राजेश शर्मा के ठिकाने से मिली डायरी, इसी में दो IPS और एक IAS अधिकारी का नाम

मध्यप्रदेश। मामला माइनिंग कंपनी में फर्जीवाड़ा करने के आरोप से जुड़ा है। इस केस को टालने और चार्टशीट को लेकर दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी को घूस दी गई थी। राजेश शर्मा के यहां से मिली डायरी में तीनों अफसरों के नाम दर्ज हैं...

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राजधानी भोपाल में आईटी छापों की जद में आए बिल्डर और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के अगुआ राजेश शर्मा की डायरी कई राज उगल रही है। डायरी में दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी के नाम का जिक्र है। इसमें काम के साथ रिश्वत का ब्यौरा भी दर्ज है। एक-दो दिन में आयकर विभाग की टीम इन तीनों अधिकारियों को नोटिस देकर कार्रवाई आगे बढ़ाएगी। इधर, डायरी में नाम सामने आने के बाद अफसरों के हाथ-पांव फूल गए हैं। एक आईएएस और एक आईपीएस अभी ​जबलपुर जिले में पदस्थ हैं, जबकि एक आईपीएस भोपाल मुख्यालय में हैं। 
यह मामला माइनिंग कंपनी में फर्जीवाड़ा करने के आरोप से जुड़ा है। इस केस को टालने और चार्टशीट को लेकर दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी को घूस दी गई थी। राजेश शर्मा के यहां से मिली डायरी में तीनों अफसरों के नाम दर्ज हैं। वहीं, उस काम का भी जिक्र है, जो इन्हें करना था। 

आईटी टीम कर रही तस्दीक

राजेश शर्मा के यहां मिले दस्तावेज खंगाल रही आयकर विभाग की टीम के हाथ यह डायरी लगी है। सूत्रों के अनुसार, अब आईटी टीम तीनों अ​फसरों को नोटिस देने की तैयारी कर रही है। सभी पहलुओं की तस्दीक की जा रही है। यदि डायरी में लिखे काम सही पाए गए तो अफसरों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। मध्यप्रदेश के इतिहास में संभवत: यह पहली बार होगा, जब घूसखोरी के केस में तीन बड़े अधिकारियों पर एक साथ बड़ी कार्रवाई होगी। 

संक्षेप में स​मझिए पूरा मामला 

आयकर टीम ने पिछले महीने राजेश शर्मा के त्रिशूल कंस्ट्रक्शन सहित कुछ अन्य के 56 ठिकानों पर छापेमारी की थी। भोपाल के 53, इंदौर के दो और ग्वालियर के एक ठिकाने पर छापेमारी की गई। राजेश शर्मा सहित अन्य के ठिकानों से कई दस्तावेज मिले। इन्हें आईटी टीम ने जब्त कर लिया था। इसके बाद दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद अब संबंधित लोगों को समन जारी किए जा रहे हैं। इसी सिलसिले में दो आईपीएस और एक आईएएस को नोटिस थमाया जाएगा। 

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यह है डायरी वाला केस 

दरअसल, लौह अयस्क कंपनी मेसर्स यूरो प्रतीक के कर्ता- धर्ताओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर कंपनी से दो डायरेक्टर्स को बाहर कर दिया था। जब दोनों को इसकी खबर लगी तो उन्होंने गोलमाल करने वाली कंपनी के चार लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई। इनमें तीन डायरेक्टर और एक कंपनी सेक्रेटरी शामिल था। फर्जी तरह से हटाए गए डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा एवं हरनीत सिंह लांबा ने आरोप लगाया था कि गोलमाल के मुख्य सरगना महेंद्र गोयनका को पुलिस बचा रही है। यही कारण है कि गोयनका के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया था। पुलिस ने गोयनका के प्यादों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर इतिश्री कर ली थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें...

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शीर्ष अदालत ने नहीं दी थी जमानत 

यही मामला जबलपुर जिले का है। यहां सिहोरा के हरगढ़ स्थित कंपनी मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री में सुरेंद्र सिंह सलूजा और हरनीत सिंह लांबा डायरेक्टर थे। दोनों को कंपनी के चार लोगों ने मिलीभगत कर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से बाहर कर दिया था। इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, डायरेक्टर सनमति जैन, डायरेक्टर सुनील अग्रवाल और कंपनी सेक्रेटरी लाची मित्तल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। पुलिस ने इस मामले में चारों पर धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। इसी मामले को डिले करने और चार्टशीट को लेकर दो आईपीएस और एक आईएएस ने खेल खेला। बाद में केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जहां शीर्ष अदालत ने धोखाधड़ी के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके पूर्व आरोपियों को हाईकोर्ट जबलपुर ने भी अग्रिम जमानत नहीं दी थी।

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