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जबलपुर की शुभ मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड में हुई एक बड़ी ठगी का खुलासा हुआ है। इसमें कंपनी के अकाउंट सेक्शन में काम कर रहे कर्मचारियों ने ही फर्म को चूना लगाया। कंपनी के संचालक महेश केमतानी की शिकायत पर मदन महल थाना पुलिस ने कुल 97 लाख 87 हजार 150 रुपए की धोखाधड़ी और गबन के मामले में गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज की है।
RTGS फॉर्म में काट-छांट कर राशि उड़ाई गई
कंपनी के डायरेक्टर महेश केमतानी ने बताया कि शुभ मोटर्स के एसबीआई और एक्सिस बैंक में संचालित खातों से कर्मचारियों के जरिए फर्जी RTGS फॉर्म तैयार कर बड़ी चालाकी से पैसे ट्रांसफर किए गए। आरोप है कि अकाउंट सेक्शन में कार्यरत संदीप कुमार मिश्रा, मुस्कान उर्फ नसीम खान, और नेहा विश्वकर्मा ने कंपनी के RTGS फॉर्मों में मारुति सुजुकी के भुगतान का झूठा उल्लेख करते हुए फॉर्म में काट-छांट की।
उन पर संचालक से हस्ताक्षर करवाकर पैसे अपने परिचितों के खातों में ट्रांसफर कराए। इसके बाद वे खुद या रिश्तेदारों के खातों के जरिये वह रकम निकाल लिया करते थे। यह सिलसिला साल 2021 से लेकर मार्च 2025 तक जारी रहा। इसमें करीब 97 लाख रुपए कंपनी के खातों से गायब हो गए।
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इस खबर को पांच प्वाइंट में समझिए...
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शुभ मोटर्स में हुई धोखाधड़ी: जबलपुर की ऑटो कंपनी 'शुभ मोटर्स' के कर्मचारियों ने 97 लाख 87 हजार रुपये की धोखाधड़ी की, जिसमें कंपनी के अकाउंट सेक्शन के कर्मचारियों का हाथ था।
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फर्जी RTGS फॉर्म से ट्रांसफर: कर्मचारियों ने फर्जी RTGS फॉर्म तैयार कर संचालक से हस्ताक्षर करवाए और कंपनी के पैसे अपने परिचितों के खातों में ट्रांसफर किए।
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44 संदिग्ध खातों में राशि ट्रांसफर: आरोपियों ने कंपनी की रकम 44 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की, जिनमें कुछ खातों में बड़ी राशि डाली गई थी।
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सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़: आरोपियों ने कंपनी के अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर ‘Autovyn’ में हेरफेर कर नकली एंट्री डाली, जिससे गबन छिपा रहा।
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दो आरोपी गिरफ्तार: पुलिस ने मुस्कान और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया है, और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना है।
जांच में सामने आए 44 संदिग्ध खाताधारक
शिकायत में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है कि इन तीनों कर्मचारियों ने कुल 44 अलग-अलग लोगों के बैंक खातों में कंपनी की रकम हस्तांतरित की। इसमें कुछ खातों में बड़ी रकम एकमुश्त ट्रांसफर की गई।
इनमें अफसर खान (7 लाख 78 हजार रुपए), आकाश शिवहरे (9 लाख 52 हजार रुपए), शुभम जैन (6 लाख 75 हजार रुपए), सोहिब खान (8 लाख 17 हजार रुपए), इमरान खान (5 लाख 30 हजार 500 रुपए) और अन्य कई व्यक्ति जिनके खातों का इस्तेमाल इस गबन के लिए किया गया।
शिकायतकर्ता के अनुसार जिन लोगों के खातों में पैसे डाले गए। उनमें से अधिकांश कंपनी के कर्मचारियों या आरोपियों के निजी जानकार हैं। इन्हें कुछ प्रतिशत रकम देकर उनका खाता इस अपराध में उपयोग किया गया।
सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर की गई धोखाधड़ी
शिकायत के अनुसार, इस पूरे घोटाले को छिपाने के लिए आरोपी कर्मचारियों ने कंपनी के टैली और अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर Autovyn में हेरफेर की। किसी अन्य कर्मचारी की लॉगिन आईडी का उपयोग कर नकली एंट्री डाली जाती थी। इससे ऐसा प्रतीत हो कि पैसे नियमित व्यवसायिक लेनदेन के रूप में खर्च हुए हैं। मगर असल में यह रकम निजी उपयोग के लिए निकाली गई थी। इस डिजिटल हेराफेरी की वजह से लंबे समय तक कंपनी को इस बड़े गबन की भनक तक नहीं लग सकी।
दो आरोपी हुए गिरफ्तार
मदन महल थाना प्रभारी संगीता सिंह ने बताया कि संचालक महेश केमतानी के लिखित आवेदन के आधार पर जब प्रारंभिक जांच की गई, तो सभी आरोप सही पाए गए। आरटीजीएस फॉर्मों की जांच, बैंक खातों की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और सॉफ्टवेयर एंट्रीज से धोखाधड़ी की पुष्टि हुई।
इस आधार पर तीनों आरोपियों संदीप मिश्रा, नसीम खान उर्फ मुस्कान और नेहा विश्वकर्मा के खिलाफ BNS की धारा 318(4), 316(5), 336(3), 338, और 61(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल पुलिस ने मुस्कान और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया है। जल्द ही बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना है।
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