सड़कों पर उतरे शिक्षक, लेकिन वर्ग 1 में 4690 पद क्यों रह गए खाली?

हाईकोर्ट के फैसले के बाद डीपीआई ने ज्वाइनिंग लैटर जारी कर दिए हैं। लेकिन कुछ समय पहले जो शिक्षक सड़कों पर उतरकर नियुक्ति की मांग कर रहे थे वे ज्वा​इनिंग लेने ही नहीं पहुंचे। जानिए क्या रही इसके पीछे की वजह?

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Sanjay gupta
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INDORE. हाईकोर्ट में फैसला होने के बाद डीपीआई (लोक शिक्षण संचालनालय) ने ज्वाइनिंग लैटर जारी कर दिए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि लगातार नियुक्ति की मांग करने वाले और सड़कों पर उतरने वाले शिक्षक ज्वाइनिंग में नहीं पहुंचे। 7591 में से 4690 पद खाली रह गए हैं ऐसा क्यों हुआ, इसके दो बड़े कारण है।

62 फीसदी खाली पदों का यह रहा हिसाब

शिक्षक वर्ग 1 के वेटिंग अभ्यर्थियों ने डीपीआई से आंकड़े लेकर द सूत्र को जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि 7591 पद विज्ञापित थे। इसमें से 3390 का दस्तावेज सत्यापन हुआ। यानी इतने ही सत्यापन कराए और नियुक्ति आदेश केवल 2901 के ही हुए। कुछ अभ्यर्थियों के ज्वाइनिंग लैटर नहीं आए। वहीं दस्तावेज पूरे न होने या दस्तावेजों की कमी के चलते बाकी अन्य अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग नहीं दी गई और इन्हें बाहर कर दिया गया। इस तरह 4690 पद यानी 62 फीसदी पद रिक्त रह गए। 

इन विषयों में सबसे कम ज्वाइनिंग

सबसे अधिक भर्ती हिंदी विषय में हुई और इसमें केवल 29 फीसदी पद खाली रहे। दूसरी तरफ सबसे ज्यादा खाली पद उर्दू में 93 फीसदी और संस्कृत में 89 फीसदी रहे। 
अब क्यों रहे खाली- इसकी दो बड़ी वजह बताई गई हैं।

पहली वजह...

इसकी पहली बड़ी वजह तो यही रही कि 87-13 का फार्मूला। इस फार्मूले के कारण 13 फीसदी पद तो वैसे ही खाली रह गए, इन्हें होल्ड कर दिया गया और ज्वाइनिंग नहीं हुई है।

दूसरी वजह...

दूसरी बड़ी वजह है बैकलॉग पद। स्कूल शिक्षा व ट्राइबल विभाग दोनों को मिलाकर कुल 8720 पद विज्ञापित हुए थे। इसमें स्कूल शिक्षा के 7591 और 1129 पद ट्राइबल के थे। जिनमें से बैकलॉग के 3668 पद और फ्रेश पद केवल 5052 हैं। इसमें भी 25 फीसदी पद यानी 1263 अतिथि शिक्षक के लिए हैं। पात्रता परीक्षा पास कर आए युवाओं के लिए फ्रेश पद केवल 3789 ही थे। बताया जा रहा कि ज्वाइनिंग के लिए नहीं पहुंचने वाले अधिकांश उम्मीदवार बैकलॉग वाले हैं। डीपीआई ने इन पदों की अलग से जानकारी अभी नहीं दी है। बैकलॉग पद नहीं भरने पर इन्हें अनारक्षित को देने का प्रावधान है, लेकिन इन पदों को फ्रेश पदों में तब्दील नहीं किया जा रहा है। 

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80-85 फीसदी लाने वाले भी वेटिंग में

कम फ्रेश पदों के चलते युवा उम्मीदवार शिक्षक बनने से रह रहे हैं। मप्र सरकार के पोर्टल के अनुसार वर्ग एक के 36 हजार 837 पदों में से 21451 पद रिक्त हैं, लेकिन इन पदों को नहीं भरा जा रहा है। उधर दो चरणों की पात्रता परीक्षा पास करने के बाद टॉप 10 में आने वाले मेरिट होल्डर उम्मीदवार भी वेटिंग में डले हुए हैं। उनके सौ में से 80-85 फीसदी तक अंक हैं, लेकिन वेटिंग में केवल इसलिए हैं, क्योंकि उनके विषय में केवल तीन-चार ही पद हैं। ऐसे में उनका नंबर आ ही नहीं रहा है। इन पात्रता वाले युवाओं को मौका तब मिलेगा, जब मप्र शासन रिक्त पड़े 21 हजार 451 पदों को इस ज्वाइनिंग में अपलोड करे। इससे सभी वेटिंग पात्र उम्मीदवारों को मौका मिल जाएगा। इसकी मांग वेटिंग शिक्षक संघ वर्ग 1-2023 मप्र लंबे समय से  कर रहा है।

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वर्ग 1 (2023) की पूरी कहानी-

पहली बार दो चरणों की पात्रता परीक्षा

पात्रता परीक्षा - मार्च 2023 में हुई

कुल कैंडिडेट -1,55,709

पास कैंडिडेट - 29221
2018 के जो कैंडिडेट पात्रता पास थे उनको 2023 की परीक्षा में बिना पात्रता परीक्षा दिलवाए सीधे चयन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गयी। ऐसे कैंडिडेट लगभग 15500 के आस पास थे।

चयन परीक्षा - अगस्त 2023

कुल कैंडिडेट -(29221+15500)=44721 लगभग

पास कैंडिडेट- लगभग 42000 

रिजल्ट : 20 फ़रवरी 2024

मेरिट में आए कैंडिडेट - 4721 ( DPI और ट्राइबल मिलाकर )

डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन :14 जून से 18 जून 2024 तक 

3390 कैंडिडेट का DV हुआ DPI में पोर्टल डेटा के अनुसार।

ट्राइबल : 6 अगस्त से 8 अगस्त 2024 तक
651 कैंडिडेट का DV हुआ ट्राइबल में पोर्टल डेटा के अनुसार ।

पदों का वर्गीकरण-

कुल पद - 8720 (16 विषय के लिए)
फ्रेश पद - सिर्फ 5052 और उसमें से 25 % अतिथि के लिए रिजर्व हैं यानी 1263 पद। इस हिसाब से नए लोगों के लिए फ्रेश पद केवल 3789 पद हैं। 

बैकलॉग पद -3668 

DPI ने कुल पद निकाले - 7591

ट्राइबल ने कुल पद निकाले- 1129 
मध्यप्रदेश सरकार के gfms पोर्टल के अनुसार वर्तमान में कुल स्वीकृत 36837 पदों में से आधे से ज्यादा यानी 21451 पद रिक्त बताए गए हैं।

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