भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। 17 जून 2022 को दर्ज हुए मनी लॉन्ड्रिंग केस में मद्दा जेल में था। इसके पहले एक अगस्त को हाईकोर्ट इंदौर से उसकी जमानत खारिज हो चुकी थी। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। यहां शुक्रवार को सुनवाई के बाद जमानत मंजूर हो गई। सुनवाई केवल दो मिनट चली। अन्य केस में पहले ही जमानत हो चुकी है। वह केवल ईडी केस के कारण ही जेल में था। अब इसमें बेल होने के बाद रिहाई तय हो गई है।
इसके पहले अन्य केस में मिल चुकी थी जमानत
इसके पहले मद्दा को कल्पतरू जमीन घोटाले सहित दर्ज हुए आधा दर्जन से अधिक अन्य मामलों में जमानत मिल चुकी है, लेकिन ईडी केस में जमानत नहीं मिलने से वह जेल में था। जेल से बाहर आने के लिए उसने हाईकोर्ट में कई तरह के कारण बताए थे, लेकिन ईडी और उनके अधिवक्ता एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हिमांशु जोशी के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में मद्दा के अधिवक्ता कृष्णा गोपालाचार्य और सिद्दार्थ लूथरा ने तर्क रखे, इसे मंजूर करते हुए जमानत दे दी गई। हालांकि औपचारिक आर्डर आना अभी बाकी है।
ED केस में भूमाफिया दीपक मद्दा की जमानत याचिका खारिज, मेडिकल-फर्जी दस्तावेज जैसे कारण हुए अमान्य
मद्दा ने इसके पहले हाईकोर्ट में यह कहा था
- मद्दा ने कहा कि वह एक साल से ईडी केस में जेल में है। यह काफी लंबी अवधि है, जमानत मिलनी चाहिए।
- मद्दा ने बताया कि उसे हार्ट की समस्या है और एंजियोग्राफी हुई है। मेडिकल आधार भी है, यह भी कहा कि इस केस में सह आरोपी केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी, रणवीर सिंह सूदन, जाकिर पटेल, नसीम हैदर, दीपेश जैन और अशोक पिपाड़ा सभी की जमानत हो चुकी है, केवल वही बचा है।
- मद्दा ने ईडी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में फर्जी दस्तावेज बनाकर कोर्ट में दिए और उसे फंसाया जा रहा है।
- यह भी कहा कि गिरफ्तारी के समय उसे अंग्रेजी में दस्तावेज दिए गए थे जिनपर उससे और उसकी पत्नी से हस्ताक्षर लिए गए।
ईडी और अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में यह कहा था
- मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक साल की जेल अवधि कोई बड़ी नहीं है और इस केस में भारी आर्थिक घोटाला है, 22 करोड़ की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।
- जीवन के लिए घातक कोई मेडिकल समस्या नहीं है। उनका ऑपरेशन हो चुका है और 20 दिन अस्पताल में भी वह रहा है, पूरी देखभाल की जा रही है।
- सह आरोपियों का केस अलग है, वह जमीन खरीदने वाले हैं, और मद्दा जमीन बिक्री में शामिल होकर मुख्य आरोपी है।
- कोई सील बंद लिफाफे में दस्तावेज नहीं दिए गए, सभी रिकार्ड पर है, अंग्रेजी का मुद्दा होने पर हिंदी में अनुवाद कराकर प्रिंट लिए गए और इस पर मद्दा और पत्नी समता जैन के हस्ताक्षर है।
हाईकोर्ट ने इस आधार पर खारिज की थी चायिका
