पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस के राजदार बिल्डर राजेश शर्मा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी

बीते दिनों ईओडब्ल्यू ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक राजेश शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज किया था। अब ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है।

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Sourabh Bhatnagar
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परिवहन विभाग के बर्खास्त आरक्षक सौरभ शर्मा पर रेड के समय चर्चा में आए भोपाल ​के बिल्डर राजेश शर्मा पर ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने शिकंजा कस दिया है। ईओडब्ल्यू ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक शर्मा के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है, क्योंकि वह देश छोड़कर विदेश भाग गए हैं। उनके खिलाफ 7 जून को धोखाधड़ी का एक गंभीर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कूटरचित दस्तावेज (Forgery Documents) तैयार करने का आरोप है। उन पर एक किसान को गुमराह कर बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री कम कीमत में कराने और किसान से धोखाधड़ी कर दो करोड़ रुपए हड़पने का आरोप है। इस केस में जांच एजेंसी ने राजेश शर्मा के सहयोगी दीपक तुलसानी और राजेश कुमार तिवारी को भी आरोपी बनाया है। 

किसान का नाम चिंता सिंह मारण है, जो भोपाल के रातीबड़ इलाके में रहते हैं। उनकी 12.46 एकड़ जमीन (ग्राम महुआखेड़ा, भोपाल) अदालत के आदेश के बाद उनके नाम पर दर्ज हुई थी। राजेश शर्मा और उनकी कंपनी ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स ने चालाकी से इस जमीन को कम कीमत में अपने नाम करवा लिया। उन्होंने किसान को झूठ बोलकर रजिस्ट्री पर दस्तखत करवाए और रजिस्ट्री में दिखाए गए रुपए भी किसान को नहीं दिए। 

चिंता सिंह ने इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में की थी। अब जांच के बाद एजेंसी ने तीन आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इस केस के मुख्य आरोपी राजेश शर्मा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के करीबी हैं। उन्हें बैंस का राजदार माना जाता है। 

हाईकोर्ट में याचिका

राजेश शर्मा ने इस मामले में एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन अभी तक मामले में कोई राहत नहीं मिली है। इस पूरे मामले की जांच जारी है और पुलिस ने राजेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए लुक आउट सर्कुलर जारी किया है, ताकि वह विदेश से लौटकर कानून का सामना करें।

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई

ईओडब्ल्यू के डीजी उपेंद्र जैन के अनुसार, राजेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं और इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है। शर्मा की गिरफ्तारी से पहले, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वह देश के बाहर न जा सकें। ईओडब्ल्यू की टीम लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए है और आरोपियों की पहचान के साथ-साथ उनके ठिकानों का पता लगाने के लिए विभिन्न जांच प्रक्रियाओं को लागू कर रही है।

धोखाधड़ी की पूरी योजना

राजेश शर्मा ने खुद को प्रभावशाली व्यक्ति बताकर चिंता सिंह को लालच दिया कि वह उनकी जमीन से जुड़ी समस्या सुलझा देंगे और जमीन खरीद लेंगे। रजिस्ट्री के समय उन्होंने बहाना बनाया कि बैंक ऑफ इंडिया में तकनीकी समस्या है, इसलिए पैसा ट्रांसफर नहीं हो सकता। इसके लिए उन्होंने चिंता सिंह का नया खाता ICICI बैंक में खुलवाया। इस खाते में राजेश शर्मा ने अपने सहयोगी राजेश तिवारी का मोबाइल नंबर और ईमेल डलवा दिया, जिससे सारी जानकारी उनके पास रही। चिंता सिंह को इसकी खबर नहीं थी।

रजिस्ट्री 2.83 करोड़ की, किसान को मिले 81 लाख 

12 जून 2023 को राजेश शर्मा ने गलत तरीके से रजिस्ट्री करवाई, जिसमें उनकी कंपनी को जमीन का खरीदार दिखाया गया। रजिस्ट्री में 2.86 करोड़ रुपए का लेन-देन दिखाया गया, लेकिन चिंता सिंह को केवल 81 लाख ही मिले। तीन चेक (प्रत्येक 22 लाख रुपए) दिए गए, लेकिन उन्हें स्टॉप पेमेंट कर दिया गया। रजिस्ट्री की कॉपी भी चिंता सिंह को नहीं दी गई। जांच में पता चला कि 2.86 करोड़ में से करीब 2.02 करोड़ रुपये चिंता सिंह को कभी मिले ही नहीं। बाकी पैसा धोखे से निकाल लिया गया।

दरअसल, ICICI बैंक के खाते में राजेश तिवारी का मोबाइल नंबर और ईमेल डाला गया था, जिससे सारी जानकारी और रुपए पर उनका कब्जा रहा। इस खाते में जमा राशि तुरंत राजेश तिवारी के IDFC बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई। कई बार 30 लाख, 40 लाख, 31.16 लाख और 35 लाख रुपए के बड़े अमाउंट इस तरह ट्रांसफर किए गए। चिंता सिंह को इन ट्रांसफर की कोई जानकारी नहीं दी गई।

ये तीन खिलाड़ी पूरे खेल में शामिल 

  1. राजेश शर्मा: इस पूरे मामले की साजिश रचने वाला शख्स। अपनी पत्नी राधिका शर्मा के साथ मिलकर मेसर्स ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स नाम से फर्म चलाई। इसी फर्म के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री हुई। दस्तावेज तैयार करवाए, बैंक खाता खुलवाया और ट्रांजेक्शन को कंट्रोल किया।
  2. दीपक तुलसानी: ट्राइडेंट का हस्ताक्षरकर्ता था, रजिस्ट्री में उसका नाम भी खरीदार के रूप में आया, लेकिन हकीकत में वह बस नाम मात्र का चेहरा था। उसका असली रोल सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर करने तक सीमित था।
  3. राजेश तिवारी: तकनीकी मदद करने वाला साथी, जो फर्जी खाता चलाता रहा। उसी के मोबाइल नंबर और ईमेल से खाता खोला गया और सारे ऑनलाइन लेन-देन उसी ने किए। इसी खाते से रकम निकाल कर अपने IDFC खाते में डाली।

योजनाबद्ध तरीके से रची साजिश 

जांच एजेंसी ने पाया कि यह पूरा मामला योजनाबद्ध साजिश थी, जिसमें न सिर्फ जमीन हड़पी गई, बल्कि दस्तावेजों, खातों और भुगतान के जरिए करोड़ों की रकम भी ठगी गई। अब ईओडब्ल्यू ने राजेश शर्मा, दीपक तुलसानी और राजेश तिवारी को आरोपी बनाकर कार्रवाई शुरू कर दी है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66C व 66D के तहत केस दर्ज किया गया है।

मार्च 2025 में आयकर विभाग ने अटैच की थी शर्मा की संपत्ति 

आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने मार्च 2025 में त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक राजेश शर्मा और उसके ग्रुप की कुल 2.36 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की थी, इसमें भोपाल के कस्तूरबा नगर स्थित 1.80 करोड़ की तीन मंजिला इमारत भी शामिल है। इससे पहले आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग ने भी शर्मा की कई संपत्तियां अटैच की थीं। दोनों विंग्स ने अलग-अलग कार्रवाई की है।

18 दिसंबर 2024 को त्रिशूल कंस्ट्रक्शन, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप के 56 ठिकानों पर छापे मारे गए थे, जिनमें 10 करोड़ नकद और 25 से ज्यादा लॉकर की जानकारी सामने आई थी। आयकर की जांच में सामने आया कि राजेश शर्मा अपने ही सहयोगियों के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदता था।

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