GWALIOR. डबरा में रेप की कहानी झूठी निकली, हालांकि यह बात जरूर सामने आई है कि युवती ने सुसाइड के मकसद से पुलिया से छलांग लगाई थी। इस पूरे मामले का खुलासा पुलिस जांच में सामने आया है। मामले के पीछे क्या वजह रही, इस बात का भी काफी हद तक पर्दाफाश हो गया है। पीड़िता ने कबूल किया कि उसने मकान मालिक दामोदर के कहने पर झूठी कहानी रची।
कई एंगल से पड़ताल से तस्वीर हुई साफ
पुलिस ने पुलिया के पास उस वक्त मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए। उन्होंने भी कहा कि बच्ची के साथ उस वक्त कोई नहीं था, वो अकेली थी। पीड़िता ने झूठ क्यों बोला, मकान मालिक ने उसे झूठ बोलने के लिए क्यों कहा, क्या थी इसकी वजह? इस सच्चाई का पता लगाने के लिए कई एंगल से पड़ताल की गई। पीड़ित बच्ची के साथ उसकी मां से भी बात की और पुलिस की जांच को भी समझा।
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29 जनवरी का घटनाक्रम, जो पीड़िता ने पुलिस को बताया था
29 जनवरी की सुबह सात बजे मैं कोचिंग के लिए निकली थी। आधे रास्ते पर पहुंची ही थी कि मुझे बॉबी मिला। उसने मुझे बुलाया। बोला कि जरूरी बात करनी है। मैंने मना कर दिया। कहा कि मुझे कोई बात नहीं करनी। मुझे जाने दो, कोचिंग के लिए देर हो रही है।
उसने कहा- पांच मिनट के लिए चली आओ, उसके बाद कोचिंग चले जाना। मैं नहीं मानी तो वो मुझे जबरदस्ती खींचकर दूसरे लड़के के पास ले गया। वो लड़का काली रंग की बाइक पर बैठा हुआ था। इस लड़के को मैं नहीं जानती थी। बस इतना याद है कि बॉबी उसे सत्येन्द्र कहकर बुला रहा था। बॉबी मुझे जबरदस्ती उसकी बाइक पर बैठाने लगा।
सुबह के वक्त कोहरा ज्यादा था। आसपास कोई मौजूद नहीं था, जिससे मैं मदद मांग सकूं। मैं चिल्लाने लगी। बॉबी ने फौरन मेरा मुंह दबाकर बाइक पर बैठा दिया। इसके बाद वो दोनों मुझे सहराई पुल पर ले गए। बॉबी मेरे साथ गलत काम करना चाहता था। उसने मुझसे कहा- मान जाओ, नहीं तो तुम्हारे भाई को मार देंगे।
मैं राजी नहीं हुई। इसके बाद बॉबी और सत्येन्द्र ने जबरन मेरे साथ गलत काम किया। मैं जोर से चिल्लाने लगी तो बॉबी ने सत्येन्द्र से कहा- ये ऐसे नहीं मानेगी। फिर दोनों ने मिलकर मुझे पुल पर से फेंक दिया। 31 जनवरी को होश आया तो मैंने पूरी कहानी अपनी मां को बताई। इस बयान के आधार पर पुलिस ने बॉबी और सत्येन्द्र के खिलाफ मामला दर्ज किया।
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पुलिस इन्वेस्टिगेशन के 4 पॉइंट..
