इंडेक्स के चेयरमैन सुरेश भदौरिया को लगा 250 करोड़ का झटका, NMC ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिस्ट से हटाया

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया को NMC द्वारा 250 सीटों को जीरो ईयर करने से 250 करोड़ का नुकसान हुआ। पढ़ें इस खबर को विस्तार से...

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Sanjay Gupta
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रावतपुरा इंस्टीट्यूट रायपुर के घूसकांड में सीबीआई के आरोपी नंबर 25 बने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया को 250 करोड़ का तगड़ा झटका लगा है। यह झटका NMC (नेशनल मेडिकल कमीशन) के कहने पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) ने दिया है। भदौरिया पहले भी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर साल 2006-07 में उलझ चुके हैं और जेल की हवा खा चुके हैं। वहीं आयुष्मान योजना में भी उनका घोटाला कागज पर नाम सामने आ चुका है, जिसके बाद उन्हें योजना से हटा दिया गया और बाद में हाईकोर्ट के आदेश से लिस्ट में फिर जुड़े।

इंडेक्स में इस साल जीरो ईयर, 250 सीटें खाली रहेंगी

रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार की गंभीर धाराओं में उलझे भदौरिया के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 250 सीटें हैं, जिन्हें इस साल MCC ने कमीशन के कहने पर 2025 की काउंसलिंग प्रक्रिया से हटा दिया है और इन सीटों के आगे जीरो लिख दिया गया है। यानी इसके लिए जीरो ईयर रहेगा और बच्चे यहां पर एडमिशन नहीं ले सकेंगे।

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इस तरह 250 करोड़ का झटका

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की औसतन फीस 18 लाख रुपए प्रति साल है। 250 सीटों के हिसाब से हर साल की फीस 45 करोड़ रुपए बनती है। पांच साल के कोर्स के लिए यह कुल फीस 250 करोड़ रुपए होती है। एक साल जीरो ईयर होने से भदौरिया को इतना रुपयों का नुकसान होगा।

NMC ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को एडमिशन लिस्ट से हटाया...

  • इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया को NMC के निर्देश पर 250 सीटों के लिए जीरो ईयर घोषित होने के कारण 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

  • सीबीआई ने भदौरिया और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच रिश्वतखोरी और फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने का आरोप लगाया, जिससे मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में गड़बड़ी हुई।

  • भदौरिया ने अपनी मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए अस्थायी कर्मचारियों को फर्जी तरीके से स्थायी फैकल्टी के रूप में प्रस्तुत किया और बायोमेट्रिक डेटा में हेरफेर किया।

  • भदौरिया ने फर्जी मरीज भर्ती करके आयुष्मान योजना से फंड प्राप्त किया और इससे कॉलेज की मान्यता को भी फायदा हुआ।

  • इंदौर के एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज की सीटें घटाकर 50 कर दी गई, और भ्रष्टाचार के आरोप में कई अन्य कॉलेजों को भी जीरो ईयर का सामना करना पड़ा।

एलएनसीटी की भी सीट घटी

एक झटका इंदौर के एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज एंड सेवाकुंज अस्पताल को भी लगा है और इसकी सीट 150 थी जिसे अब घटाकर 50 सीट कर दिया गया है।

सीबीआई जांच में आए इन कॉलेजों में भी जीरो ईयर

इसके साथ ही नेशनल मेडिकल कमीशन ने सख्त कदम उठाते हुए भ्रष्टाचार केस में उलझे और सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च रायपुर और राजस्थान के उदयपुर में स्थित गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के लिए भी जीरो ईयर कर दिया है।

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इंडेक्स में इन अनियमितताओं का सीबीआई ने किया है खुलास

सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के चंदन कुमार (जिन्हें भी इस कांड में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज हुई है) और एमपी के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे।

सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे। इस पूरे कांड में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। यह भिंड (लहार) के हैं। इसी एरिया के भदौरिया भी हैं। भदौरिया के रावतपुरा सरकार से सालों से संबंध हैं। भदौरिया ने रावतपुरा के साथ संपर्कों का लाभ उठाया और धीरे-धीरे सरकारी सिस्टम में पैठ बना ली।

भदौरिया ने मान्यता के लिए यह सब खेल किया

भदौरिया को लेकर सीबीआई की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।

भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं। भदौरिया द्वारा इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया। लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थायी फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।

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भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां

सीबीआई यहीं तक नहीं रूकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार, जो सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी हैं, रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल थे।

अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नजर रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींची जा रही थीं, जो निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की जा रही थीं। इसमें भदौरिया भी शामिल था।

फर्जी फैकल्टी, मरीज को लेकर खेल कर रहा भदौरिया

सीबीआई की रिपोर्ट में साफ आ चुका है कि भदौरिया फैकल्टी के नाम पर खेल कर रहा है। साथ ही फर्जी क्लोन फिंगरप्रिंट बना रहा है और इसके जरिए नियमित फैकल्टी दिखाता है। वहीं आयुष्मान योजना जांच में साफ आ चुका है कि यह फर्जी मरीज भर्ती करता है और इससे दो फायदे उठाता है: एक तो मरीज होने पर मान्यता मिलने में आसानी होती है और दूसरा आयुष्मान योजना के लिए फंड भी उठाता है।

मालवांचल यूनिवर्सिटी में है इंडेक्स मेडिकल कॉलेज

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज का संचालन मालवांचल यूनिवर्सिटी के अधीन किया जा रहा है, जो मयंक वेलफेयर सोसायटी के तहत है। इस ट्रस्ट के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया हैं, तो वहीं वाइस चेयरमैन पद पर उनके बेटे मयंकराज सिंह भदौरिया हैं।

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