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छत्तीसगढ़ रायपुर के रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट की मान्यता मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में आरोपी नंबर 25 सुरेश भदौरिया का एक और बड़ा कांड सामने आया है। भदौरिया ने मान्यता, फर्जी फैकल्टी, मालवांचल यूनिवर्सिटी के जरिए डिग्री के खेल तो किए ही हैं, साथ ही अपने यहां पीजी करने वाले डॉक्टर्स को भी नहीं छोड़ा।
बैच 2017 हो या 2018 या फिर 2019, सभी बैच के डॉक्टर्स के स्टायपेंड को भदौरिया का कॉलेज हजम कर गया और एडमिशन के समय ली गई कॉशन मनी भी नहीं दे रहा है। इस मामले में एक-दो नहीं, अलग-अलग याचिकाओं में अलग-अलग बैच के 100 से ज्यादा डॉक्टर्स हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं। हालत यह है कि हाईकोर्ट इस मामले में साफ कह चुका है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और मेडिकल यूनिवर्सिटी मध्य प्रदेश (MU) इंडेक्स की जांच करें और उचित एक्शन लें, लेकिन दोनों ने ही चुप्पी साध रखी है।
हाईकोर्ट में इंडेक्स के खिलाफ इतनी याचिकाएं
हाईकोर्ट में इंडेक्स कॉलेज के 10 डॉक्टर्स ने याचिका WP 15430/25 दायर की और कहा कि कॉलेज द्वारा स्टायपेंड की पूरी राशि और एरियर का भुगतान नहीं किया जा रहा है और ना ही कॉशन मनी (25 हजार प्रति छात्र) वापस की जा रही है। इस पर हाईकोर्ट ने इसमें इंडेक्स के खिलाफ आदेश दिया और पूर्व में याचिका WP 4371/24 के तहत दिए गए आदेश के पालन करने के लिए कहा।
- इस आदेश के खिलाफ इंडेक्स ने फिर बचने के लिए RP 1232/2025 दायर की है।
- हाईकोर्ट में WP 4371/24 याचिका इंडेक्स के 61 डॉक्टर्स द्वारा दायर की गई थी।
- इसके पहले हाईकोर्ट में इंडेक्स के 40 डॉक्टर्स WP 23817/22 याचिका भी लगा चुके हैं।
- यह याचिकाएं अलग-अलग साल 2017, 2018, 2019 बैच के डॉक्टर्स की हैं।
हाईकोर्ट ने इंडेक्स पर कार्रवाई का कहा, सरकार चुप
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी ने डॉक्टर्स द्वारा इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ लगातार स्टायपेंड नहीं देने और कॉशन मनी नहीं लौटाने की याचिकाओं पर तल्ख टिप्पणी की थी। बेंच ने याचिका WP 4371/24 में 61 डॉक्टर्स की बात सुनने के बाद आदेश में कहा कि- इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन डॉक्टर्स की राशि लौटाएं और वह भी 8 फीसदी ब्याज के साथ।
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और मेडिकल यूनिवर्सिटी मध्य प्रदेश (MU) इस मामले में प्रतिवादी नंबर तीन यानी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के व्यवहार का परीक्षण करें। आखिर क्यों देश भर के लोगों को बार-बार हाईकोर्ट आना पड़ रहा है। इस संबंध में सूटेबल एक्शन भी लिया जाए। लेकिन इसके बाद भी इस मामले में सरकार और नेशनल मेडिकल कमीशन चुप्पी साध पर बैठा हुआ है।
क्या है नियम और क्या बहाने बना रहा भदौरिया का इंडेक्स
पीजी डिग्रीधारक अपनी डॉक्टरी सेवा भी देते हैं। इसमें जूनियर रेसीडेंट और सीनियर रेसीडेंट को अलग-अलग स्टायपेंड दिया जाता है। यह 45 हजार से लेकर 65 हजार प्रति माह तक है। सरकार इस संबंध में जून 2021 में आदेश जारी कर इस स्टायपेंड को महंगाई से भी जोड़ चुकी है जिससे हर साल इसमें वृद्धि होती जाए। लेकिन इंडेक्स ने एरियर तो छोड़िए, पुरानी उचित राशि भी नहीं दी है।
वहीं कॉशन मनी के तौर पर भी एडमिशन के समय 25 हजार रुपए जमा कराए जाते हैं, इसे भी कोर्स के बाद लौटाने में नौटंकी करता है। हर याचिका में इंडेक्स प्रबंधन के जवाब यही रहते हैं कि हम राशि दे रहे हैं, इसके लिए आवेदक की अटेंडेंस कॉपी, रसीद कॉपी, बैंक पासबुक, कॉलेज छोड़ने की जानकारी की जरूरत है।
वहीं याचिकाकर्ता सीधे कहते हैं कि यह सभी जानकारी तो कॉलेज प्रबंधन के पास खुद ही है, लेकिन वह इसके बाद भी केवल शोषण करने के लिए यह सब मांगता है। इन सभी तर्कों को सुनने के बाद ही हाईकोर्ट हर याचिका में यह राशि लौटाने के आदेश कॉलेज प्रबंधन को दे चुका है। अब इस आदेश के खिलाफ उसने रिव्यू पिटीशन दायर की है।
सीबीआई ने भदौरिया, इंडेक्स को लेकर यह कहा था रिपोर्ट में
सीबीआई द्वारा रावतपुरा मामले में की गई एफआईआर में भदौरिया को आरोपी नंबर 25 बनाया है। इसे लेकर लिखा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के चंदन कुमार और मध्य प्रदेश के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे।
भदौरिया ने घोस्ट फैकल्टी के लिए क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाए
भदौरिया को लेकर सीबीआई की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं।
भदौरिया द्वारा इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया। लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थाई फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।
भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां
सीबीआई यहीं तक नहीं रूकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार, सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल थे।
अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद
स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नजर रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींची जा रही थीं और निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की जा रही थीं। इसमें भदौरिया भी शामिल थे।
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