1. केस में विरोधाभासी बयान
इस केस की जांच करने वाले डबरा थाना प्रभारी यशवंत गोयल को जांच में पीड़िता और चश्मदीदों के बयान विरोधाभासी नजर आए। पुलिस ने तीन पॉइंट पर जांच की। पहले आरोपियों से पूछताछ की, दूसरा सीसीटीवी फुटेज की जांच की और आखिर में प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए।
2. आरोपी बॉबी ने पुलिस से कहा- वो घटना के समय कोचिंग में था
पुलिस ने बॉबी को गिरफ्तार किया तो उसने बताया कि वो सत्येन्द्र को नहीं जानता। उसने ये भी कहा कि घटना वाले दिन सुबह 8 से 10 बजे तक वो कोचिंग क्लास में था। बॉबी 12वीं का छात्र है। कोचिंग संचालक प्रसन्नदेव ने बॉबी के इस बयान की पुष्टि की।
3. CCTV फुटेज में पीड़िता ट्यूशन जाते दिखी, लेकिन अलग समय पर
पुलिस ने सीसीटीवी की जांच की तो पाया कि पीड़िता सुबह साढ़े आठ बजे के करीब कोचिंग जाते हुए दिखाई दे रही है, जबकि उसने अपने बयान में बताया कि वो घर से कोचिंग के लिए सुबह 7 बजे निकली थी। सामान्य तौर पर वारदात में घंटेभर के टाइम को बड़े फैक्टर के तौर पर नहीं देखा जाता, लेकिन इस मामले में ये टाइमिंग अहम है।
4. चश्मदीदों ने कहा- वो ब्रिज पर अकेली थी
पीड़िता ने ग्वालियर-झांसी हाईवे पर बने सहराई पुल से छलांग लगाई थी। पीड़िता को छलांग लगाते हुए दो लोगों ने देखा था। उनमें से एक रमेश तिवारी ने कहा कि वो अपने घर के पास घूम रहे थे। एक लड़की पुल पर टहल रही थी। उस वक्त आठ से साढ़े आठ का वक्त रहा होगा। तभी उन्होंने देखा कि वो पुल से कूद गई। किसी ने उसे फेंका नहीं था।
दूसरी चश्मदीद भारती रावत ने कहा- सुबह मैंने दरवाजा खोला तो एक लड़की को पुल पर देखा। मुझे लगा कि वो टैंपो का इंतजार कर रही है। मैं अपना काम करने लगी। थोड़ी देर बाद लड़की पुल के दूसरे छोर पर चली गई। इसके बाद मैं भी काम में लग गई। इतने में वो वापस आई और कूद गई। उसके साथ कोई नहीं था, वो अकेली थी।
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जांच के 5 अहम पॉइंट...
1. कोचिंग टीचर ने कहा- बॉबी को कोचिंग में मारने लड़के आए थे
जो बयान प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को दिया, लेकिन उसमें कुछ नई बातें भी पता चलीं। कोचिंग टीचर प्रसन्नदेव ने बताया- बॉबी और पीड़िता दोनों एक साल से उनके यहां पढ़ रहे हैं। दोनों की टाइमिंग अलग-अलग थी। बॉबी सुबह 8 से 9 के बैच में था। पीड़िता 9 से 10 बजे वाले बैच में थी।
कोचिंग टीचर ने कहा कि पीड़िता 27 जनवरी से कोचिंग नहीं आ रही थी। घटना वाले दिन 29 जनवरी को बॉबी टेस्ट देने आया था। टेस्ट शुरू होने से पहले बॉबी को मारने 8-10 लड़के पहुंचे थे। मैंने उन्हें कहा कि कोचिंग में कोई गुंडागर्दी नहीं चलेगी। इसके बाद वे लोग यहां से चले गए।
2. एक मददगार बोला- मैं मौके पर नहीं था
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसे बादल जाट और हेमंत पाराशर ने हॉस्पिटल पहुंचाया था। हालांकि हेमंत ने कहा कि वो तो उस दिन तो मौके पर था ही नहीं। पुलिस को उसने बताया था कि वो उस दिन काम से ग्वालियर गया हुआ था। वहीं बादल जाट घर पर नहीं मिला, उसका नंबर भी बंद मिला।
3. पूरी वारदात में 26 जनवरी की तारीख अहम
इन्वेस्टिगेशन में 26 जनवरी को हुए एक घटनाक्रम के बारे में पता चला। गणतंत्र दिवस पर पीड़िता के स्कूल में कार्यक्रम था। 27 जनवरी को पीड़िता ने कोचिंग टीचर को बताया कि बॉबी ने ये अफवाह फैला दी है कि वो कार्यक्रम में मेरे गले में हाथ डालकर बैठा था। ये बात उसके घर में पता चल गई है। मकान मालिक का बेटा, जिसे वो बड़ा भाई कहती है, उसने उसे इस बात के लिए डांटा था।
4. दूसरा आरोपी सत्येन्द्र शादीशुदा, बॉबी से 10 साल बड़ा
