मध्यप्रदेश के पंचायत सचिवों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य के लगभग 23 हजार पंचायत सचिव 26 मार्च से लेकर 1 अप्रैल तक छुट्टी पर रहेंगे। बता दें कि यह सामूहिक अवकाश पंचायत सचिव संगठन की सात सूत्रीय मांगों को लेकर लिया जा रहा है। संगठन के अध्यक्ष, दिनेश शर्मा ने बताया कि अगर 25 मार्च तक इन मांगों पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया, तो सचिव हड़ताल को और आगे बढ़ा सकते हैं।
पंचायत सचिवों की मुख्य मांगें
पंचायत सचिवों की प्रमुख सात सूत्रीय मांगें इस प्रकार हैं...
समय पर वेतन की व्यवस्था
राज्य के पंचायत सचिवों की मांग है कि हर महीने की 1 तारीख को उनका वेतन दिया जाए। कई सचिवों को 3-4 महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे वे नाराज हैं।
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सीएम की घोषणा का पालन
मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद, पंचायत सचिवों को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है। यह एक प्रमुख मुद्दा है, जिस पर सचिव संगठन का ध्यान है।
सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं
पंचायत सचिवों की मांग है कि उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधाएं मिलनी चाहिए, साथ ही बजट में अतिरिक्त प्रावधान किया जाए ताकि वे समय पर अपना वेतन प्राप्त कर सकें।
वेतनमान में सुधार
सचिवों का कहना है कि उनके वेतनमान में सुधार किया जाना चाहिए और उन्हें 5वें और 6वें वेतनमान का लाभ नियुक्ति दिनांक से दिया जाना चाहिए।
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अनुकंपा नियुक्ति
सचिवों का कहना है वंचित वर्ग और पिछड़े लोगों के लिए 100 प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए।
संविलियन
पंचायत सचिवों की ये भी मांग है कि संविलियन (merger) प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
सरकार पर निगाहें
हालांकि, अब यह देखना होगा कि राज्य के करीब 23 हजार पंचायत सचिव 26 मार्च से 1 अप्रैल तक छुट्टी पर जाएंगे। इस दौरान क्या मोहन सरकार कोई बड़ा कदम उठाकर उन्हें रोकने की कोशिश करती है या नहीं।
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