सुरेश भदौरिया के इंडेक्स कॉलेज में MBBS की सीट के बाद MDS का भी झटका, काउंसलिंग में नहीं होंगी शामिल

सुरेश भदौरिया को इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस और एमडीएस सीटों की काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया है। जानिए इस विवाद के बारे में पूरी जानकारी...

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Sanjay Gupta
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रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट रायपुर, छत्तीसगढ़ में मान्यता केस में सीबीआई द्वारा आरोपी नंबर 25 बनाए गए सुरेश भदौरिया को एक और तगड़ा झटका लगा है। भ्रष्टाचार केस में आरोपी बनने के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) नई दिल्ली ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के 250 एमबीबीएस सीटों को इस बार नीट यूजी काउंसलिंग में शामिल नहीं किया। यानी यह जीरो ईयर हो गया। अब भदौरिया के इंडेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज की एमडीएस यानी मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी कोर्स को भी झटका लगा है।

MDS की सीट काउंसलिंग में नहीं

इंडेक्स डेंटल कॉलेज भी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज मालवांचल यूनिवर्सिटी के अधीन है। इसमें चेयरमैन सुरेश भदौरिया और वाइस चेयरमैन उनके बेटे मयंक भदौरिया हैं। इंडेक्स डेंटल कॉलेज के एमडीएस के विभिन्न नौ कोर्सों में 43 सीटें थीं, जिन्हें काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया है। वहीं नीट पीजी की काउंसलिंग के सभी राउंड खत्म हो चुके हैं। इस मामले में कॉलेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट का रुख भी किया था, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली है।

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सुरेश भदौरिया के इंडेक्स कॉलेज की खबर पर एक नजर

  • भ्रष्टाचार केस में आरोपी बनने के बाद, नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की 250 एमबीबीएस सीटों को नीट यूजी काउंसलिंग में शामिल नहीं किया, जिससे यह जीरो ईयर हो गया।

  • इंडेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज की एमडीएस कोर्स की 43 सीटें भी काउंसलिंग में शामिल नहीं की गईं।

  • कॉलेज ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें यह तर्क दिया गया था कि फीस निर्धारण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण एमडीएस सीटें काउंसलिंग में शामिल नहीं की गईं।

  • जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने कॉलेज की राहत की अपील खारिज की, और फीस का विवरण जारी करने को अनिवार्य किया।

  • हाईकोर्ट ने कॉलेज को कोई अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया और फीस रेगुलेटरी समिति को पक्षकार बनाए जाने के लिए समय दिया।

भदौरिया ने राहत पाने की कोशिश की

भदौरिया के कॉलेज ने हाईकोर्ट में इस मामले में अपील दायर की थी। इसमें कहा गया था कि काउंसलिंग में उनके एमडीएस को शामिल नहीं किया गया है। इसके लिए डीएमई ने उन्हें पत्र लिखा था कि क्योंकि फीस का निर्धारण कॉलेज द्वारा नहीं किया गया है और न ही वेबसाइट पर शो की है, इसलिए इसे काउंसलिंग में शामिल नहीं किया जा रहा है। प्रबंधन का कहना था कि उन्होंने फीस निर्धारण की प्रक्रिया पूरी कर मप्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन को आवेदन कर दिया था, लेकिन उनके द्वारा प्रक्रिया नहीं की गई, इसके चलते यह नहीं हो सका।

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हाईकोर्ट ने कर दिया हस्तक्षेप से इंकार

हाईकोर्ट की जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने आदेश दिया कि- सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसएलपी 9298/2019 के संबंध में दिए गए आदेश के तहत कॉलेज के काउंसलिंग में शामिल होने से पूर्व ट्यूशन फीस, होस्टल फीस, काशन मनी और अन्य शुल्क का विवरण जारी करना जरूरी है। ऐसे में कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाती है। याचिकाकर्ता को उचित आवेदन दायर कर फीस रेगुलेटरी समिति को पक्षकार बनाए जाने के लिए समय दिया जाता है।

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज घोटाला | मध्यप्रदेश हाईकोर्ट | एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी

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