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पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस के राजदार और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के मालिक राजेश शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शर्मा के खिलाफ ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध विंग) में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
वहीं अब हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सभी पक्षों को नोटिस भेजा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2026 को होगी।
राजेश शर्मा और उनके सहयोगियों को नोटिस
मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस को स्वीकार किया है। इसके अलावा राजेश शर्मा, उनकी फर्म ट्राइडेंट मल्टी वेंचर्स, और उनके सहयोगी राजेश तिवारी तथा दीपक तुलसानी को भी नोटिस भेजा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्देशित किया है कि वे अगली सुनवाई तक कोर्ट में अपना जवाब और हलफनामा पेश करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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हाईकोर्ट ने FIR को किया था रद्द
28 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह मामला निजी सिविल विवाद से जुड़ा है। एफआईआर गलत इरादे से दर्ज की गई थी, ताकि निजी लाभ हासिल किया जा सके।
कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए एफआईआर रद्द की जा रही है। इसके बाद, किसान और ईओडब्ल्यू ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है।
साथ ही, सभी पक्षों को जवाब व हलफनामा कोर्ट में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं होगी।
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धोखाधड़ी से जुड़ा है पूरा मामला...
राजेश शर्मा ने अपनी फर्म ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स के कर्मचारियों की मदद से फर्जीवाड़ा किया था। उन्होंने रातीबड़ के किसान चिंता सिंह मारण की 12.46 एकड़ कृषि जमीन खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने किसान का खाता ICICI बैंक की नेहरू नगर शाखा में खुलवाया था। वहीं, मोबाइल नंबर और मेल आईडी राजेश तिवारी का डाल दिया था।
12 जून 2023 को उन्होंने रजिस्ट्रार के पास आवेदन करके 2 करोड़ 86 लाख रुपए में रजिस्ट्री कराई थी। वहीं किसान को केवल 81 लाख 13 हजार रुपए दिए गए थे। बाकी पैसा उन्होंने अपने पास रख लिया था।
साथ ही, 66 लाख के चेक को स्टॉप पेमेंट कर वापस लिया था। वहीं, 1 करोड़ 36 लाख रुपए किसान के खाते से राजेश तिवारी के खातों में ट्रांसफर कर दिए थे। जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने राजेश शर्मा, दीपक तुलसानी और राजेश तिवारी के खिलाफ केस दर्ज किया था।
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ये तीन खिलाड़ी पूरे खेल में शामिल
- राजेश शर्मा: इस पूरे मामले की साजिश रचने वाला शख्स है। अपनी पत्नी राधिका शर्मा के साथ मिलकर मेसर्स ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स नाम से फर्म चलाई। इसी फर्म के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री हुई थी। दस्तावेज तैयार करवाए, बैंक खाता खुलवाया और ट्रांजेक्शन को कंट्रोल किया था।
- दीपक तुलसानी: ट्राइडेंट का हस्ताक्षरकर्ता था, रजिस्ट्री में उसका नाम भी खरीदार के रूप में आया, लेकिन हकीकत में वह बस नाम मात्र का चेहरा था। उसका असली रोल सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर करने तक सीमित था।
- राजेश तिवारी: तकनीकी मदद करने वाला साथी, जो फर्जी खाता चलाता रहा। उसी के मोबाइल नंबर और ईमेल से खाता खोला गया और सारे ऑनलाइन लेन-देन उसी ने किए थे। इसी खाते से रकम निकाल कर अपने IDFC खाते में डाली थी।
मार्च में आयकर विभाग ने अटैच की थी शर्मा की संपत्ति
आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने मार्च 2025 में राजेश शर्मा की 2.36 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की थी। इसमें भोपाल के कस्तूरबा नगर में 1.80 करोड़ की तीन मंजिला इमारत भी शामिल थे। इससे पहले भी आयकर विभाग ने राजेश शर्मा की कई संपत्तियां अटैच की थीं।
18 दिसंबर 2024 को त्रिशूल कंस्ट्रक्शन, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप के 56 ठिकानों पर छापे मारे गए थे। इन छापों में 10 करोड़ नकद और 25 से ज्यादा लॉकर की जानकारी मिली थी। आयकर विभाग की जांच में यह सामने आया कि शर्मा अपने सहयोगियों के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदता था।
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