टेक्नोलॉजी डे का मजाक उड़ाता मेपकास्ट, खुद के वैज्ञानिकों को ही 1 घंटे पहले दी सूचना

मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) मध्य प्रदेश सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में आता है। इसकी स्थापना 1981 में हुई थी। इसका मकसद राज्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिए सतत विकास को बेहतर बनाना है...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. देश में हर साल 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इस दिन इनोवेशन, साइंटिस्ट और इंजीनियरों के योगदान को पहचानने और देश में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। लेकिन प्रदेश के इकलौते वैज्ञानिक संस्थान मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ( Mapcast ) भोपाल में ही इस दिन को लेकर कितनी नीरसता है इसका एक उदहारण देखने को मिला। यहां प्रौद्योगिकी दिवस पर होने वाली कार्यशाला के लिए परिषद के परिवार के वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारियों को ही कार्यक्रम के 1 घंटे पहले औपचारिक सूचना दी गई और कार्यक्रम को महज औपचारिक बनाकर रख दिया।

वैज्ञानिकों को अपने कामों में रुचि नहीं

दरसल मेपकास्ट ( Mapcast ) में आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए एक तकनीकी हैंड्स ऑन कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जो सुबह 11 बजे से आयोजित किया जाएगा। मेपकास्ट ने अपने खुद के वैज्ञानिकों को कार्यक्रम शुरू होने के एक घंटे पहले यानी 9:54 पर अपने व्हाट्सएप ग्रुप MPCST Notice Group के माध्यम से इसकी सूचना दी। जब इस संस्थान के वैज्ञानिकों में ही इस दिवस को लेकर कोई रुचि नहीं है तो बाहर यह कैसे लोगों में विज्ञान का नवाचार और विकास करेंगे समझा जा सकता है। यहां के वैज्ञानिक वैसे भी अपना मूल काम छोड़कर अन्य मलाईदार कामों में व्यस्त हैं, वहीं विज्ञान से संबंधित कामों से दूरी बनाई हुई है, जबकि शासन इन्हें मोटी तनख्वाह दे रहा है। बता दें कि यहां के वैज्ञानिकों के पास ही काम नहीं और वे बाबूगिरी वाले प्रभार लेकर समय गुजार रहे हैं। 

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कोई RTI विभाग तो कोई देख रहा निर्माण शाखा

शासन ने मेपकास्ट में बतौर वैज्ञानिक के तौर पर मूल पदस्थापना की है और लाखों रुपए ये वैज्ञानिक तनख्वाह ले रहे हैं, लेकिन अधिकतर वैज्ञानिक के पास काम ही नहीं है। कोई अपने निजी कार्य तो कोई बाबूगीरी वाले सेक्शन संभालकर मलाईदार शाखाओं में रहकर अपनी अफसरगिरी चमका रहा हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की मेपकास्ट के अधिकतर वैज्ञानिक सिर्फ सेलरी ले रहे हैं और अपने निजी प्रयास से आज दिनांक तक कोई प्रोजेक्ट प्रदेश और मेपकास्ट के लिए नहीं लाए। यहां के महानिदेशक भी सिर्फ अपना अनुभव बढ़ाकर अपना बायोडाटा मजबूत कर रहे हैं। आज तक इन्होंने वैज्ञानिकों का वार्षिक मुल्यांकन नहीं किया न ही कोई विस्तृत कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया।

ये वैज्ञानिक संभाल रहे बाबुओं के काम 

मध्य प्रदेश के एकमात्र वैज्ञानिक संस्थान मैपकास्ट के वैज्ञानिक ही अपना मूल काम छोड़ बाबुओं वाले प्रभार संभालकर शासन के उद्देश्यों के विपरीत कार्य कर रहे हैं। ये हैं कुछ वैज्ञानिक जो विज्ञान से दूर बाबुओं का काम कर रहे हैं...

  1. डॉ. प्रवीण दिग्गराः प्रशासन, लीगल सेल, संपदा और निर्माण के प्रभारी है, जबकि इनकी मूल पदस्थापना रिमोट सेन्सिंग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में है, लेकिन वर्षों से अपने रसूख पर यह मलाईदार निर्माण वाले सेक्शन पर जमे हुए हैं। 

  2. डीके सोनीः स्थापना

  3. मनोज राठौरः क्रय शाखा

  4. सीके उइकेः  वित्त व लेखा शाखा 

  5. समीर कुमरेः प्रोफेसर टीएस मूर्ति स्टेशन ओबेदुल्लागंज 

  6. राजेश शिंडः RTI और लायब्रेरी

NGO को फंडिंग देने पर फोकस

मध्यप्रदेश में वैज्ञानिक गतिविधियों से दूर विज्ञान को लोगों तक पहुंचाने की दृष्टि से बनाए मप्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग अपने मूल उद्देश्यों से भटक गया है। यहां पर सिर्फ चहेतों को प्रोजेक्ट और NGO को फंडिंग पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

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