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रायपुर. स्कूल की किताबें रद्दी में कबाड़ी को बेचने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों के पढ़ने की 80 टन किताबें रद्दी के भाव बेच दी गई। ये किताबें कबाड़ी को 9 लाख रुपए में बेची गईं।
ये चार जिलों का मामला है। इसमें हैरानी की बात ये है कि जांच कमेटी की सिफारिश के बाद किताबों को रद्दी में बेचने की करतूत में महज 7 कर्मचारी,दो मजदूर और दो चपरासी ही सस्पेंड किए गए। स्कूली बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस गंभीर मामले में जांच कमेटी ने 80 टन किताबें बेचने में चंद छोटे कर्मचारी, मजदूर और चपरासी को जिम्मेदार माना। तो क्या ये सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति थी।
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रद्दी में बेची गईं थी स्कूल की किताबें
जब पिछला शिक्षा सत्र 2024-25 शुरु हुआ था तब सिलयारी में स्कूल की किताबें कबाड़ में बेचने का मामला सामने आया था। यह किताबें बड़ी मात्रा में थीं जो रियल पेपर बोर्ड मिल में रद्दी में बेच दी गईं थी। मामला सामने आने के बाद सरकार ने पाठ्य पुस्तक निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक प्रेम कुमार शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया। इस मामले में सरकार ने दो जांच कमेटी बनाईं। इन कमेटी ने अब सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है।
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इस जांच रिपोर्ट में स्कूली किताबों को बेचने का बड़ा गोरखधंधा सामने आया। इस जांच में पाया गया कि चार जिलों की 80 टन यानी 800 क्विंटल या 80 हजार किलो स्कूली किताबें 9 लाख रुपए में रद्दी के भाव में बेच दी गईं। जांच कमेटी ने यह तो बड़ा खुलासा किया लेकिन कार्रवाई की सिफारिश के नाम पर महज रस्म अदायगी कर ली। सरकार ने भी अदने से कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर ली।
इन जिलों में बेची गई इतनी किताबें
राजनांदगांव - 17 टन - 1 लाख 78 हजार रुपए
धमतरी - 10 टन - 1 लाख 27 हजार रुपए
जशपुर - 38 टन - 3 लाख 87 हजार रुपए
सूरजपुर - 15 टन - 2 लाख 18 हजार रुपए
कार्रवाई या रस्म अदायगी
एक जांच कमेटी आईएएस राजेंद्र कटारा के नेतृत्व में बनाई गई। इस कमेटी में कुल पांच सदस्य थे। दूसरी जांच आईएएस रेणु पिल्लै ने की। इन कमेटी ने दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश की। इनकी सिफारिश के आधार पर ही सरकार ने कार्रवाई की। लेकिन इस कार्रवाई की जद में सिर्फ अदने से कर्मचारी आए इसलिए इसे खानापूर्ति कहा जा रहा है। राजनांदगांव में पुस्तक प्रभारी ग्रेड 3 को सस्पेंड किया गया और दैनिक मजदूर को काम से निकाल दिया गया।
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धमतरी में पुस्तक प्रभारी ग्रेड 3 को सस्पेंड कर दिया गया। जशपुर में पुस्तक प्रभारी ग्रेड 3 को सस्पेंड किया गया और दैनिक मजदूर को काम से निकाला गया। सूरजपुर में पुस्तक प्रभारी ग्रेड 2 को सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा दो चपरासी भी निलंबित कर दिए गए। इनके अलावा रायगढ़ और राजनांदगांव के डिपो प्रभारी को भी सस्पेंड कर दिया गया। सवाल ये है कि क्या इन कर्मचारियों के सस्पेंड होने से यह गोरखधंधा रुक पाएगा। क्या सिर्फ ये अदने से कर्मचारी इतने बड़े पुस्तक कांड को कर सकते हैं।
क्या इनके सूत्रधार कोई और हैं या फिर पूरी चेन है, जिनको बचाया गया है। सवाल कई सारे हैं जिनके जवाब सरकार को जरुर तलाशने चाहिए तभी बच्चों के हक की किताबों और जनता के टैक्स के पैसे की गड़बड़ी का पूरा सच सामने आ सकेगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं कि जांच रिपोर्ट सबमिट हो गई है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
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