दो बातें और सामने आई हैं। पहली- आरोपी सत्येन्द्र शादीशुदा है, उसके दो बच्चे हैं। वो बॉबी से उम्र में 10 साल बड़ा है। ऐसे में दोनों दोस्त हो सकते हैं, इस पर भरोसा करना मुश्किल है। ये भी पता चला कि जिस घर में पीड़िता किराए से रहती है, उसके मकान मालिक दामोदर का सत्येन्द्र से पैसों को लेकर विवाद था।
5. मकान मालिक का लड़का पीड़िता से एकतरफा प्रेम करता है
चौंकाने वाली बात ये भी पता चली कि पीड़िता मकान मालिक के बेटे को बड़ा भाई कहती थी, लेकिन वो पीड़िता से एकतरफा प्रेम करता था। 26 जनवरी को हुई घटना के बाद वो ही अपने साथियों के साथ बॉबी को मारने कोचिंग पहुंचा था।
पीड़िता से बोली- मकान मालिक के कहने पर बनाई झूठी कहानी
पीड़िता ने पहले मीडिया वहीं कहानी सुनाई जो पुलिस को बताई थी। बाद में पीड़िता ने खुद कुछ मीडियाकर्मियों को सारी सच्चाई बताई। पीड़िता ने कहा कि उसने खुद ही पुल से छलांग लगाई थी। उसके मकान मालिक दामोदार ने उसे और मां को घर से निकालने की धमकी दी थी। बॉबी और सत्येन्द्र का नाम भी उसने मकान मालिक के ही कहने पर लिया था।
इसके बाद पीड़िता ने कहा- आगे मैं सारी बात पुलिस मैडम को ही बताऊंगी। आप मेरी उनसे बात करा दीजिए। उसकी मां बताया कि दामोदर और बादल जाट ने बेटी को एक पर्चा दिया था
पीड़िता की मां ने बताया उन्हें भी बेटी ने अब तक कुछ ज्यादा नहीं बताया है। बस इतना ही बताया है कि मकान मालिक दामोदर और उसके साथी बादल जाट के कहने पर उसने सत्येन्द्र और बॉबी का नाम लिया था। वो दोनों हॉस्पिटल में एक पर्चा लेकर आए थे। ये पर्चा उन्होंने बेटी को पढ़ाया और पर्चे में जो कहानी लिखी हुई थी, बच्ची ने वही सबको सुना दी। मुझे पता नहीं था कि पर्चे में क्या लिखा है। मैंने भी वही माना, जो बेटी ने बताया था।
बॉबी ने बताया- 26 जनवरी की घटना का सच
मामले में आरोपी बॉबी ने बताया- 26 जनवरी को कोचिंग के सभी बच्चे एक स्कूल का कार्यक्रम देखने गए थे। हम 12 लोग थे। पीड़िता भी वहां मौजूद थी। यहां किसी ने अफवाह फैला दी कि मैं उसके कंधे पर हाथ डालकर बैठा था। अगली सुबह यानी 27 जनवरी को वो कोचिंग में आकर मुझ पर चिल्लाने लगी। कहने लगी कि तूने मेरे घर पर जाकर क्या अफवाह फैलाई है। मैंने कहा- मैंने कुछ नहीं कहा है।
इसके बाद भी वो शांत नहीं हुई तो मैंने सर को बुलाया। उन्होंने मुझसे पूछा क्या ये सच कह रही है। मैंने साफ इनकार कर दिया। इसके बाद सर ने पीड़िता से पूछा - क्या इसने तुम्हारे कंधे पर हाथ डाला था? उसने भी कहा कि नहीं डाला था। इसके बाद सर ने उसे समझाकर घर भेज दिया।
पुलिस सूत्रों ने बताया- आखिर क्यों पीड़िता ने पुल से छलांग लगाई
पुलिस के सूत्रों ने बताया कि 26 जनवरी को हुए घटनाक्रम के बाद मकान मालिक दामोदर के बेटे और पीड़िता के बीच कहासुनी हुई थी। मकान मालिक के बेटे को उससे एकतरफा प्रेम था और बॉबी के पीड़िता के कंधे पर हाथ रखने वाली बात से वो नाराज था।
उसने पीड़िता के परिवार को मकान से निकालने की भी धमकी दी थी। 29 जनवरी को भी दोनों के बीच कहासुनी हुई। तब पीड़िता मकान मालिक के बेटे से कहकर निकली थी कि मैं मरने जा रही हूं। हालांकि, ये सारी बातें उसने मां से छुपाकर रखी थीं।
दामोदर ने पुरानी रंजिश का बदला लिया, बेटे ने रास्ते का कांटा साफ किया
पीड़िता ने बताया कि उसने दामोदर के कहने पर सत्येन्द्र और बॉबी का नाम लिया। सत्येन्द्र से दामोदर की पुरानी रंजिश थी। दरअसल, सत्येन्द्र ने अतुल जाट नाम के शख्स को डेढ़ लाख रु. दिए थे। इस पैसे को वापस देने से अतुल जाट मुकर गया। दोनों के बीच इस बात को लेकर बहस हुई।
अतुल जाट एक दिन सत्येन्द्र के घर पहुंचा और उसके घर फायरिंग की। उसके साथ दामोदर का छोटा भाई अंकेश सेन भी था। सत्येन्द्र ने एफआईआर में दामोदर के भाई का नाम भी लिखवाया था। दामोदर नाम हटाने के लिए कई बार सत्येन्द्र से कह चुका था, लेकिन वो नहीं माना। दामोदर ने पीड़िता के जरिए सत्येन्द्र को फंसाया और बॉबी का नाम लेकर उसके बेटे ने रास्ते का कांटा हटाया।