तहसीलदार ना हड़ताल पर ना अवकाश पर, लेकिन काम नहीं करेंगे, कामों में विभाजन का विरोध

मध्यप्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने 6 अगस्त से काम बंद कर दिया है, लेकिन न तो वे हड़ताल पर हैं और न ही अवकाश पर। क्या है पूरा मामला...जानिए

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने बुधवार 6 अगस्त से काम बंद कर दिया है। लेकिन ना वह हड़ताल पर हैं और ना ही अवकाश पर, लेकिन काम नहीं करेंगे। केवल इस दौरान आपदा प्रबंधन वाले काम ही करेंगे। इस फैसले से इंदौर सहित पूरे प्रदेश में राजस्व काम ठप हो जाएंगे। पीड़ितों का कहना है कि ऐसा है तो फिर जब काम बंद तो फिर सरकार को इन्हें वेतन भी नहीं देना चाहिए। नो वर्क नो पेमेंट।

डोंगल, वाहन किए जमा, यह है मांग

बुधवार को इंदौर के तहसीलदार, नायब तहसीलदारों ने एक साथ जाकर राजस्व कामों के लिए मिले डोंगल और वाहन जमा कर दिए हैं। इस दौरान प्रांताध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि हम ना हड़ताल पर हैं और ना ही सामूहिक अवकाश पर, लेकिन हमारी जो मांग है उसे लेकर काम से विरत रहेंगे।

चौहान ने कहा कि हमारी मांग है कि जो शासन ने निर्णय लिया है कि गैर न्यायिक और न्यायिक काम का विभाजन उसका विरोध है। यह विरोध लोकतांत्रिक रूप से किया जा रहा है। यह विभाजन गलत किया है, इससे विभाजन से हमारे संवर्ग के आधे लोगों को उनके मूल राजस्व काम से अलग किया जा रहा है। इसका ही विरोध है।

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जब तक योजना वापस नहीं, काम नहीं करेंगे

चौहान ने कहा कि जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती, हम लोगों का यह फैसला जारी रहेगा। प्रांत स्तर पर जिला स्तर पर हर जगह हमने अपनी बात पहुंचाई है और पहले ही मांगों को लेकर पत्र दिया था और बता दिया था कि 6 अगस्त से इस फैसले का विरोध करेंगे और काम से विरत रहेंगे।

क्या है पूरा मामला..शॉर्ट में समझें

  1. काम बंद, हड़ताल नहीं: 6 अगस्त से मध्यप्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने काम बंद कर दिया है, लेकिन वे हड़ताल या अवकाश पर नहीं हैं। केवल आपदा प्रबंधन कार्य जारी रहेगा।

  2. विभाजन का विरोध: तहसीलदारों का विरोध शासन द्वारा किए गए न्यायिक और गैर-न्यायिक कामों के विभाजन के खिलाफ है। उनका कहना है कि इससे उनके मूल राजस्व काम में हस्तक्षेप हो रहा है।

  3. आंदोलन जारी रहेगा: प्रांताध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका विरोध जारी रहेगा और वे काम से विरत रहेंगे।

  4. राजस्व कामों में रुकावट: इस आंदोलन के कारण इंदौर और प्रदेशभर में राजस्व संबंधित काम ठप हो जाएंगे, जिससे आवेदकों को परेशानी होगी।

  5. प्रशासन पर असर: तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के काम से हटने से प्रशासनिक कार्यों में भी रुकावट आएगी, जिससे कलेक्टर और एसडीएम की कार्यशैली प्रभावित होगी।

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80 फीसदी काम तहसील से ही जुड़े

उल्लेखनीय है कि कलेक्टोरेट में मुख्य काम राजस्व का होता है और 80 फीसदी काम तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के पास ही होते हैं। इनके काम से हटने से हर दिन सैंकड़ों आवेदक परेशान होंगे। वहीं कलेक्टर, अपर कलेक्टर और एसडीएम द्वारा भी इन्हीं के जरिए अधिकांश काम कराए जाते हैं, मैदानी एक्जीक्यूशन इन्हीं के जरिए होता है, ऐसा नहीं होने से अधिकांश प्रशासनिक संकुल ठप होगा।

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