हाईकोर्ट ने माना था कि ऐसी कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं है, जिस पर जमानत दी जाए। सीलबंद लिफाफे में दिए दस्तावेज का जमानत से कोई लेना-देना नहीं है। अंग्रेजी बात का भी कोई मतलब नहीं है, अरेस्ट मेमो हिंदी में भी दिया गया और हस्ताक्षर भी हुए हैं। यह सही है कि वह मुख्य आरोपी है और जमीन बेचने वाला है, सह आरोपी का केस अलग है। इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है।
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ईडी ने मद्दा पर यह लगाए हैं आरोप
- ईडी ने बताया कि आरोपी मद्दा ने जमीन घोटाले कर 6.40 करोड़ रुपए की संपत्तियां खरीदी। उसने मजदूर पंचायत, देवी अहिल्या श्रमिक कामगार और कल्पतरू सोसायटी में घोटाला किया।
- इसमें नसीम हैदर, केशव नाचानी (हनी), ओमप्रकाश धनवानी (टनी), दीपेश जैन व अन्य शामिल रहे और ईडी में इन सभी के बयान हो चुके हैं।
- मजदूर पंचायत में नसीम हैदर की मदद से मद्दा ने हनी और टनी को ढाई-ढाई एकड़ जमीन दो-दो करोड़ रुपए में बेची। इसकी बाजार कीमत 25 करोड़ रुपए थी। इस जमीन के बेचने के लिए आई राशि 54 लाख अपने खाते में डलवाई।
- देवी अहिल्या में रणवीर सिंह सूदन के साथ मिलकर यहां की चार एकड़ जमीन का सौदा सिंप्लेक्स कंपनी के नाम पर चार करोड़ में किया। इसमें से 20 चेक दिए, लेकिन केवल 9 चेक से 1.80 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया और 2.20 करोड़ रुपए संस्था को दिए ही नहीं।
- कल्पतरू सोसायटी के संस्था अध्यक्ष प्रकाश गिरी के साथ सौदा किया। इसमें हिना पैलेस में 21 हजार वर्गफीट जमीन पर 50 हजार सुपर बिल्डअप बनाकर संस्था सदस्यों को फ्लैट 15 साल में बनाकर देने का करार हुआ। इसके लिए पांच करोड़ से ज्यादा राशि ली गई। बाद में इसमें से केवल 70 लाख रुपए की राशि ही संस्था को लौटाई। अपने पास उसने 4.31 करोड़ रुपए रख लिए।
- इस 4.31 करोड़ रुपए में से उसने बिचौली मर्दाना में संपत्ति ली और रिश्तेदार अशोक पिपाड़ा के नाम पर शिफ्ट कर दी। वहीं 1.88 करोड़ रुपए उसने समाता रियलिटी में लगाए।
- ईडी ने बताया कि करोड़ों रुपयों के कीमत की संपत्ति अटैच की जा चुकी है। जमानत का अधिकार नहीं है।
कल्पतरू घोटाले में क्राइम ब्रांच में दर्ज केस में जमानत
शासन पक्ष, कोर्ट में मद्दा को आदतन अपराधी बता चुका है। इस पर कई तरह के जमीन घोटाले के केस हैं। मद्दा 3 अप्रैल 2023 में कल्पतरू गृह निर्माण सोसायटी में 4.89 करोड़ रुपए के घोटाले में गिरफ्तार हुआ था। यह एफआईआर सहकारिता विभाग की शिकायत पर क्राइम ब्रांच इंदौर में दर्ज हुई थी। इसी बीच ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच की और 3 मई 2023 को जेल से ही उसकी सुपुर्दगी ली और पूछताछ की। कल्पतरू मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने सहकारी समितियों के जमीन घोटाले में उस पर भूमाफिया अधिनियम के तहत आधा दर्जन एफआईआर हुईं थी। इसके बाद प्रशासन ने उस पर रासुका लगाई और जेल भेजा। रासुका रद्द होने पर वह जेल से बाहर आ गया। इसी दौरान क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई कल्पतरू घोटाले की एफआईआर में वह गिरफ्तार हो गया। इस मामले में भी पहले जमानत हो चुकी है। वह केवल ईडी केस में बंदी था और अब इसमें भी जमानत हो गई है।
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