टीएंडसीपी में रिटायर्ड अफसर की वापसी तय, बिल्डर लॉबी के दबाव में सुनीता सिंह को संविदा नियुक्ति की तैयारी

टीएंडसीपी विभाग में सुनीता सिंह को संविदा नियुक्ति देने की तैयारी है। यह कदम बिल्डर लॉबी के दबाव का नतीजा माना जा रहा है। नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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BHOPAL.मध्यप्रदेश के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) विभाग से जुड़ा बड़ा अपडेट सामने आया है। विभाग की ज्वाइंट डायरेक्टर सुनीता सिंह को रिटायरमेंट के तुरंत बाद फिर नौकरी देने की तैयारी कर ली गई है। खास बात यह है कि यह नियुक्ति संविदा पर होगी और टीएंडसीपी के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब किसी महिला अफसर को इस स्तर पर संविदा नियुक्ति दी जाएगी। विभाग इसे प्रशासनिक जरूरत बता रहा है, लेकिन इसे बिल्डर लॉबी के दबाव का नतीजा माना जा रहा है।

सुनीता सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं, लेकिन उससे पहले ही उनकी संविदा नियुक्ति की फाइल तैयार कर ली गई है। सूत्रों के मुताबिक, मामला सीएम समन्वय तक पहुंच गया है। वहां से हरी झंडी मिलते ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद उनकी दोबारा एंट्री का रास्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा।

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विभाग की दलील 

विभाग की दलील है कि भोपाल मास्टर प्लान का प्रकाशन बेहद अहम चरण में है और इस काम के लिए सुनीता सिंह का बने रहना जरूरी है। मास्टर प्लान का ड्राफ्ट उन्हीं ने तैयार किया है और वही इसे अंतिम रूप देकर डायरेक्टर को सौंपेंगी। इसके बाद ही प्लान सरकार के पास जाएगा और आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। इसी तर्क के आधार पर उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी की गई है।

हालांकि, इस कहानी का दूसरा पहलू इससे अलग है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि सुनीता सिंह को एक्सटेंशन देने की तैयारी काफी पहले ही कर ली गई थी। राजनीतिक और अफसरशाही स्तर पर सहमति पहले से बन चुकी थी। मास्टर प्लान को सिर्फ औपचारिक वजह के तौर पर सामने रखा जा रहा है।

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नियुक्ति को लेकर आश्वस्त सुनीता सिंह

 बीते एक हफ्ते के घटनाक्रम इस ओर इशारा करते हैं कि सुनीता सिंह अपनी संविदा नियुक्ति को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थीं। वे लगातार अपनी गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) और अन्य जरूरी दस्तावेज पूरे कराने में जुटी रहीं। दरअसल, संविदा नियुक्ति के मामलों में छानबीन समिति सभी कागजातों की जांच करती है। ऐसे में पहले से तैयारी करना जरूरी होता है, और यही तैयारी सुनीता सिंह करती दिखीं।

इसी दौरान उन्होंने होटल जहांनुमा में विदाई पार्टी भी आयोजित की। इसमें विभाग के कई शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। बाहर से यह सामान्य विदाई समारोह लगा, लेकिन अंदरखाने इसकी चर्चा अलग थी। सूत्रों का कहना है कि इस पार्टी का मकसद यही था कि विभाग और बाहर की दुनिया में यह संदेश जाए कि सब कुछ सामान्य है और रिटायरमेंट के बाद कहानी खत्म हो रही है। संविदा नियुक्ति की भनक किसी को न लगे।

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बिल्डरों के हितों पर पड़ सकता था असर

सबसे बड़ा सवाल भोपाल मास्टर प्लान को लेकर उठ रहा है। कहा जा रहा है कि यह प्लान सुनीता सिंह ने ही तैयार किया है और अगर वे रिटायर होकर विभाग से बाहर हो जाती हैं तो कई बड़े बिल्डरों के हितों पर असर पड़ सकता है। यही वजह बताई जा रही है कि बिल्डर लॉबी उनके बने रहने के पक्ष में है। कहा जा रहा है कि संविदा नियुक्ति के बावजूद उन्हें टॉप लेवल के अधिकार दिए जाने की तैयारी है, जबकि सामान्य तौर पर संविदा पर रखे गए अफसरों को इतनी शक्तियां नहीं दी जातीं।

यहां एक और गंभीर सवाल खड़ा हो रहा है। संविदा पर नियुक्त अफसर पर गोपनीयता और जवाबदेही के मामले में कितना भरोसा किया जा सकता है? टीएंडसीपी जैसा विभाग, जहां जमीन, प्लानिंग और अरबों रुपये के प्रोजेक्ट्स से जुड़े फैसले होते हैं, वहां संविदा अफसर को अतिरिक्त अधिकार देना क्या सही है? इस सवाल का जवाब फिलहाल सरकार के पास नहीं है।

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विभाग के भीतर असंतोष के सुर 

विभाग के भीतर इस फैसले को लेकर असंतोष भी साफ दिख रहा है। कई अधिकारी मानते हैं कि एक तरफ प्रमोशन पर ब्रेक लगा हुआ है, योग्य अफसर सालों से तरक्की का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरफ रिटायर्ड अफसरों को दोबारा संविदा पर नियुक्त किया जा रहा है। इसे विभागीय अधिकारियों के साथ खुली नाइंसाफी माना जा रहा है।

बहरहाल, संकेत साफ हैं कि सुनीता सिंह की संविदा नियुक्ति अब सिर्फ औपचारिकता भर रह गई है। फाइल आगे बढ़ चुकी है और फैसला लगभग तय माना जा रहा है। सवाल यही है कि यह नियुक्ति सच में भोपाल मास्टर प्लान के हित में है या फिर इसके पीछे दबाव और हितों का ऐसा जाल है, जिसे आम जनता के सामने लाने से बचा जा रहा है।

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