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सुप्रीम कोर्ट ने शराब उद्योग से जुड़े एक अहम विवाद का निपटारा करते हुए साफ कर दिया कि ब्लेंडर्स प्राइड और लंदन प्राइड नामक दोनों ब्रांड भारतीय बाजार में बने रहेंगे। फ्रांस की बहुराष्ट्रीय कंपनी पर्नोड रिकार्ड और इंदौर के कारोबारी करणवीर सिंह छाबड़ा की कंपनी जेके इंटरप्राइजेज के बीच यह कानूनी लड़ाई करीब 3 साल से चल रही थी। अदालत ने कहा कि केवल “प्राइड” शब्द को लेकर किसी कंपनी को ट्रेडमार्क का अधिकार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह शब्द शराब उद्योग में आमतौर पर इस्तेमाल होता है। प्रीमियम व्हिस्की पीने वाले पढ़े-लिखे और समझदार लोग होते हैं। ‘प्राइड’ शब्द पर किसी एक कंपनी का हक नहीं है।
इंदौर से दिल्ली तक पहुंचा मामला
इंदौर के कारोबारी करणवीर सिंह छाबड़ा की जेके इंटरप्राइजेज ने नाम से कंपनी है। जो कि लंदन प्राइड के नाम से व्हिस्की की बिक्री करती है। इस प्राइड नाम का उपयोग करने काे लेकर फ्रांस की कंपनी पर्नोड रिकार्ड ने आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि छाबड़ा ने न केवल ब्रांडनेम कॉपी किया, बल्कि पैकेजिंग, रंग और लेबल भी हूबहू उनके प्रोडक्ट इंपीरियल ब्लू की बोतल से मैच करता है। कंपनी ने साल 2022 में इंदौर की वाणिज्यिक अदालत का दरवाजा खटखटाया था। कंपनी की तरफ से दावा किया गया था कि उनका ब्लेंडर्स प्राइड का कस्टमर लंदन प्राइड नाम से उलझन में आ सकता है। उनके दशकों से बने ब्रांडनेम की पहचान को खतरा है।
यह है पूरा मामला
फ्रांस की पर्नोड रिकार्ड भारत में ब्लेंडर्स प्राइड, इंपीरियल ब्लू और सीग्राम्स जैसे लोकप्रिय ब्रांड बनाती है।
कंपनी ने आरोप लगाया कि इंदौर के कारोबारी करणवीर सिंह छाबड़ा अपनी कंपनी जेके इंटरप्राइजेज के बैनर तले लंदन प्राइड नाम से व्हिस्की बेच रहे हैं।
पर्नोड का दावा था कि इस ब्रांड ने न सिर्फ उनके नाम की नकल की बल्कि पैकेजिंग और लेबल भी हूबहू इंपीरियल ब्लू जैसी बनाई।
कंपनी का कहना था कि उपभोक्ता ब्लेंडर्स प्राइड और लंदन प्राइड के नामों में भ्रमित हो सकते हैं।
दोनों पक्षों की तरफ से ये दी दलीलें
पर्नोड रिकार्ड की ओर से
दोनों नामों में प्राइड समान है, जिससे उपभोक्ता भ्रमित होंगे।
बोतल का आकार और पैकेजिंग का रंग भी मिलता-जुलता हैशराब उद्योग में दृश्य पहचान (लेबल/पैकेजिंग) ही ब्रांड की अहम पहचान होती है।
जेके इंटरप्राइजेज की ओर से
लंदन प्राइड और ब्लेंडर्स प्राइड पूरी तरह अलग नाम हैं।
प्राइड एक आम शब्द है, जिसका उपयोग कई ब्रांड पहले से कर रहे हैं।
पर्नोड यह साबित नहीं कर पाया कि वास्तव में किसी उपभोक्ता को भ्रम हुआ है।
जस्टिस बोले, आप बोतलें साथ लाए हैं
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां 5 जनवरी 2024 को सुनवाई के दौरान दोनों कंपनियों की व्हिस्की की बोतलें अदालत में पेश की गईं। तत्कालीन सीजेआई डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई की। जब बोतलें कोर्ट में दिखाई गईं तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने हंसते हुए कहा – “आप बोतलें साथ लाए हैं?”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अगस्त 2025 में अदालत ने पर्नोड की याचिका खारिज कर दी और जेके इंटरप्राइजेज को राहत दी। यह पूरा विवाद इंदौर से शुरू हुआ और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। अब अंतिम फैसले के बाद लंदन प्राइड और ब्लेंडर्स प्राइड दोनों ही भारतीय बाजार में मौजूद रहेंगे। फैसले के ये हैं मुख्य बिंदु:
ट्रेडमार्क का मूल्यांकन समग्र रूप से होता है, केवल प्राइड शब्द पर नहीं।
पर्नोड ने ब्लेंडर्स प्राइड का ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया है, अकेले प्राइड का नहीं।
प्राइड शराब उद्योग में एक सामान्य शब्द है।
प्रीमियम व्हिस्की पीने वाला वर्ग आमतौर पर शिक्षित और समझदार होता है, उनके गुमराह होने की संभावना बेहद कम है।
ब्रांड को लेकर यह कहा कोर्ट ने
इस केस से भारतीय ट्रेडमार्क कानून में पहली बार Post-Sale Confusion सिद्धांत पर चर्चा हुई। कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रोडक्ट्स (जैसे लग्जरी बैग, कपड़े) में नकली उत्पाद बाजार में होने से असली ब्रांड की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है, लेकिन व्हिस्की जैसे निजी उपभोग वाले उत्पादों में यह नियम सीधे लागू नहीं होता।