इंदौर में चोइथराम सब्जी मंडी में हाल ही में लहसुन की सरकारी नीलामी के दौरान किसानों ने भारी हंगामा किया था। उनका कहना था कि नीलामी में उन्हें कम भाव दिए जा रहे हैं। अब किसानों को इस सरकारी नीलामी में लहसुन बेचने की अनिवार्यता से छूट मिल गई है। इसका कारण है सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फैसला।
सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया आदेश
बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि लहसुन को सब्जी की श्रेणी में ही रखा जाएगा। ऐसे में यह किसानों की मर्जी है कि वह निजी स्तर पर इसे बेचे या फिर सरकारी नीलामी की प्रक्रिया (प्रोसेस) के जरिए बेचें। सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर हाईकोर्ट के फैसले को बनाए रखते हुए कहा कि लहसुन जल्द खराब होने वाली कमोडिटी है, इसलिए इसे सब्जियों की कैटेगरी में रखा जाएगा।
आठ सालों से चल रहा था विवाद
मप्र में लहसुन को लेकर आठ सालों से विवाद था। साल 2015 में मप्र मंडी बोर्ड ने लहसुन को सब्जी माना, लेकिन कुछ ही समय बाद इसे बदलते हुए इसे मसाले की श्रेणी में डाल दिया, इसके कारण यह सरकारी नीलामी में आ गई। नीलामी में कई बार दाम कम मिलने पर किसान नाराज थे और उन्होंने अपनी रखते हुए कहा कि यह उनकी फसल है और वह जहां चाहे बेचें।
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