मध्यप्रदेश के भोपाल के नामी बिल्डर और टीवी 27 के डायरेक्टर एलएन मालवीय के खिलाफ EOW ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। मालवीय और चार पीडब्ल्यूडी अधिकारी सहित कुल 5 पर FIR दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश के राज्य एवं मुख्य जिला मार्गों पर पुल के निर्माण के लिए सुपरविजन कंसलटेंसी जबलपुर का ठेका स्वीकृत हुआ था इस निर्माण एजेंसी के लिए कंसल्टेंट एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड भोपाल को अधिकृत किया गया था। कुल 106 पुलों के निर्माण की निविदाओं की लागत 12.25 करोड़ रुपए थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के NDB डिपार्टमेंट के डायरेक्टर और फाइनेंशियल एडवाइजर सहित अन्य तीन अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए एलएन मालवीय को 26 करोड़ 11 लाख रुपए का भुगतान कर दिया और शासन को 13 करोड़ 86 लाख रुपए का चूना लगाया। EOW की जांच के दौरान यह सामने आया कि अब तक इस प्रोजेक्ट में केवल 47% ही काम हुआ है पर भुगतान 213 प्रतिशत कर दिया गया।
ठेके के समय दिखाए क्वालिफाइड कर्मचारी बाद में बदली जानकारी
यह मामला केवल रुपयों के गड़बड़ झाले का ही नहीं है बल्कि, कंपनी ने दस्तावेजों में हेरफेर करते हुए ऐसे इंजीनियर और कर्मचारी से निर्माण कार्य करवा रही थी जो इस काम के लायक ही नहीं है। निर्माण कार्य की निविदा लेते समय एलएन मालवीय इंफ्राप्रोजेक्ट्स कंपनी ने key experts के बायोडाटा भी लगाए थे जिसमें उन्होंने दिखाया था कि उनके इस निविदा में काम करने वाले टीम लीडर, सीनियर ब्रिज इंजीनियर, ब्रिज डिजाइन इंजीनियर, सीनियर मटेरियल इंजीनियर, सीनियर क्वालिटी इंजीनियर और आरई सभी विशेषज्ञ हैं और उनके बायोडाटा की मार्किंग के आधार पर ही इस कंपनी को यह प्रोजेक्ट मिला था पर प्रोजेक्ट मिलते ही कंपनी ने कम दक्षता के कर्मचारियों को यह काम दे दिया। जबकि निविदा में यह साफ उल्लेख था कि यदि key एक्सपर्ट को बदल जाएगा तो उससे उच्चतर या समकक्ष अहर्ता वाले एक्सपर्ट ही काम करने योग्य होंगे।
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मरे हुए नोटरी के सील साइन और फर्जी कर्मचारी
यह निविदा लेने के लिए कंपनी ने जो एफिडेविट जमा किए थे वह भी फर्जी निकले, क्योंकि इन एफिडेविट में नोटरी खलीउल्लाह खान की सील और दस्तखत थे। पर 15 मई 2019 के इस एफिडेविट की सील में दिख रहे खलीउल्लाह खान का 22 जनवरी 2018 को ही निधन हो चुका है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि निविदा पाने के लिए कंपनी ने कुल 9 एक्सपर्ट के नाम दिए थे। जिसमें सुभाष कुमार चौधरी, उदय शंकर मालिक, मनीष कुल्हारे चंद्रकांतबी, हरिचरण, महेश पुलोरिया और अरविंद गुप्ता का नाम था। लेकिन इनमें से किसी भी कर्मचारी ने कभी भी एल एन मालवीय की कंपनी के साथ काम ही नहीं किया था। निविदा मिलने के बाद मालवीय की कंपनी ने मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर इन सभी को बीमार बता दिया और नए निम्न क्षमता के कर्मचारियों को काम पर रख लिया।
पीडब्लूडी अधिकारियों की थी पूरी मिलीभगत
इस निविदा को लेने के लिए मेसर्स एलएन मालवीय इंफ्रा इन्फ्रा ने IRC ( इंडियन रोड कांग्रेस) की जो रसीदें लगाई थी वह भी फर्जी थी। भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) देश में राजमार्ग इंजीनियरों का सर्वोच्च निकाय है। आईआरसी की रसीद बुक में केवल 100 पेज होते हैं और रसीद नंबर भी 100 से अधिक नहीं होता पर कंपनी ने 186 से लेकर 644 नंबर तक की कुल 21 फर्जी रसीदें लगाई थी। जिसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने आंख बंद कर सत्यापित कर दिया था। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जानबूझकर एलएन मालवीय की कंपनी को फायदा पहुंचाने अधिक अंक देते हुए उसका टेंडर स्वीकृत किया था। इसलिए इस मामले में एलएन मालवीय सहित (एनबीडी) एमपी पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन डायरेक्टर नरेंद्र कुमार, तत्कालीन फाइनेंशियल एडवाइजर एलएन मिश्रा, तत्कालीन एई सजल उपाध्याय और एमपी सिंह के खिलाफ धारा 420,467, 468, 471, 472,120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू ने विवेचना में लिया है।