जिसे CBI ढूंढ रही वह सुरेश भदौरिया इंदौर में ही, शनि दोष दूर कराने के लिए दो घंटे तक मंदिर में की पूजा

रावतपुरा इंस्टीट्यूट रायपुर के घूसकांड में आरोपी के आरोपी और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है।

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Sanjay Gupta
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रावतपुरा इंस्टीट्यूट रायपुर के घूसकांड में आरोपी नंबर 25 बनाए गए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज (Index Medical College) के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया कहीं नहीं गए हैं। वह इंदौर में ही मौजूद हैं। अब CBI के हत्थे क्यों नहीं चढ़े यह बड़ा सवाल उठ रहा है। शनिवार को उनकी एक मंदिर में पूजा करते हुए का एक्सक्लूसिव फोटो और वीडियो द सूत्र के पास मौजूद है।

कुर्ते में सुरेश सिंह भदौरिया

भदौरिया इस मंदिर में गए पूजा करने के लिए

भदौरिया मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के घूसकांड में घिरे हुए हैं और बुधवार-गुरुवार को CBI टीम उनके ऑफिस और गुलमोहर स्थित घर पर भी पहुंची थी लेकिन वह नहीं मिले। अब द सूत्र के पास जो फोटो और जानकारी आई है, इसके अनुसार वह शनिवार सुबह 9 से 11 बजे तक इंदौर के एलआईजी चौराहे के पास स्थित उदयवीर हनुमान मंदिर परिसर में अपने गार्ड और कुछ करीबी स्टाफ के साथ मौजूद थे। यहां उन्होंने हवन-पूजन कराया।

पुजारियों ने बताया यह पूजा कराई

मंदिर के मुख्य पुजारी धरमदास महाराज ने बताया कि भदौरिया कभी-कभार मंदिर आते रहे हैं लेकिन हवन पहली बार करवाया है। उन्होंने शनिवार को हवन कराया और कहा कि शनि की महादशा के कारण कुछ दिनों से बहुत परेशान हैं, इसलिए अनुष्ठान कराना है। महाराज ने बताया कि भदौरिया के साथ परिवार के लोग नहीं थे, सुरक्षा गार्ड व अन्य साथ थे। हवन के बाद वह चुपचाप अपनी लग्जरी कार में बैठकर रवाना हो गए।

इस तरह भदौरिया का राष्ट्रीय दलाली का था नेटवर्क

CBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय मंत्रालय के स्वास्थ्य मंत्रालय चंदन कुमार (इन्हें भी इस कांड में आरोपी बनाकर FIR दर्ज हुई है) और मप्र के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे।

रावतपुरा सरकार के साथ भदौरिया की सांठगांठ

इस पूरे कांड में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। यह भिंड (लहार) के हैं। इसी एरिया के भदौरिया भी हैं। भदौरिया के रावतपुरा के साथ संपर्कों का लाभ उठाया और धीरे-धीरे सरकारी सिस्टम में पैठ बना ली। वहीं रावतपुरा को भदौरिया के मेडिकल कॉलेजों से संपर्कों का लाभ हो रहा था। दोनों की इसी जुगलबंदी ने भदौरिया को मान्यता दिलाने के लिए राष्ट्रीय दलाल बना दिया और इसमें जमकर कमीशन खाया। एक-एक कॉलेज की मान्यता के लिए लाखों नहीं बल्कि दो से तीन करोड़ रुपए तक की डील हुई है। इसमें कमीशन खाया गया। राशि संबंधित को हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी।

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भदौरिया ने घोस्ट फैकल्टी के लिए क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाए

भदौरिया को लेकर CBI की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं। भदौरिया द्वारा इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया। लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थायी फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।

भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां

CBI यहीं तक नहीं रुकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल थे।

अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नज़र रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींच रहे निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा किया जा रहा था। इसमें भदौरिया भी शामिल है।

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