GWALIOR. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान मप्र हाई कोर्ट ( High Court )के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ नाराज हो गए। बृज किशोर शर्मा की याचिका पर दतिया कलेक्टर की ओर से पक्ष रखते हुए शासकीय अधिवक्ता आरके अवस्थी डिवीजन बेंच को ये नहीं बता पाए कि प्रशासन ने आदेश का पालन किया है या नहीं? चीफ जस्टिस ने कहा कि जो बात 2 मिनट में बताई जा सकती है, आप 20 मिनट में नहीं समझा पा रहे। ये हमारे लिए बहुत बड़ा टॉर्चर है। आरके अवस्थी सरकारी वकील बनने के लायक नहीं हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा
उन्होंने अतिरिक्त महाधिवक्ता को उनसे सारे केस लेने और पद से हटाने के लिए कहा। दरअसल, दतिया जिले की सेवढ़ा तहसील स्थित रामजानकी मंदिर में कुप्रबंधन की समस्या को दूर करने के लिए याचिका दायर की गई। शासकीय वकील के जवाब पर चीफ जस्टिस ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे कलेक्टर दतिया को अभ्यावेदन दें और वे ( कलेक्टर ) इस पर कार्रवाई करें।
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सरकारी वकील नहीं बता पाए आदेश का पालन किया या नहीं
कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि कुप्रबंधन की शिकायत पर क्या कार्रवाई की, तो वे जवाब पढ़ने लगे। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पढ़ना बंद करें। ऑफिस में पढ़कर आया करें। कोर्ट में तर्क दीजिए। सरकारी वकील ये नहीं बता पाए कि पूर्व के आदेश का पालन किया गया है या नहीं।
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क्या है मामला ?
दतिया जिले की सेंवढ़ा तहसील के गांव देवई में एक रामजानकी मंदिर है, जिसके नाम पर वहां की 50 बीघा जमीन है। जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि उस मंदिर में किसी भी प्रकार की सेवा पूजा नहीं होती है। वहां का जो पुजारी है, वह उस भूमि का उपयोग अपने निजी काम और लाभ के लिए कर रहा है। उसकी जांच करवाई जाए। कोर्ट ने जनहित याचिका में सुनवाई के बाद आदेश दिया कि मंदिर के प्रबंधन सहित सभी रिकार्ड और वहां हो रहे अतिक्रमण की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। जब कोर्ट आदेश के अनुरूप पालन नहीं हुआ तो याचिककर्ता ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की याचिका दायर कर दी।
( मप्र हाईकोर्ट बेंच ) MP News