सस्पेंड महिला अधिकारी ने IAS पर लगाए उत्पीड़न के आरोप,CM को लिखा पत्र

मध्यप्रदेश की एक निलंबित महिला अधिकारी ने अपने ही आईएएस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला अधिकारी ने  उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, मानसिक यातना, अपमान, गलत निलंबन और अब जीवन निर्वाह भत्ता भी रोकना जैसे आरोप लगाए हैं...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL.  महिला अधिकारी अनुराधा सिंघई (ED CEDMAP) ने आईएएस नवनीत मोहन कोठारी पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। ये आरोप उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लगाए गए हैं। अनुराधा ने एमपी सरकार में सेडमैप अध्यक्ष और सचिव एमएसएमई पर आरोप लगाए कि आईएएस ने पद का दुरुपयोग करते हुए मेरे साथ उत्पीड़न, दुर्व्यवहार करते हुए मानसिक यातना देकर मेरा अपमान किया है। साथ ही मेरा गलत निलंबन किया और निर्वाह भत्ते को भी रोक दिया है। 

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अनुराधा सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का केस

उद्यमिता विकास केंद्र यानी सेडमैप (CEDMAP) की कार्यकारी निदेशक (ईडी) अनुराधा सिंघई के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी कर नियुक्ति हासिल करने का मामला दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ सेडमैप में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति हासिल करने के लिए दस्तावेजों में जालसाजी करने का परिवाद जिला न्यायालय में प्रस्तुत किया था। परिवाद में लगाए गए आरोप पुलिस की जांच में सही पाए जाने पर कोर्ट के आदेश पर अनुराधा सिंघई के खिलाफ बुधवार (26 जुलाई) को एमपी नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि शिकायकर्ता राजेश कुमार मिश्रा ने परिवाद में आरोप लगाया कि अनुराधा सिंघई सेडमैप के कार्यकारी संचालक के पद के लिए आवश्यक योग्यताएं और अर्हताएं पूरी नहीं करतीं। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेडमैप में यह नियुक्ति हासिल की है। जेएमएफसी रजनीश ताम्रकार ने इस मामले की सुनवाई कर 14 जुलाई को महाराणा प्रताप नगर पुलिस को 28 जुलाई तक जांच प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

अनुराधा सिंघई के खिलाफ यह आरोप

सेडमैप के कार्यकारी संचालक पद के लिए 17 मार्च 2021 को समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार इस पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक पात्रता एवं अनुभव में प्राइवेट सेक्टर के आवेदकों को न्यूनतम 15 लाख रुपए CTC के पैकेज के अंतर्गत किसी भी संस्थान में कार्यरत होने का अनुभव मांगा गया था। इस पर अनुराधा सिंघई ने षड्यंत्र एवं कूटरचित तरीके से खुद का 15 लाख रुपए CTC के खुद के घोषणा पत्र में हस्ताक्षर कर अपनी गलत सीटीसी दर्शा दी, जबकि वे अपने खुद के एनजीओ indo-european चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और कल्प मेरु सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में संचालक के पद पर कार्यरत थी, जिसमें उन्हें कोई मासिक सैलरी नहीं मिलती थी। हकीकत में वह खुद का व्यवसाय संचालित करती थी।

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