भोपाल के पास चिकलोद रेंज के आशापुरी गांव के जंगल में शिकारियों ने गोली मारकर बाघ का शिकार किया। शिकारियों ने बाघ को मारने के बाद उसकी खाल, नाखून और दांत ले गए। बाघ का एक पंजा शरीर से दूर मिला।
औबेदुल्लागंज वनमंडल के अधिकारियों ने बताया कि 14 जुलाई 2024 को आशापुरा बीट में एक तालाब के पास बाघ का शव मिला, जिसमें गोली के निशान थे, जिससे पता चलता है कि बाघ का शिकार किया गया था।
दो आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
इस मामले में औबेदुल्लागंज वनमंडल ने शकील और नसीम नामक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया और पूछताछ के बाद उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। आरोपियों के पास से जब्त मोबाइल और दो बंदूकों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। घटना के समय दोनों आरोपी घटनास्थल के आसपास मौजूद थे, जिसकी पुष्टि उनके मोबाइल की लोकेशन से हुई है।
चार गांवों के 45 लोगों से पूछताछ
अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में चार गांवों के 45 लोगों से पूछताछ की गई, जिसके बाद 13 लोगों से विस्तार से पूछताछ की गई। इन लोगों से मिली जानकारी के आधार पर दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया और पूछताछ की गई।
आरोपियों के मोबाइल में बाघ से जुड़े फोटो और वीडियो मिले, इसलिए मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। आरोपी शकील और नसीम के मोबाइल में बाघ के शिकार से जुड़ी बातचीत की रिकार्डिंग मिली, जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
6 टीमों ने किया सर्च ऑपरेशन
डीएफओ हेमंत रैकवार के अनुसार, 13 जुलाई को बाघ के शिकार की जानकारी मिली थी। इसके बाद 6 टीमों ने आशापुरी के जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। 24 घंटे की मेहनत के बाद 14 जुलाई को दोपहर 2:30 बजे आशापुरी गांव के तालाब के पास के नाले में सर्च टीम ने बाघ का शव ढूंढा।
टीम के सदस्यों ने पानी में चलते हुए बाघ के शव को ढूंढा, जब एक सदस्य के पैर में कुछ टकराया, जो बाघ का कंकाल निकला। बाघ के कंकाल की बरामदगी के बाद पोस्टमॉर्टम कर उसका अंतिम संस्कार कराया गया।
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