर्टल पर अपडेट नहीं कर रहे हैं। वहीं इन पदों पर नियुक्ति के लिए चक्कर काट रहे आवेदकों को भी बहाने बनाकर लौटाया जा रहा है।

ऐसे में प्रदेश में 7 हजार से ज्यादा अनुभवी और कई साल से सरकारी स्कूलों में सेवा दे रहे अतिथि घर बैठने की स्थिति में आ गए हैं। इसके पीछे संस्था प्रमुख और संकुल प्रभारियों द्वारा अपने चहेतों को उपकृत करने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। 

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