यूरो प्रतीक कंपनी को कब्जाने की साजिश: आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी को हड़पने की साजिश के मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने तीन आरोपित निदेशकों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया, और क्या हुआ...जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

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Sourabh Bhatnagar
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सुप्रीम कोर्ट ने कटनी की यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी को हड़पने की साजिश रचने के मामले में बड़ा फैसला देते हुए तीन आरोपित निदेशकों की गिरफ्तारी की राह साफ कर दी है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले की जांच सीआईडी से हटाकर दोबारा कटनी पुलिस को सौंपने के निर्देश दिए हैं।

शीर्ष अदालत ने आदेश कंपनी के डायरेक्टर सुरेन्द्र सिंह सलूजा की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर सुनाया है। सलूजा ने आरोप लगाया था कि कंपनी के अन्य निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और सेक्रेटरी लाची मित्तल ने कटनी विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी महेंद्र गोयनका के षड्यंत्र पर कंपनी पर कब्जा करने की साजिश रची।

सालूजा का यह भी कहना है कि उनके और हरनीत सिंह लाम्बा के फर्जी हस्ताक्षर कर इस्तीफा दर्शाते हुए डायरेक्टर पद से हटा दिया गया, जिसकी शिकायत कटनी में दर्ज कराई गई थी, लेकिन आरोपी निदेशकों की गिरफ्तारी नहीं होने पर याचिका हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई।

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आईजी की चिट्ठी से नहीं हो सकी गिरफ्तारी

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 22 अप्रैल को माना था कि जबलपुर आईजी के पत्र की वजह से गिरफ्तारी नहीं हो रही, जबकि तीनों की अग्रिम जमानत याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी हैं। इसके बाद आरोपियों की ओर से रिट अपील और पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं, जो खारिज हो चुकी हैं।

13 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने फर्जी इस्तीफे की जांच के निर्देश दिए थे और डीजीपी को जांच एजेंसी तय करने के लिए स्वतंत्र बताया था। इसी आदेश और गिरफ्तारी में देरी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई थी।

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कटनी पुलिस ही करेगी मामले की जांच

मामले पर हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने सलूजा की ओर से पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब मामले की निष्पक्ष जांच कटनी पुलिस पूर्व से ही निर्धारित इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) द्वारा की जाएगी, जिससे आरोपी निदेशकों की जल्द गिरफ्तारी की संभावना बन गई है। षड्यंत्रकर्ता महेंद्र गोयनका और उसके फर्जी निदेशकों की तरफ़ से एडवोकेट पिनाकी मिश्रा (सांसद) ने पैरवी की।

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