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छत्तीसगढ़ के रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के मान्यता घोटाले में घूसखोरी के आरोप इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया पर लगे थे। उन्होंने आरोपी बनाए जाने और सीबीआई की कार्रवाई को गलतफहमी मात्र बताया। साथ ही कहा कि पहले भी आरोप लगे हैं और वह निर्दोष साबित हुए हैं।
उनका इशारा साफ तौर पर व्यापमं घोटाले में उन्हें आरोपी बनाए जाने को लेकर है। इसमें वह जेल भी जा चुके हैं। हाल ही में हाईकोर्ट में एफआईआर क्वैश के आदेश हुए थे।
सीबीआई की जांच में आरोपी नंबर 25 बने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया ने अपनी सफाई पेश की है। भदौरिया के संस्थान ने जनसंपर्क अधिकारी के जरिए यह सफाई जारी की है।
इंडेक्स ग्रुप ने क्या दी है सफाई?
जनसंपर्क विभाग, इंडेक्स समूह ने कहा कि हम मानते हैं कि सत्य एवं पारदर्शिता ही किसी भी संस्थान की मजबूती की नींव होती है। हमारी समस्त संस्थानों की गतिविधियाँ निर्धारित मानकों और कानूनी दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही संचालित की जाती रही हैं। हमारे सभी संस्थान के जरिए हमेशा से सभी कानूनी प्रक्रियाओं और नियमों का पूर्ण सम्मान व पालन किया जाता रहा है और रहेगा।
हाल ही में एक जाँच एजेंसी द्वारा कुछ गलतफहमी के चलते की गई कार्रवाई के संबंध में कई भ्रामक तथ्य प्रचलित किए जा रहे हैं। इसके चलते यहाँ यह स्पष्ट करना अतिआवश्यक है कि हमने हमेशा कानून को सर्वोच्च माना है। साथ ही उक्त जाँच एजेंसी को जाँच में पूर्ण सहयोग प्रदान किया है और आगे भविष्य में भी करते रहेंगे।
यह पहला अवसर नहीं है जब हमारे संस्थानों पर इस तरह की भ्रामक वृत्तियाँ प्रचलित कर आक्षेप लगाए गए हों। परंतु हर बार उन सभी वृत्तियों के विरुद्ध सभी आक्षेपों में हम पूर्ण रूप से निर्दोष पाए गए हैं। कोई भी अनियमितता सिद्ध नहीं हुई है।
हम देश के संविधान एवं न्याय प्रणाली पर पूरा विश्वास रखते हैं। हम अपने सभी छात्रों, उनके पालकों एवं सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि संस्थान की ओर से जांच में पूरा सहयोग दिया जा रहा है। हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि इस बार भी तथ्यों के आधार पर सत्य सामने आएगा।
भदौरिया पहली बार विवादों में नहीं हैं
भदौरिया पहली बार विवादों में नहीं हैं। वह आयुष्मान घोटाले में फंस चुके हैं जब उन्होंने 15 साल की नाबालिग को आईवीएफ ट्रीटमेंट बताया और फर्जी मरीज भर्ती कर सरकार से करोड़ों की राशि ली। वह मान्यता संबंधी केस में साल 2006-07 में भी उलझ चुके हैं।
उनके कॉलेज में पीजी छात्रा ने सुसाइड भी किया था और इसमें प्रबंधन पर आरोप लगाए थे। व्यापमं घोटाले में वह आरोपी बने, फरार हुए और फिर सरेंडर किया गया और जेल गए, बाद में जमानत पर रिहा हुए। इन सभी के बाद भी वह शानदार करोड़ों की रॉल्स रॉयस कार खरीदते हैं जो देश में केवल मुकेश अंबानी के पास थी और बाद में भदौरिया के पास आई।
रिपोर्ट में भदौरिया को लेकर यह क्या गलफहमी है
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार (इन्हें भी इस कांड में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज हुई है) और मप्र के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे।
रावतपुरा सरकार के साथ भदौरिया की सांठगांठ
इस पूरे कांड में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। यह भिंड (लहार) के हैं। इसी एरिया के भदौरिया भी हैं। भदौरिया के रावतपुरा सरकार से सालों से संबंध हैं। भदौरिया ने रावतपुरा के साथ संपर्कों का लाभ उठाया और धीरे-धीरे सरकारी सिस्टम में पैठ बना ली।
वहीं रावतपुरा को भदौरिया के मेडिकल कॉलेजों से संपर्कों का लाभ हो रहा था। दोनों की इसी जुगलबंदी ने भदौरिया को मान्यता दिलाने के लिए राष्ट्रीय दलाल बना दिया और इसमें जमकर कमीशन खाया। एक-एक कॉलेज की मान्यता के लिए लाखों नहीं बल्कि दो से तीन करोड़ रुपए तक की डील हुई है। इसमें कमीशन खाया गया। राशि संबंधित को हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी।
भदौरिया ने घोस्ट फैकल्टी के लिए क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाए
भदौरिया को लेकर सीबीआई की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं। यह शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।
भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं। भदौरिया के जरिए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया।
कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थायी फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।
भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां
सीबीआई यहीं तक नहीं रूकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है। स्वास्थय मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल हैं।
अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद
स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नजर रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के जरिए की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींचकर निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की जा रही थी। इसमें भदौरिया भी शामिल थे।
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