यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर्स की जमानत खारिज, खनन माफिया महेंद्र गोयनका ने रची थी गोलमाल की कहानी!

सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी हस्ताक्षर कर यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर्स को हटाने के मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया है। मामले में चार लोगों पर गंभीर धोखाधड़ी का आरोप है।

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Sourabh Bhatnagar
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सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में फर्जी हस्ताक्षर कर यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर्स को हटाने के मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है। इससे पहले भी जबलपुर हाईकोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। 

मामला मेसर्स यूरो प्रतीक नामक लौह अयस्क कंपनी से जुड़ा है, जहां फर्जी दस्तावेज बनाकर दो डायरेक्टर्स को कंपनी से बाहर कर दिया गया और भारी आर्थिक गड़बड़ी की गई। इस गड़बड़ी के खिलाफ फर्जी तरीके से हटाए गए डायरेक्टर्स ने कंपनी के चार अन्य लोगों पर धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इन चार लोगों में तीन डायरेक्टर्स और एक कंपनी सेक्रेटरी शामिल हैं। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से सभी आरोपी फरार हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने धोखाधड़ी के इन आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए मामले को गंभीर बताया।

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जबलपुर जिले से जुड़ा है मामला

यह मामला जबलपुर के सिहोरा में स्थित मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री का है, जहां सुरेंद्र सलूजा (Surendra Saluja) और हरनीत सिंह लांबा ( Harnit Singh Lamba ) डायरेक्टर्स के रूप में काम कर रहे थे। कंपनी के चार लोगों ने साजिश रचकर उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से बाहर कर दिया। इसके बाद दोनों डायरेक्टर्स ने कटनी और माधवनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई।

फर्जी हस्ताक्षर से लिया गया इस्तीफा

फर्जी तरीके से हटाए गए डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा और हरनीत सिंह लांबा ने कटनी और माधवनगर थाने में कूटरचना करने वाले चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इन आरोपियों में हिमांशु श्रीवास्तव ( Himanshu Srivastava ), सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और कंपनी सेक्रेटरी लाची मित्तल शामिल हैं। डायरेक्टर्स ने आरोप लगाया कि ये सभी महेंद्र गोयनका  ( Mahendra Goenka ) के इशारे पर काम कर रहे थे और फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर उन्हें कंपनी से बाहर कर दिया गया।

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धोखाधड़ी और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज

सुरेंद्र सिंह सलूजा का कहना है कि वे 2018 में इस कंपनी में डायरेक्टर बने थे और उन्होंने कंपनी में निवेश भी किया था। हाल ही में उन्हें पता चला कि बिना उनकी जानकारी के कंपनी के लौह अयस्क बेचे जा रहे हैं। जब उन्होंने इस बारे में जबलपुर कलेक्टर से शिकायत की, तो उन्हें बताया गया कि वे अब कंपनी में डायरेक्टर नहीं हैं। यह सुनकर सलूजा चौंक गए।

सलूजा ने हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और लाची मित्तल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। चारों आरोपियों पर फर्जी इस्तीफा और हस्ताक्षर बनाकर करोड़ों रुपए की आर्थिक गड़बड़ी करने का आरोप है। इसी तरह हरनीत सिंह लांबा ने भी माधवनगर थाने में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इधर सलूजा और लांबा ने आरोप लगाया है कि एफआईआर में मुख्य सरगना रायपुर निवासी महेंद्र गोयनका का नाम गायब कर दिया।  

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